New

होम -> सियासत

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 21 जुलाई, 2016 04:44 PM
सुनील बाजारी
सुनील बाजारी
  @skbazari
  • Total Shares

इस सप्ताह की राजनैतिक सुर्खियों में छाई रही पूर्व क्रिकेटर और बीजेपी सांसद रहे नवजोत सिंह सिद्धू के राज्यसभा और बीजेपी से इस्तीफे की खबर. कहा जा रहा था कि वे आप ज्वाइन कर अपनी नई पारी की शुरूआत करेंगे. आप उन्हें पंजाब के लिए अपना मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर सकती है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. अब कहा जा रहा है कि वे आप पार्टी के लिए पंजाब में चुनाव प्रचार करेंगे. लेकिन क्या सिर्फ स्टार कैंपेनर बनने के लिए सिद्धू और उनकी पत्नी ने अपना राजनैतिक करियर दांव पर लगा दिया.

sidhu650_072116025922.jpg
 दोराहे पर खड़े हैं सिद्धू

जिस मुकाम पर सिद्धू खड़े हैं वहां से वो कहीं भी जा सकते हैं, बीजेपी में जेटली के साथ साथ अब पूरी बीजेपी उनके खिलाफ हो गई है. वैसे बीजेपी में उनके लिए कुछ बचा नहीं था, तो क्या उन्होंने आप ज्वाइन करने का फैसला जल्दबाजी में लिया था? बिल्कुल नहीं क्योंकि पंजाब चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. अकालियों और जेटली से हिसाब चुकाने के लिए इससे बेहतर समय तो कोई हो ही नहीं सकता था. 

ये भी पढ़ें- सिद्धू का सस्पेंस बढ़ा रहा है राजनैतिक दलों की बेचैनी

अब सिद्धू जहां खड़े हैं वहां उनके पास केवल दो ही विकल्प हैं, एक- या तो वही करें जो वो फुल टाइम करते हैं यानी कॉमेडी. यदि ऐसा होता है तो उनका राज्यसभा और बीजेपी छोड़ने फैसला भी ‘कॉमेडी’ जैसा ही होगा. दूसरा विकल्प है पंजाब में आप के लिए या यूं कहें कि अकालियों और बीजेपी के खिलाफ सड़क पर उतर जाएं, मोर्चा खोल दें, यानी कि फुल टाइम राजनीति करें.

comedy-nights-with-k_072116030011.jpg
 अब खुद को साबित करने की बारी

अब समय आ गया है कि वो खुद को साबित कर दें. पंजाब वैसे ही ड्रग्स और करप्शन की चपेट में आकर परिवर्तन की राह देख रहा है. उन्हें इस हवन में अपने धुआंधार प्रचार की आहुति देनी होगी. 

ये भी पढ़ें- सिद्धू और आप के बीच हुई 'डील' की ये है इनसाइड स्‍टोरी

आप ने उनके साथ जो किया उसे भी सहीं नहीं कहा जा सकता, इसलिए उन्हें इस बात का जबरदस्त दबाव बनाना होगा और ये तभी हो सकता है जब वो पंजाब में आप के लिए ज़रूरत बन जाएं. उन्हें केजरीवाल मॉडल पर काम करना होगा. उन्हें वैसी ही लड़ाई लड़नी होगी जैसी केजरीवाल ने दिल्ली में लड़ी. आप की आपसी राजनीति में उलझने के बजाए खुद को पंजाब का सबसे बड़ा स्टार कैंपेनर साबित करना होगा. उन सीटों पर ध्यान लगाना होगा जहां वो अपनी ताकत से परिवर्तन की हवा चला सकें. 

वैसे भी लोकतंत्र के मौजूदा फार्मेट में ताकत की ही पूजा होती है. यहीं से उनके लिए रास्ता निकल सकता है. अब वक्त आ गया है कि सिद्धू कपिल या किसी पार्टी की बजाए पंजाब को ड्रग्स और करप्शन से उबारने के लिए काम करें यानी खुद के लिए काम करें. तभी उनका ये फैसला सही मायनों में सार्थक साबित होगा.

लेखक

सुनील बाजारी सुनील बाजारी @skbazari

लेखक टीवी पत्रकार हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय