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Updated: 30 नवम्बर, 2015 06:32 PM
मार्कंडेय काटजू
मार्कंडेय काटजू
  @justicekatju
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प्रधानमंत्री और बीजेपी के कुछ नेता भले कह दें कि 'सबका साथ, सबका विकास', लेकिन सच्‍चाई यह है कि बीजेपी कभी सहिष्‍णु नहीं हो सकती. क्‍योंकि सहिष्‍णु होना बीजेपी के लिए आत्‍महत्‍या करने जैसा है. बीजेपी की इस असहिष्‍णुता का कारण है उसका अगड़ी जातियों वाला वोटबैंक. लेकिन ब्राह्मण, राजपूत, बनिए, भूमिहार आदि मिलाकर 16-17 फीसदी ही होते हैं.

इतने वोटों से चुनाव नहीं जीते जाते. चुनाव जीतने के लिए 31-32 फीसदी वोट चाहिए होते हैं (50 फीसदी वोट की जरूरत नहीं होती, क्‍योंकि बाकी सब बंटे होते हैं). तो बीजेपी चुनाव जीतने के लिए सांप्रदायिक वैमनस्‍यता और असहिष्‍णुता फैलाती है, ताकि उसे पिछड़ी और दलित जैसी अन्‍य हिंदू जातियों के वोट मिले. 1984 में 2 सीटों वाली बीजेपी के 1999 तक 183 सीटों तक पहुंचने का राज आडवाणी की रथयात्रा और बाबरी मस्जिद आंदोलन में छुपा हुआ है. सांप्रदायिक भावनाएं उकसाने के लिए इन आंदोलनों को खड़ा किया गया था.

बीजेपी नेताओं, धार्मिक भावनाएं भड़काने और अल्‍पसंख्‍यकों के प्रति नफरत पैदा करने के लिए कुछ नया सोचो, वरना फिर 1984 जैसे हो जाओगे. 'पुन: मूषक भव'..

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लेखक

मार्कंडेय काटजू मार्कंडेय काटजू @justicekatju

लेखक सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एवं प्रेस कॉउन्सिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष हैं

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