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Updated: 16 फरवरी, 2018 06:45 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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नीरव मोदी के बहाने विपक्ष ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर धावा बोल दिया है. कांग्रेस ने तो नीरव मोदी को 'छोटा मोदी' तक बता डाला है. बीजेपी ने इसे मोदी सरनेम वाले करोड़ों लोगों का अपमान करार दिया है. विपक्ष के सवालों पर बीजेपी नेताओं की ओर जवाबी सवाल भी दागे गये हैं. मगर, बीजेपी की ओर से भी ऐसी भी बातें कही गयी हैं जो खुद उसे ही सवालों के घेरे में खड़ा कर देती हैं.

कांग्रेस ने उस फोटो को लेकर भी सवाल पूछा है जिसमें नीरव मोदी दावोस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नजर आ रहे हैं. केंद्र सरकार ने इस बारे में विस्तार से सफाई दी है - और नीरव मोदी को लेकर हर तरह के दावों का खंडन किया गया है.

सच में, फोटो पॉलिटिक्स नहीं चलेगी!

कांग्रेस ने दावोस का फोटो मिलते ही मुद्दा लपक लिया. मीडिया के सामने आकर कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सफाई मांगी. कांग्रेस नेताओं ने दावोस वाले फोटो को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला.

तभी राहुल गांधी की ओर से ट्विटर पर सवाल उठाते हुए लिखा गया - 'बहुत आसान रास्ता बन गया है कि पीएम से मेल जोल बढ़ाओ, देश को लूटो और भाग जाओ. छोटा मोदी भी भाग गया.'

कांग्रेस ने नीरव मोदी को प्रधानमंत्री मोदी से जोड़ने के लिए 'छोटा मोदी' नाम का इस्तेमाल किया. नीरव मोदी को छोटा मोदी कहे जाने पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जतायी और इसे मोदी सरनेम वाले करोड़ों लोगों का अपमान बताया.

nirav modi davosफोटो पॉलिटिक्स?

सरकार के बचाव में मोर्चे पर तैनात केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पीएनबी केस की पूरी जांच के साथ किसी को भी बख्शे न जाने का भरोसा दिलाया. रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस को फोटो की राजनीति न करने की सलाह दी.

रविशंकर प्रसाद बोले, "नीरव अपने आप दावोस पहुंचे थे. वो सीआईई की ग्रुप फोटो इवेंट में आए थे. कांग्रेस फोटो की राजनीति न करे - नहीं तो हमारे पास भी चौकसी साहब के कांग्रेस के कई नेताओं के साथ अंतरंग फोटो हैं." यहां चौकसी साहब से रविशंकर प्रसाद का आशय नीरव मोदी के सहयोगी मेहुल चौकसी से है जिसका एफआईआर में भी नाम है.

रविशंकर प्रसाद ने बिलकुल सही कहा है कांग्रेस को फोटो की राजनीति नहीं करनी चाहिये. लेकिन खुद वो क्या कहना चाहते हैं? अगर कांग्रेस नेताओं के साथ नीरव मोदी के सहयोगी की तस्वीरें हैं तो उसे किस खास मौके के लिए बचा कर रखा गया है. क्या ये किसी विशेष चुनावी सीजन में सामने आएंगी? कुछ उसी तरह जैसे गुजरात चुनाव में हार्दिक पटेल की सामने आई सीडी के पीछे बीजेपी का हाथ बताया जा रहा था.

संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि चार साल तक वो कांग्रेस के पापों को लेकर चुप रहे. फिर तो सवाल यही उठता है कि गलत कामों को लेकर चुप क्यों रहे? और ऐसी कितनी बातें हैं जिन पर सरकार चुप रह कर कांग्रेस पर एहसान कर रही है? अब क्या ये चुप्पी 2019 में ही टूटेगी - और काम के साथ साथ कारनामे भी बताए जाएंगे?

ये सवाल तो यही बता रहे हैं कि कठघरे में विपक्ष ही नहीं सरकार खुद भी खड़ी हो चुकी है. ऐसा तो नहीं कि ऐसे ही ब्लैकमेल के खेल कांग्रेस से जुड़े दूसरे मामलों में भी चल रहा है - और हर कुछ दिन बाद आम अवाम को गुमराह करने के लिए आपसी सहमति से मुद्दे बदल दिये जाते हैं?

सवाल दर सवाल

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ सरकार के बचाव में उतरीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि ये घोटाला यूपीए सरकार के दौरान हुआ था, और यूपीए ने दबाये रखा. मंत्री की इस बात की पुष्टि पंजाब नेशनल बैंक घोटाले की सफाई में आये बयान से भी होती है.

पंजाब नेशनल बैंक का दावा है कि 2011 में ही इस फर्जीवाड़े के बारे में सरकारी एजेंसियों को बता दिया गया था. देखा जाये तो 2011 में तो कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की ही सरकार थी - और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे. यूपीए सरकार में हुए कथित घोटालों के चलते ही 2014 कांग्रेस की बुरी तरह हार भी हुई.

ये तो और भी अजीब बात है. कांग्रेस नेता अपनी ही पार्टी की सरकार के शासन के घोटाले पर मौजूदा सरकार से सवाल पूछ रहे हैं. इसका मतलब ये भी नहीं सरकार सवालों के दायरे से बाहर हो जाएगी. सवाल तो ये भी बनता है कि सात साल पहले के इस घोटाले में चार साल से तो बीजेपी की ही केंद्र में सरकार है.

राहुल गांधी और उनके साथी कांग्रेस नेताओं के अलावा सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने भी मोदी सरकार से सवाल पूछा है. दो मुख्यमंत्रियों - ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल भी सवालों के साथ मैदान में डट गये हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का सवाल है कि क्या सरकार की शह के बिना कोई देश से भाग सकता है? फिर केजरीवाल ने एक रीट्वीट कर बीजेपी से जवाब मांगा है.

कितनी अजीब बात है. कांग्रेस सवाल उस बात पर पूछ रही है जो घोटाला उसी के शासन काल का है. मौजूदा सरकार को भी मालूम तब होता है जब आरोपी देश की सरहद पार कर किसी अति सुरक्षित ठिकाने पर पहुंच चुका होता है.

कांग्रेस की ओर से गुजरात चुनाव के दौरान भी मोदी सरकार से कई सवाल पूछे गये थे. राहुल गांधी के ट्विटर हैंडल पर ये सवाल कविता के रूप में होते थे - और उनमें नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक का जिक्र हुआ करता था. हाल ही में कांग्रेस की ओर से राफेल डील पर भी सवाल पूछे गये. जम्मू कश्मीर की हालत को लेकर भी कांग्रेस ने मोदी सरकार पर पांच सवालों के साथ हमला बोला था - ताजा मिसाइल नीरव मोदी हैं.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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