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Updated: 12 अक्टूबर, 2021 01:52 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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ड्रग्स मामले में गिरफ्तार हुए शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) को बचाने के लिए 'मासूम से लेकर मुसलमान' होने तक के सारे दांव खेल दिए गए हैं. लेकिन, आर्यन खान अभी भी जेल में हैं और जमानत मिलने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, एनसीबी (NCB) के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) को 6 महीने का एस्कटेंशन भी मिल गया है, तो माना जा सकता है कि बॉलीवुड से ड्रग्स के सफाये का अभियान आगे भी जारी रहेगा. क्योंकि, समीर वानखेड़े की इमेज एक सख्त अधिकारी की है, जो इससे पहले भी कई बड़े नामों को जेल के सीखचों के पीछे पहुंचा चुके हैं. आसान शब्दों में कहें, तो समीर वानखेड़े अपने वर्किंग स्टाइल की वजह से हर उस शख्स के निशाने पर हैं, जो एनसीबी के 'काम' करने की वजह से जेल की हवा खा चुका है. महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस और एनसीपी भी समीर वानखेड़े के पीछे पड़े हुए हैं. जबकि, वह केवल अपना काम कर रहे हैं.

Who is Sameer WankhedeNCB अधिकारी समीर वानखेड़े ने महाराष्ट्र पुलिस के डीजीपी से मुलाकात कर पीछा किए जाने के आरोप लगाए हैं.

हाल ही में समीर वानखेड़े ने महाराष्ट्र के डीजीपी से मुलाकात कर आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस के कुछ पुलिसकर्मी उनका पीछा कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो ओशिवारा पुलिस ने उस श्मशान स्थल की सीसीटीवी फुटेज ली है, जहां समीर वानखेड़े अपनी मां के देहांत होने के बाद से रोज जाते हैं. खैर, इस मामले में मुंबई पुलिस की भूमिका को समझना बहुत आसान है. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के सहयोग से चल रही महाविकास आघाड़ी सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाली पुलिस का एंटीलिया केस में क्या रोल रहा है, वो सबके सामने है. इतना ही नहीं, समीर वानखेड़े पर लगातार सियासी हमला कर रहे एनसीपी नेता नवाब मलिक के बेटे समीर खान को भी एनसीबी ने ड्रग्स से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया था. समीर खान को 6 महीने बाद जमानत मिली थी. एनसीबी के अधिकारी समीर वानखेड़े की वर्किंग स्टाइल से कईयों को झटका लगा है. ड्रग्स के जो मामले पहले सालभर में 30 या 35 दर्ज होते थे, अब उनकी संख्या बढ़कर 90 से ऊपर पहुंच गई है. लिखी सी बात है कि राजनीति से लेकर बॉलीवुड (Bollywood) तक में पैंठ रखने वाले ड्रग्स सिंडिकेट में हलचल मचना तय है.

दरअसल, समीर वानखेड़े के एनसीबी में आने से पहले केवल ड्रग्स का कारोबार करने वालों और उनके ठिकानों पर ही कार्यवाही की जाती थी. लेकिन, समीर वानखेड़े ने एनसीबी में आने के बाद ड्रग्स पेडलर्स के साथ ड्रग्स कंज्यूम करने वालों पर भी एक्शन लेना शुरू किया. एक तरह से समीर वानखेड़े ने उन लोगों पर एक्शन लेना शुरू किया, जो इन ड्रग पैडलर्स से थोड़ी ही सही लेकिन नशीली दवाएं खरीदते हैं. एनसीबी में समीर के आने के बाद ड्रग्स की बेहद मामूली मात्रा के जब्त होने पर भी मामले दर्ज किए जाने की परंपरा शुरू हुई. ये राजनीति और बॉलीवुड के उन लोगों के लिए सिरदर्द बन गया, जो कम मात्रा में ड्रग्स के नाम पर अभी तक एनसीबी के चंगुल से बाहर हो जाते थे. खैर, असली समस्या यही है कि समीर वानखेड़े पर किसी भी तरह का दबाव काम नहीं करता है. नेताओं से लेकर अभिनेताओं तक ड्रग्स से जुड़े हर शख्स पर समीर वानखेड़े कानून के हिसाब से ही काम करते हैं. सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले में बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के गिरफ्तार होने से सुर्खियों में आए समीर वानखेड़े को उनके 'नो-नॉनसेंस' एटिट्यूड के लिए जाना जाता है.

पता होना चाहिए कि समीर वानखेड़े और उनकी टीम को गृह मंत्रालय की ओर से उनके बेहतरीन काम के लिए मेडल भी दिया जा चुका है. मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कस्टम अधिकारी के तौर पर काम करते हुए समीर वानखेड़े 2011 में वर्ल्ड कप ट्रॉफी को कस्टम ड्यूटी भरने के बाद ही एयरपोर्ट से जाने दिया था. आसान शब्दों में कहें, तो समीर वानखेड़े जैसे अधिकारियों को अपना 'काम' करने में हमेशा से ही परेशानियां का सामना करना पड़ता है. क्योंकि, भारत में हर शख्स खुद को वीआईपी ट्रीटमेंट दिलवाने का आदी कहा जा सकता है. लेकिन, समीर जैसे अधिकारी इन सभी सेलिब्रिटीज को आईना दिखाते रहे हैं. और, एक्सटेंशन मिलने के बाद ये भी तय हो गया है कि आगे भी वो ऐसा ही करते रहेंगे.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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