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Updated: 31 जनवरी, 2021 06:12 PM
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दिल्ली में 26 जनवरी को लाल किले (Red Fort) की प्राचीर पर किसानों के एक समूह ने सिख समुदाय का प्रतीक 'निशान साहिब' फहरा दिया था. जिसके बाद से ही किसान आंदोलन (Farmer Protest) में 'खालिस्तान' समर्थकों के मौजूद होने की बहस ने जोर पकड़ लिया. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने गणतंत्र दिवस से पहले ही आशंका जाहिर की थी कि ट्रैक्टर परेड में हिंसा (Delhi Violence) भड़काने के लिए पाकिस्तान (Pakistan) में 300 से ज्यादा ट्विटर हैंडल बनाए गए हैं. दरअसल, पाकिस्तान हमेशा से ही खालिस्तान (Khalistan) समर्थकों का पक्ष लेकर भारत में अस्थिरता और अराजकता का माहौल बनाने की कोशिश करता रहा है. किसान आंदोलन में पाकिस्तान की अप्रत्यक्ष भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. इस दौरान पंजाब में भी माहौल बिगड़ता जा रहा है. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) इसे लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि किसानों को मोहरा बनाकर पाकिस्तान नफरत की आग भड़काने में जुटा हुआ है.

पाकिस्तान ने दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन के जरिये हिंसा फैलाने की साजिश रची है.पाकिस्तान ने दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन के जरिये हिंसा फैलाने की साजिश रची है.

किसान आंदोलन के जरिये हिंसा फैलाने की साजिश

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) की भारत को लेकर एक असफल परिकल्पना रही है कि 'Bleed India with Thousand Cuts'. दुनियाभर के देशों के कर्ज में डूबा पाकिस्तान इस थ्योरी को कई बार आतंकी हमलों के रूप में भारत पर आजमा चुका है. माना जा रहा है कि इस बार पाकिस्तान ने दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन के जरिये हिंसा फैलाने की साजिश रची है. लाल किले पर हुए उपद्रव के आरोपी दीप सिद्धू (Deep Sidhu) का खालिस्तानी समर्थकों और पाकिस्तान के कई सोशल मीडिया पेजों ने लाइव वीडियो शेयर किया था. दिल्ली में किसान आंदोलन से अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तान हर संभव कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान अपनी काली करतूतों की वजह से पहले भी बेनकाब हो चुका है.

पंजाब के बॉर्डर एरिया पर अवैध तरीके से आने वाले हथियारों की संख्या में इजाफा हुआ है.पंजाब के बॉर्डर एरिया पर अवैध तरीके से आने वाले हथियारों की संख्या में इजाफा हुआ है.

पंजाब में एक्टिव हो सकते हैं 'स्लीपर सेल'

पाकिस्तान इस बार किसान आंदोलन ही नहीं पंजाब को भी अपनी प्रयोगशाला बनाने के प्रयासों में लगा है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अक्टूबर में किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से ही पंजाब के बॉर्डर एरिया पर अवैध तरीके से आने वाले हथियारों की संख्या में इजाफा हुआ है. पाकिस्तान की ओर से ड्रोन के जरिये अवैध तरीके से हथियारों की भारी सप्लाई की जा रही है. किसान आंदोलन में बड़ी संख्या में पंजाब के किसान भी प्रदर्शन कर रहे हैं. मोदी सरकार अगर किसानों की मांगों को नहीं मानती है, तो प्रदर्शन के उग्र और हिंसक हो जाने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है. पाकिस्तान अवैध हथियारों की बड़ी खेप के जरिये पंजाब में अस्थिरता का माहौल बना सकता है. इसके साथ ही पाकिस्तान किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए अपेन 'स्लीपर सेल' को भी एक्टिव कर सकता है.

आंदोलन में नक्सल और खालिस्तान समर्थक 

दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर दो महीने से ज्यादा समय से किसान आंदोलन हो रहा है. इसमें 30 से ज्यादा किसान संगठनों ने मिलकर एक संयुक्त किसान मोर्चा बनाया है. केंद्र की मोदी सरकार से बातचीत करने के लिए इन संगठनों के नेता ही जाते रहे हैं. इन संगठनों में कई वामपंथी विचारधारा वाले संगठन भी शामिल हैं. ऐसे में नक्सल और अर्बन नक्सल की चर्चा ने भी काफी जोर पकड़ा है. वहीं, गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद ऐसी आशंका जताई जा रही है कि किसान आंदोलन आगे चलकर कहीं न कहीं हिंसक मोड़ ले सकता है. किसान आंदोलन में हिस्सा लेने वाले अधिकांश किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं.

पंजाब और किसान आंदोलन दोनों ही पाकिस्तान के लिए बिल्कुल मुफीद मौके साबित हो रहे हैं.पंजाब और किसान आंदोलन दोनों ही पाकिस्तान के लिए बिल्कुल मुफीद मौके साबित हो रहे हैं.

किसान नेताओं का कहना है कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से किया जा रहा था. कुछ अराजक तत्वों ने आंदोलन की छवि को खराब करने के लिए हिंसा की है. इस समय पंजाब और किसान आंदोलन दोनों ही पाकिस्तान के लिए बिल्कुल मुफीद मौके साबित हो रहे हैं. भारत में अराजकता को बढ़ावा देने की पाकिस्तान की कोशिशें क्या रंग लाएंगी, ये आने वाला वक्त बताएगा. इससे बचने के लिए मोदी सरकार को किसानों के साथ चल रहे अपने गतिरोध को खत्म करने का कोई तरीका मिकालना ही होगा. वरना आने वाले समय में कई मोर्चों पर स्थितियां बिगड़ सकती हैं.

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