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Updated: 05 मई, 2022 04:41 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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बीते दिनों प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव और समाजवादी पार्टी के कद्दावर मुस्लिम नेता आजम खान के बीच हुई मुलाकात ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. वहीं, अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) चीफ ओम प्रकाश राजभर की भाजपा नेताओं से मुलाकात सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसल, ओपी राजभर ने लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस में योगी सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर से मुलाकात की थी. इन दोनों ही नेताओं से ओम प्रकाश राजभर की करीबी किसी से छिपी नहीं है. भाजपा में ओम प्रकाश राजभर की एंट्री में इन दोनों नेताओं ने ही अहम भूमिका निभाई थी. हालांकि, ओम प्रकाश राजभर और भाजपा का साथ ज्यादा दिनों तक नहीं चला. और, इस साल हुए यूपी विधानसभा चुनाव में राजभर ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था. लेकिन, इस मुलाकात के बाद एक बार फिर से अटकलों और कयासों को बल मिलने लगा है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या शिवपाल और आजम के बाद अब क्या राजभर भी अखिलेश को टेंशन देंगे?

OP Rajbhar Akhilesh Yadav BJPओपी राजभर के साथ भाजपा के नेताओं की इस मुलाकात में उनके बेटे अरुण राजभर और अरविंद राजभर भी शामिल थे.

'मामूली' मुलाकात पर क्यों उठ रहे सवाल?

भाजपा में रहते हुए ओम प्रकाश राजभर ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. एनडीए और योगी सरकार से निकाले जाने के बाद ओपी राजभर के तेवरों में कमी नहीं आई. उन्होंने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में राजभर वोटों के जरिये भाजपा को हराने का दंभ भरते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से हाथ मिला लिया. इससे यूपी विधानसभा चुनाव में ओपी राजभर की पार्टी को पिछले चुनाव की तुलना में दो सीटों का लाभ हुआ. लेकिन, सूबे में समाजवादी पार्टी की सरकार का सपना पूरा नहीं हो सका. और, चुनाव के बाद ओपी राजभर के तेवर नरम पड़ गए हैं. जो भाजपा के दिग्गज नेताओं से हुई मुलाकात के बाद अखिलेश यादव की चिंता बढ़ा सकते हैं. क्योंकि, इस मुलाकात के बाद जब मीडिया ने ओम प्रकाश राजभर से भाजपा के साथ आने का सवाल पूछा. तो, उन्होंने कहा कि राजनीति में संभावनाएं कभी खत्म नहीं होती हैं. हालांकि, उन्होंने मुलाकात को लेकर कहा कि क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए मिलने आए थे.

वैसे, इस मुलाकात पर सवाल उठना लाजिमी है. क्योंकि, ओपी राजभर के साथ भाजपा के नेताओं की इस मुलाकात में उनके बेटे अरुण राजभर और अरविंद राजभर भी शामिल थे. अगर ओपी राजभर अपने क्षेत्र के किसी काम के सिलसिले में मुलाकात करने पहुंचे थे, तो अव्वल उन्हें सीधे मंत्रालय में जाकर मिलना चाहिए था. लेकिन, उन्होंने वीवीआईपी गेस्ट हाउस में मुलाकात क्यों की? अगर इस सवाल को दरकिनार भी कर दिया जाए, तो ये प्रश्न खड़ा हो जाता है कि ओपी राजभर के साथ उनके बेटे इस 'मामूली' सी मुलाकात में क्यों शामिल हुए? जबकि, ओम प्रकाश राजभर के दोनों बेटे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के पदाधिकारी हैं. हो सकता है कि ओम प्रकाश राजभर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अपने बेटों के लिए भाजपा में संभावनाओं को टटोलने पहुंचे हों. क्योंकि, बीते दिनों ओम प्रकाश राजभर की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की चर्चाएं भी आम रही हैं. तो, ओपी राजभर की इस ताजा मुलाकात पर सवाल उठना तय है.

उपचुनाव का मौका आया, तो भरभरा जाएगा समाजवादी गठबंधन

अगर इस मुलाकात के कुछ नतीजे निकलते हैं. तो, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की जीती हुई 6 सीटों पर उपचुनाव होना तय है. इन सीटों पर उपचुनाव से भाजपा को समाजवादी पार्टी पर मानसिक बढ़त मिलेगी. साथ ही अखिलेश यादव का विधानसभा चुनाव से पहले खेला गया समाजवादी गठबंधन का दांव पूरी तरह से खतरे में आ जाएगा. इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जिन सीटों पर उपचुनाव होगा, वहां भाजपा समर्थित सुभासपा के ही उम्मीदवारों को जीत मिलेगी. क्योंकि, यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों में इन सीटों पर समाजवादी गठबंधन की सीधी लड़ाई भाजपा के ही साथ थी. ओम प्रकाश राजभर के समाजवादी गठबंधन से निकलने पर अन्य छोटे दलों के लिए भी 2024 को देखते हुए अपनी संभवानाएं खोजने का रास्ता खुल जाएगा.

जयंत, शिवपाल, आजम का 'प्रेम त्रिकोण'

जेल में बंद समाजवादी पार्टी के विधायक और दिग्गज मुस्लिम नेता आजम खान ने आरएलडी नेता जयंत चौधरी से मुलाकात की थी. जिसके बाद अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि आजम खान और जयंत चौधरी मिलकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक अलग गुट तैयार करने की कोशिश में लगे हैं. जिसमें जाटों और मुस्लिमों के गठजोड़ पर काम करने पर फोकस रखा जाएगा. वहीं, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव से आजम खान की मुलाकात के बाद इस कहानी में एक और ट्विस्ट जुड़ गया. सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी कि जयंत चौधरी, आजम खान और शिवपाल यादव मिलकर उत्तर प्रदेश के लिए कोई नई खिचड़ी पका सकते हैं. क्योंकि, आजम खान ने उनसे मुलाकात करने पहुंचे समाजवादी पार्टी के विधायक और नेताओं को मिलने का समय नहीं दिया था. वैसे, आजम खान और शिवपाल यादव की नाराजगी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अटकलों को हवा दे दी है.

स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए 'सेटिंग' में जुटीं बेटी संघमित्रा मौर्य

इसी बीच एक चर्चा स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर भी चल निकली है. दरअसल, भाजपा ने पार्टी की स्थापना दिवस के दिन नमो एप के जरिये माइक्रो डोनेशन का एक अभियान लॉन्च किया था. जिसमें पार्टी के मंत्री, सांसद, विधायक, एमएलसी समेत हर स्तर के नेताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. इस माइक्रो डोनेशन अभियान की फाइनल लिस्ट में भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य ने टॉप थ्री में पोजीशन हासिल की है. यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले संघमित्रा मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा से बगावत कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था. स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ समाजवादी पार्टी में गए कई ओबीसी नेताओं ने भाजपा के राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया था. लेकिन, माइक्रो डोनेशन अभियान में संघमित्रा मौर्य के टॉप थ्री में शामिल होने के बाद माना जा रहा है कि वह एक बार फिर से भाजपा को साधने की कोशिश में जुटी हैं. और, संभव है कि अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए भी भाजपा में सॉफ्ट कॉर्नर बनाने की कोशिश करें.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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