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Updated: 14 दिसम्बर, 2016 08:02 PM
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बनारस के बाद नीतीश कुमार गुजरात जाने वाले हैं. 2019 की रेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दो दो हाथ करने के लिए नीतीश को मिला ये बेहतरीन मौका है. बनारस में भी नीतीश ने वही इलाका चुना था जहां उनके कुर्मी समुदाय के लोग बहुतायत में हैं - और अब तो सौराष्ट्र के लिए बुलावा लेकर खुद हार्दिक पटेल ही पहुंचे थे.

हार्दिक की घर वापसी

17 जनवरी को हार्दिक पटेल का कानूनी वनवास खत्म हो रहा है. हाई कोर्ट के आदेश पर 17 जुलाई को हार्दिक उदयपुर चले गए थे क्योंकि अदालत ने उन्हें छह महीने गुजरात से बाहर रहने का हुक्म दिया था. जनवरी में गुजरात लौट रहे हार्दिक का कहना है कि वो बड़ा धमाका करेंगे. हार्दिक की इस धमाकेदार वापसी के मौके पर सौराष्ट्र में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पहुंचेंगे.

इसे भी पढ़ें: बनारस में नीतीश ने फूंका चुनावी बिगुल - संघमुक्त भारत, शराबमुक्त समाज

नोटबंदी पर नीतीश के समर्थन वाले बयान से बीजेपी के साथ उनकी नजदीकियों की चर्चा होने लगी थी. हार्दिक का न्योता स्वीकार कर नीतीश ने ऐसी बातों को बैरंग लौटा दिया है. बता भी दिया है कि हर बात का वो मतलब नहीं होता जो तत्काल नजर आता है बल्कि उसके पीछे दूरगामी सोच होती है. इसलिए माना जा सकता है कि नोटबंदी पर भी नीतीश की वही सोच है जो शराबबंदी को लेकर है.

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अब गुजरात चलते हैं...

यूपी चुनाव में नीतीश अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं रखे हैं लेकिन अब तक उन्हें कोई खास कामयाबी नहीं मिल पाई है. हां, इतना जरूर है कि यूपी को लेकर भी नीतीश की गतिविधियां चर्चा में जरूर बनी रहती हैं.

गुजरात से नीतीश को ज्यादा फायदा मिल सकता है. हार्दिक का कहना है कि वो गुजरात मॉडल की हकीकत सामने लाने वाले हैं - नीतीश भी तो यही चाहते हैं.

हार्दिक और नीतीश एक दूसरे को सूट भी खूब करते हैं. शायद अरविंद केजरीवाल से भी ज्यादा क्योंकि दोनों के बीच कास्ट फैक्टर पब्लिक में भी ज्यादा मजबूती देता है.

केजरीवाल कनेक्शन

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में हार्दिक बताते हैं कि उन्होंने गैर-कांग्रेस और गैर-बीजेपी नेताओं को अपनी रैली में बुलाया है. हार्दिक के मुताबिक नीतीश कुमार के अलावा उन्होंने ममता बनर्जी और एचडी देवगौड़ा को भी बुलाया है.

लेकिन जब उनसे पूछा जाता है कि क्या वो केजरीवाल को भी बुलाएंगे?

इंडियन एक्सप्रेस के इस सवाल के जवाब में वो साफ कहते हैं - नहीं.

केजरीवाल को लेकर हार्दिक का ये जवाब थोड़ा हैरान करता है. इसी अक्टूबर में जब केजरीवाल गुजरात गये थे तो हार्दिक की ओर से एक ज्ञापन में पूछा गया था कि वो पाटीदार समुदाय के लिए क्या कर सकते हैं? उनका आशय आरक्षण को लेकर उनकी मांग से था.

केजरीवाल ने भी हार्दिक को देशभक्त और हीरो बताया था. गुजरात जाने से पहले भी केजरीवाल, हार्दिक के ट्वीट को नियमित तौर पर रीट्वीट करते देखे गये थे.

अपनी गुजरात यात्रा के दौरान केजरीवाल पाटीदार आंदोलन के वक्त मारे गए 7 लोगों के परिवार वालों से मिलने उनके घर भी गये थे. बाकी जगह तो नहीं लेकिन जब श्वेतांग पटेल के घर पहुंचे तो घर वालों ने केजरीवाल से ऐसा सवाल पूछा जिसकी कतई उम्मीद नहीं होगी. "आखिर अब तक आप कहां थे?" पाटीदार आंदोलन के श्वेतांग की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी.

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वैसे तो नीतीश और केजरीवाल दोनों ही मोदी विरोधी हैं, लेकिन लगता है वो नीतीश को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. हार्दिक कहते तो हैं कि उन्हें राजनीति नहीं करनी लेकिन केजरीवाल जिस तरीके से गुजरात चुनाव में उतर रहे हैं दोनों के बीच टकराव के आसार दिखने लगे हैं. इस मामले में नीतीश डबल बेनिफिट वाले हैं. एक तो हार्दिक के समुदाय से आते हैं - और दूसरे वो चुनाव में भी सहयोगी की भूमिका में रहेंगे न कि प्रतिद्वंद्वी.

नीतीश के लिए भी हार्दिक का हाथ मोदी के खिलाफ मिशन 2019 में मददगार साबित हो सकता है - और मोदी को घेरने के लिए सौराष्ट्र का मंच उन्हें ज्यादा कारगर लगता है तो कोई गलतफहमी की बात नहीं है.

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