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Updated: 20 सितम्बर, 2019 08:13 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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नया मोटर व्हीकल एक्ट 1 सितंबर से देश में लागू हो चुका है, लेकिन अभी तक सभी राज्यों की उस पर एक सहमति नहीं बन पाई है. कभी कोई राज्य नियमों को बदल रहा है तो कभी कोई. जिस राज्य को जैसे नियम ठीक लग रहे हैं, उस हिसाब से मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव कर के उसे लागू किया जा रहा है. दिलचस्प ये है कि जनता इसका विरोध नहीं कर रही है, लेकिन विपक्ष अपना काम बखूबी कर रहा है. हैरानी विपक्ष के विरोध से भी नहीं है, हैरानी इस बात पर जताई जा रही है कि भाजपा शासित राज्य भी मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए नियम में बदलाव करने में लगे हुए हैं. बल्कि इसकी तो शुरुआत ही पीएम मोदी के गृहराज्य गुजरात से हुई. अब सवाल ये उठता है कि आखिर केंद्र सरकार के फैसले का विरोध खुश भाजपा सरकारें ही क्यों कर रही हैं?

इस विरोध की वजह जानने के लिए मीडिया ने न सिर्फ राज्य सरकारों से बात की, बल्कि केंद्र सरकार से भी बात करनी चाही. खैर, पीएम मोदी और अमित शाह ने तो इस पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन पर्यटन मंत्री नितिन गडकरी को हर जगह इस पर सफाई देनी पड़ रही है. एक बार फिर इंडिया टुडे कॉन्कलेव कार्यक्रम में भी उनसे बात की गई तो यही सवाल पूछा गया. अब तक हर मौकों पर नितिन गडकरी मोटर व्हीकल एक्ट को राज्यों द्वारा बदल कर लागू करने के मामले को सतही तौर पर छू रहे थे, लेकिन इस बार उन्होंने सारे कंफ्यूजन क्लीयर कर दिए हैं.

मोटर वेहिकल एक्ट, नितिन गडकरी, नरेंद्र मोदीनितिन गडकरी ने साफ कर दिया है कि क्यों भाजपा शासित राज्यों द्वारा मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव करना विरोध नहीं है.

भाजपा सरकारों का विरोध नहीं है ये

पहली बात तो उनकी सफाई से निकल कर सामने आई, वो ये है कि भाजपा सरकारें मोटर व्हीकल एक्ट का विरोध नहीं कर रही हैं. उन्होंने साफ किया कि इस बिल का तो सोनिया गांधी और अरविंद केजरीवाल ने भी समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि राज्यों द्वारा नियमों में बदलाव करना विरोध नहीं हैं, बल्कि उन्हें इस कानून में इस बात की छूट मिली हुई है. वैसे भी, किसी भी भाजपा शासित राज्य ने नियम को लागू करने से मना नहीं किया, बल्कि उसमें बदलाव करते हुए उसे लागू किया. वैसे अगर पूरे देश की बात भी करें तो ये नियम हर राज्य को पसंद ही आया है. वो बात अलग है कि कुछ राज्यों ने शुरू में इसे लागू करने से मना किया था, लेकिन धीरे-धीरे नियमों में बदलाव कर के हर राज्य नए मोटर व्हीकल एक्ट को लागू कर रहा है.

नए कानून में राज्यों को है ये छूट

नितिन गडकरी ने साफ किया कि नए मोटर व्हीकल एक्ट में 7 जगह ये साफ लिखा है कि राज्य उन नियमों को अपने हिसाब से लागू कर सकते हैं. आपको बता दें कि एक्ट में 3 तरह की लिस्ट हैं, कॉन्करंट लिस्ट, सेंटर लिस्ट और स्टेट लिस्ट. सेंटर लिस्ट के नियम केंद्र तय करेगा, जबकि स्टेट लिस्ट के नियम राज्यों से निर्धारित होंगे. हालांकि, कॉन्करंट लिस्ट के नियमों को केंद्र भी बदल सकता है और राज्य भी. कॉन्करंट लिस्ट में ऐसे ही 7 नियम हैं, जिन पर फाइन केंद्र की ओर से निर्धारित होने के बावजूद राज्य सरकारें उसमें बदलाव कर सकती हैं. एक उदाहरण देते हुए गडकरी ने समझाया कि राज्य नशे में गाड़ी चलाने पर लगाए जाने वाले जुर्माने में बदलाव नहीं कर सकते हैं, लेकिन हेलमेट नहीं पहनने पर कितना जुर्माना लगाना है ये वो खुद ही तय करेंगे. कानून में इसकी सीमा 500-5000 है, अब वह चाहे 600 रुपए रख लें या फिर 4500 रख लें.

ट्रक का लाखों का चालान कैसे कटा?

पिछले दिनों दिल्ली में एक ट्रक का 2 लाख रुपए से भी अधिक का चालान काटा गया था. ये चालान काटे जाने का मामला काफी चर्चा में रहा था. इंडिया टुडे कॉन्कलेव में नितिन गडकरी ने उसका भी जिक्र किया और बताया कि आखिर उसका चालान 2 लाख रुपए तक कैसे पहुंचा. उन्होंने कहा कि जिस ट्रक का चालान काटा गया, उसका ड्राइवर नशे में था, ट्रक ओवरलोडेड था, उसका फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं था, प्रदूषण सर्टिफिकेट भी नहीं था और यहां तक कि ड्राइवर के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था. खैर, इन सबके बावजूद 2 लाख रुपए का चालान थोड़ा प्रैक्टिकल नहीं लगता, जिसकी वजह ये है कि उस राज्य ने मैक्सिमम सीमा का चालान काट दिया.

नितिन गडकरी ने इस पर सब कुछ साफ करते हुए कहा कि पिछले 30 साल से मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव नहीं हुआ था. अब अगर मान लें कि ऐसी ही स्थिति रही तो अगले 30 साल में भी बदलाव नहीं होगा, लेकिन जुर्माना वहीं का वहीं रुका ना रहे, इसलिए उसमें बदलाव की गुंजाइश रखी गई है. ये जुर्माना मिनिमम सीमा से मैक्सिमम सीमा तक है. यानी मैक्सिमम सीमा उस 30 साल को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, लेकिन अगर कोई राज्य उसे पहले ही साल में लागू कर दे यानी पहली ही बार में वह मैक्सिमम लिमिट उठा ले, तो इसे तो ट्रक का 2 लाख का चालान तो कटेगा ही.

नए मोटर व्हीकल एक्ट के लागू होने के बाद से ही सबसे अधिक सवाल इस बात पर उठ रहे थे कि क्या मोदी सरकार नितिन गडकरी को दबाने की कोशिश कर रही है? आखिर पीएम मोदी और अमित शाह इस मामले में नहीं बोल रहे तो क्या इसका मतलब ये है कि उन्होंने नितिन गडकरी को अलेगा छोड़ दिया है? इसे देखते हुए चुनाव से पहले के उन बयानों की भी बातें होने लगी थीं, जिसमें नितिन गडकरी ने ऐसी बातें बोल दी थीं, जो मोदी सरकार के खिलाफ जा रही थीं. लोग ये राय बनाने लगे थे कि नितिन गडकरी और मोदी-शाह के बीच सब कुछ ठीक नहीं है, लेकिन नितिन गडकरी ने मोटर व्हीकल एक्ट के कुछ कंफ्यूजन दूर कर के लोगों की सारी आशंकाओं को सिरे से खारिज कर दिया है.

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