बिहार में एनडीए की सरकार बनने जा रही है
लालू से हाथ मिलाकर नीतीश कुमार ने पहले ही अपनी पकड़ ढीली कर ली. रही सही कसर जीतन राम मांझी ने एनडीए में शामिल होकर पूरी कर दी है. अब बीजेपी को बिहार में खुला मैदान मिल गया है.
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लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाकर नीतीश कुमार ने पहले ही अपनी पकड़ ढीली कर ली. रही सही कसर जीतन राम मांझी ने एनडीए में शामिल होकर पूरी कर दी है. अब बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए को बिहार में खुला मैदान मिल गया है. इससे साफ है कि बिहार में एनडीए की सरकार बनने जा रही है. ये हैं पांच कारण -
1. जिन लोगों ने मोदी लहर में एनडीए को वोट दिया वे उस गठबंधन को तो वोट देने से रहे जिसमें लालू प्रसाद और नीतीश कुमार साथ साथ हों. केंद्र में साल भर की मोदी सरकार के सामने बिहार में एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर जैसी कोई बात नहीं आड़े नहीं आनेवाली. इसलिए एनडीए को उनके वोट जरूर मिलेंगे जिन्होंने लोक सभा में उसे सपोर्ट किया था. वैसे भी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के नेचर में काफी फर्क होता है.
2. बिहार के लोग विकास की गति रुकने नहीं देना चाहेंगे. बेशक इसकी नींव नीतीश कुमार ने डाली है. लोगों के सामने दिल्ली का मौजूदा झगड़ा नजीर बना हुआ है. केंद्र में एनडीए की सरकार है. अब अगर सूबे में नीतीश की सरकार बनती है तो बिहार को विशेष पैकेज तो मिलने से रहा. बीजेपी समझाएगी कि दोनों जगह एनडीए की सरकार रहेगी तो बिहार को ज्यादा फायदा मिलेगा.
3. कभी नीतीश के मजबूत हाथ रहे मांझी के एनडीए में आ जाने से उसकी ताकत दो गुनी बढ़ गई है. दलित वोटों के लिए बीजेपी ने अंबेडकर जयंती पर कार्यकर्ता सम्मेलन के बाद से कार्यकर्ताओं को दलितों में पैठ बनाने की रणनीति पर काम कर रही है. मांझी अब उस अभियान में कैटलिस्ट का काम करेंगे. मांझी वैसे भी इस चुनाव में एनडीए के लिए ड्युअल-बेनिफिट-मॉडल हैं. जितना नीतीश को नुकसान होगा, एनडीए को उसका डबल फायदा मिलेगा.
4. बीजेपी के पास पहले से ही नंदकिशोर यादव, रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता हैं - और अब इसमें मांझी भी शामिल हो गए हैं. ये मिलकर लालू-नीतीश गठबंधन के लिए कदम कदम पर रोड़ा बनेंगे. ऐसे में एनडीए को इसका पूरा फायदा मिलना तय है.
5. बीजेपी का सांगठनिक ढांचा और उसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बैकबोन - ये सब एनडीए को और मजबूत बना देता है. दिल्ली चुनाव के बाद से ही संघ के कार्यकर्ता बिहार अभियान में जुट गए थे.
रामकृपाल यादव और पप्पू यादव कभी लालू प्रसाद के सबसे भरोसेमंद साथियों में से थे. रामकृपाल तो बतौर बीजेपी उम्मीदवार लालू की बेटी मीसा भारती को शिकस्त देकर पहले ही डबल झटका दे चुके हैं. पप्पू यादव भी लगातार बीजेपी नेताओं के संपर्क में हैं जिनका कोसी बेल्ट में खासा दबदबा है. संभव है वो भी मांझी की तरह जल्द ही एनडीए का हिस्सा बन जाएं. लालू-नीतीश गठबंधन को नुकसान पहुंचाने वाली आग में ये घी का काम करेंगे.
नीतीश अभी ब्रांड बनने की कोशिश में हैं. ब्रांड मोदी न सिर्फ लोक सभा चुनाव में बल्कि महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और कुछ हद तक जम्मू-कश्मीर में भी कमाल दिखा चुका है. दिल्ली में मोदी लहर नहीं चल पाई, लेकिन नेपाल में भूकंप के दौरान आगे बढ़ कर मदद, बांग्लादेश के साथ लैंड-बाउंड्री एग्रीमेंट और ताजा ताजा म्यामांर में घुस कर दहशतगर्दों के खिलाफ कार्रवाई - इन सब की बदौलत मोदी की चमक में औऱ इजाफा हुआ है. निश्चित रूप से बिहार में नीतीश पर मोदी भारी पड़ेंगे.
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