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Updated: 02 जुलाई, 2015 07:54 PM
श्रीजीत पनिक्कर
श्रीजीत पनिक्कर
  @sreejith.panickar
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चि यों की सुरक्षा की बात कर रहे हैं. उन्होंने कई कार्यक्रमों और नारों में इस परम्परा और विचार का विरोध किया है कि अधिकांश भारतीय परिवार लड़कों को एक वरदान और लड़कियों को एक अभिशाप मानते हैं. उनके आह्वान पर शुरू किए गए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और SelfieWithDaughter अभियान एक पहल के रूप में बहुत अच्छे हैं.

भारत में परिवार की धारणा पवित्र मानी जाती है और यह संयुक्त या एकल परिवार में रहने से अलग नहीं है. अफसोस की बात है कि समाज में केवल पुरुष ही बच्चियों को दुर्भाग्य नहीं मानते बल्कि कुछ महिलाओं को भी ऐसा ही लगता है. इसमें प्राथमिक स्तर पर लगाव की कमी है- प्यार, सम्मान और समझ - एक घर में रिश्तों को ढीला छोड़ देती है.

विपरीत लिंग के लिए एक आदमी का प्यार और सरपरस्ती बुनियादी बातों से शुरू होनी चाहिए अपनी मां और बहनों से, अपनी पत्नी और बच्चों से. एक बच्ची केवल उसी परिवार में समृद्ध हो सकती है, जहां आदमी और औरत एक दूसरे का सम्मान और परवाह करते हैं. हमारे समाज में सिर्फ बेटियों को ही सुरक्षा की जरूरत नहीं है. हमें प्यार, देखभाल और सुरक्षा के इस भाव का विस्तार सभी आयु वर्ग की महिलाओं के लिए करने की जरूरत है. आप 40 साल की उम्र में #SelfieWithDaughter लेने में सक्षम हो सकते हैं लेकिन उसकी हिफाजत के लिए शारीरिक रूप से फिट नहीं हो सकते. हमारे मौजूदा सामाजिक हालात में तो ऐसा करने के लिए उसके पति और बच्चों की तरह किसी को होना चाहिए.

क्या मोदी की जिंदगी में यह सब करने की गुंजाइश है? मोदी परिवार को समर्पित आदमी नहीं हैं और वे केवल एक बच्ची होने की कल्पना ही कर सकते हैं. पिछले साल उन्होंने ऐलान किया था कि उनकी पत्नी है जिसकी उन्होंने कभी परवाह नहीं की. मोदी ने कम उम्र में शादी कर ली थी लेकिन वह उस उम्र में शादी करने वाले अकेले नहीं हैं. गांधी जी ने की, दूसरों ने भी की थी. यहां तक कि इस परिपक्व उम्र में भी मोदी कानूनी रूप से अपनी पत्नी को न तो साथ रखना चाहते हैं और न ही अलग करना. अब यह बात समझ पाना मुश्किल है कि कोई कैसे सोच सकता है कि उसकी पत्नी अकेले एक लड़की की देखभाल कर सकती है. अगर वह एक बच्ची के पिता होते तो उसे उसकी मां के बारे में क्या बताते? कि उन्होंने हमेशा उनका सम्मान किया या हमेशा उन्हें सामान समझा और नकार दिया?

मैं जानता हूं कि मोदी हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं. हिंदू धर्म जीवन में चार आश्रमों का पालन करने के लिए कहता है- ब्रह्मचर्य से गृहस्थ, ग़हस्थ से वानप्रस्थ और वहां से सन्यास. जब मोदी ने शादी के बाद भी गृहस्थ आश्रम को छोड़ने का फैसला किया तो क्या उन्होंने एक बार भी सोचा कि उनकी पत्नी को सुरक्षा कौन देगा? वह अपने राजनीतिक करिअर के लिए आंखें मूंदकर अपनी पत्नी को छोड़कर उससे दूर भाग गए. उनका राजनीतिक जीवन एक महिला और उसके जीवन की कीमत पर बंद नहीं हो जाता. वह जिंदगीभर ऐसे रहे जैसे कभी उनकी शादी हुई ही नहीं. मनुस्मृति की "ना स्त्री स्वतंत्र्य महंती" पंक्ति में भी पिता, पति, और पुत्र को महिला की रक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई है. मोदी के ऐलान से साफ है कि उनकी अंतरात्मा उन्हें बताती है कि उन्होंने एक लड़की से शादी की थी और मुझे उम्मीद है कि उनका सामान्य ज्ञान अब उन्हें इस बात का अहसास दिलाएगा कि उन्हें अपनी पत्नी को ऐसे छोड़ने का हक नहीं था.

क्या एक आदमी अपनी पत्नी के बारे में सोचे बिना #SelfieWithDaughter ले सकता है? जो एक छोटे से बच्चे को उनके घर लाई थी. प्रमोशनल वाक्यों और शब्दों को एक तरफ रख दें तो क्या मोदी बेटियों को छोड़कर सभी महिलाओं की सुरक्षा और देखभाल की तरफ ध्यान देंगे? अगर हां, तो उन्हें भारतीयों को प्रोत्साहित करने के लिए #SelfieWithWife अभियान शुरू करना चाहिए और सबसे पहले खुद इसकी शुरुआत चाहिए.

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लेखक

श्रीजीत पनिक्कर श्रीजीत पनिक्कर @sreejith.panickar

लेखक 'मिशन नेताजी' के संस्थापक सदस्य हैं.

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