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Updated: 16 फरवरी, 2018 12:30 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पंजाब नेशनल बैंक में 11,300 करोड़ रुपए का घोटाला क्या सामने आया, हर ओर हाहाकार मच गया. जहां एक ओर सभी बैंक सजग हो गए हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक पार्टियों ने इसके लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया है. कांग्रेस इस घोटाले के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रही है, तो वहीं भाजपा का तर्क है कि यह घोटाला 2011 से शुरू हुआ, जिससे कांग्रेस की नीयत साफ होती है. राजनीतिक पार्टियों की बयानबाजी के बीच हमने भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट खंगाली. रिपोर्ट से जो हमारे हाथ लगा, वह चौंका देने वाला है.

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अगर आपसे कहा जाए कि पीएनबी घोटाला तो सिर्फ अजगर की पूंछ भर है, अभी तो पूरा अजगर अंधेरे में ही है तो आपको कैसा लगेगा? इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि यह घोटाला बर्फ के उस पहाड़ की नोक भर है, जिसका बाकी सारा हिस्सा पानी में डूबा हुआ है. क्या हुआ, आंखें फटी की फटी रह गईं ना. घोटालों का ये अजगर वास्तव में कितना बड़ा है ये तो तभी पता चलेगा जब वह अंधेरे से बाहर आएगा, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक ने इसकी लंबाई-चौड़ाई का एक अनुमान लगाया है. आरबीआई की 30 जून 2017 को जारी की गई रिपोर्ट (Financial Stability Report) के मुताबिक देश में कुल 5,064 बैंक फ्रॉड के मामले हैं. यानी पीएनबी घोटाले के अलावा 5,063 और भी बैंक फ्रॉड के मामले हैं?

- पिछले 5 सालों में बैंक फ्रॉड में 19.6 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है और ये 4235 से बढ़कर 5064 पर पहुंच गए हैं.

- इन फ्रॉड से हुए नुकसान की रकम 5 साल पहले 97.5 करोड़ रुपए थी, जो पिछले 5 सालों में 72 फीसदी बढ़कर 167.7 अरब पर पहुंच गई है.

- अगर आरबीआई की रिपोर्ट को आधार मानें तो इन घोटालों के असली दोषी बैंक ही हैं. बैंकों में यह ट्रेंड रहा है कि वे घोटाले की जानकारी शुरुआत में दबाए रखते हैं. फ्रॉड ट्रांजेक्शन को 2-3 साल तक एनपीए के रूप में दिखाते रहते हैं. और फिर धीरे से बताते हैं कि ये तो घोटाला हो गया. आरबीआई की इस रिपोर्ट से आशंका होती है कि कहीं बैंकों के भारी भरकम एनपीए घोटाले ही तो नहीं हैं.

- रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 10 लाख करोड़ रुपए बैड लोन या एनपीए में हैं.

- अगर जीडीपी के हिसाब से देखा जाए तो यह आंकड़ा 137 देशों की जीडीपी से भी अधिक है.

- मार्च 2018 तक एनपीए में 10.2% की बढ़ोत्तरी का अनुमान है, जो मार्च 2017 तक 9.6% था.

- एनपीए की मार सबसे अधिक सरकारी बैंकों पर पड़ी है, जो भारत के बैंकिंग सिस्टम को डोमिनेट करते हैं.

- RBI चेयर प्रोफेसर चरन सिंह की IIM बेंगलुरु की मार्च 2016 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बैंक फ्रॉड की वजह से देश के पब्लिक सेक्टर बैंकों को पिछले तीन सालों (2013-16) में 22,743 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.

- इस रिपोर्ट के मुताबिक 95 फीसदी बैंक फ्रॉड के मामले कमर्शियल बैंकों के ही होते हैं.

इन आंकड़ों से इतना तो साफ हो जाता है कि सिर्फ चंद फ्रॉड ही पकड़ में आते हैं, अधिकतर अपराधी तो बचकर निकल जाते हैं. जो फंस जाते हैं उनसे भी पैसों की वसूली बैंक कर पाएंगे या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं. विजय माल्या इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं. नीरव मोदी ने तो कहा है कि वह घोटाले की रकम जल्द ही बैंक को लौटा देंगे, लेकिन जो अपराध उन्होंने किया है, उसके लिए उन्हें क्या सजा मिलती है, ये देखने की बात होगी.

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