New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 25 सितम्बर, 2019 03:06 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

दिल्ली में सरकार, आम आदमी पार्टी की और विपक्ष में भाजपा है. सत्ता के मद्देनजर दिल्ली में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच छत्तीस का आंकड़ा है. जल्द ही दिल्ली में चुनाव होने हैं. भाजपा की पूरी कोशिश है कि कैसे भी करके दिल्ली से आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सूपड़ा साफ़ कर दिया जाए. फिलहाल दिल्ली में 'आप' को छठी का दूध याद दिलाने की जिम्मेदारी भाजपा ने मनोज तिवारी को सौंपी है. पूर्व में कई मौके आए हैं जब अलग अलग मुद्दों को लेकर मनोज तिवारी ने अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला बोला है और उन्हें बड़ी मुसीबत में डाला है. दिल्ली समेत देश भर में प्याज की बढ़ी हुई कीमतों ने हाहाकार मचा रखा है. मनोज तिवारी विपक्ष में हैं तो उन्होंने प्याज के आसमान छूते दामों को मुद्दा बनाया है और एक ऐसा बेतुका ट्वीट कर दिया जिसके बाद ये समझना मुश्किल हो गया है कि अपने इस ट्वीट के जरिये वो केंद्र सरकार का बचाव कर रहे हैं या फिर इस ट्वीट का उद्देश्य दिल्ली सरकार का विरोध करना है.

मनोज तिवारी, दिल्ली, प्याज, अरविंद केजरीवालमनोज तिवारी के ट्वीट ने ये स्पष्ट कर दिया है कि वो राजनितिक रूप से अपरिपक्व हैं

एक ऐसे समय में जब प्याज की कीमत दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रही हो मनोज तिवारी मंडी गए थे और वहां उन्होंने न सिर्फ प्याज खरीदी बल्कि अलग अलग पोज में तस्वीरें भी क्लिक कराईं. तिवारी ने इन तस्वीरों को ट्वीट करते हुए लिखा है कि बिना मोल भाव के एक बार सब्ज़ी खरीदिये! यानी इस बात में तिवारी ने इस बात को स्वीकार किया है कि सब्जियों के दामों में इजाफा हुआ है.

मनोज तिवारी के इस ट्वीट को समझने के लिए देश के किसी भी आम आदमी को भले ही एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाना पड़े मगर तिवारी समर्थक यही बता रहे हैं कि अपने इस ट्वीट के जरिये मनोज तिवारी, अरविंद केजरीवाल को यही बताना चाह रहे हैं कि यदि दिल्ली में प्याज की कीमतें बढ़ी हैं तो इसकी एकमात्र वजह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं. तिवारी का आरोप है कि दिल्ली सरकार जमाखोरी पर लगाम लगाने में पूरी तरह विफल रही है और उसी के चलते प्याज की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है और अब बिना कटे ही प्याज दिल्लीवालों के आंसू निकाल रहा है.

तिवारी ने कहा कि दिल्ली में पिछले 10 दिनों के अंदर प्याज की कीमत 200 से 300 प्रतिशत तक बढ़ गई है. मुख्यमंत्री के संरक्षण में ही प्याज की कालाबाजारी हो रही है और इसे लेकर जनता में रोष है. केजरीवाल सरकार के कार्यकाल को घेरते हुए तिवारी ने ये भी कहा है कि पर इस सरकार ने पिछले 55 महीनों में दिल्ली के लोगों को सिर्फ आंसू ही दिए हैं और उनकी तकलीफें बढ़ाने का काम ही किया है. प्याज हर घर की रसोई की सबसे बड़ी जरूरत है और उसका दिन प्रतिदिन इस कदर महंगा होना चिंता का विषय है, लेकिन केजरीवाल सरकार लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों और दिक्कतों से बेखबर है.

तिवारी ने एक अजीब ओ गरीब ट्वीट किया था. प्रतिक्रियाओं का आना और आलोचना का होना लाजमी था. @imRahulAggarwal नाम के यूजर ने तिवारी को नसीहत देते हुए लिखा है कि कभी बिना कैमरे और पार्टी के लोगों के सब्जी खरीद के देखिये.

वहीं @rajinder2012 ने इस पूरे मामले के लिए देश के प्रधानमंत्री मोदी को घेरा है और अपने ट्वीट के जरिये कहा है कि ये सबकुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देख रेख में हो रहा है.

लोग आहत हैं क्योंकि उन्हें लगा रहा है कि अपनी तस्वीरें डालकर और उन तस्वीरों पर एक बेतुका सा कैप्शन डालकर मनोज तिवारी ने आम आदमी की मजबूरी का मखौल उड़ाया है.

आरोप प्रत्यारोप राजनीति के प्रमुख अस्त्र शस्त्र हैं. यदि केजरीवाल सरकार पर आरोप लगा ही रहे थे तो उन्हें इस बात को समझना चाहिए था कि केजरीवाल ने पहले ही इस बात की घोषणा कर दी थी कि वो दिल्ली वालों को सब्सिडी के तहत प्याज बेचेंगे. ज्ञात हो कि दिल्ली सरकार प्याज खरीद रही है जिसे 10 दिन के बाद बेचा जाएगा. इस मुद्दे पर जानकारी देते हुए खुद केजरीवाल ने बताया था कि दिल्ली सरकार 24 रुपए प्रति किलो की दर से दिल्ली वालों को प्याज मुहैया कराएगी. बताया गया था कि इस प्याज को जहां एक तरफ राशन की दुकानों पर बेचा जाएगा तो वहीं इसकी बिक्री के लिए अलग अलग जगहों पर मोबाइल वैन भी लगाई जाएंगी.

बाकी बात दिल्ली में प्याज की बढ़ी हुई कीमतों पर निकली है तो ये बताना भी जरूरी है कि केंद्र सरकार पहले ही दिल्ली सरकार को निर्देशित कर चुकी है कि वो अपने बफर स्टॉक से इसे ले और  नागरिक आपूर्ति विभाग और राशन की दुकानों के माध्यम से अधिकतम 23.90 रुपये प्रति किलोग्राम की गर पर बेचे.

बहरहाल बात की शुरुआत मनोज तिवारी के ट्वीट से हुई है.हम उन्हें यही सलाह देंगे कि एक कुशल राजनेता के लिए  सीधी बात करना बहुत जरूरी है. अपने ट्वीट में उन्होंने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है उसने केजरीवाल को तो कम मगर खुद उन्हें मुसीबत में डाल दिया है. साथ ही इस ट्वीट ने ये भी बता दिया है कि अभी वो राजनितिक रूप से अपरिपक्व हैं और उन्हें 'आरोप प्रत्यारोप' वाली राजनीति सीखने में अभी लंबा वक़्त लगेगा.

ये भी पढ़ें -

पर्यावरण तो बहाना है, ऑड-ईवन के दम पर चुनाव जीतना चाहते हैं केजरीवाल

मोदी-विरोधी ममता बनर्जी ने भी केजरीवाल वाला यू टर्न ले लिया!

सिर्फ 5 साल में इतना क्यों बदल गये केजरीवाल

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय