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Updated: 08 मई, 2020 08:17 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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एक ऐसे वक्त में जब कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते हुए लॉकडाउन (Lockdown) के मद्देनजर देश की एक बड़ी आबादी अपने घरों में रहने को बाध्य हो, और बाहर न निकल पाने के कारण बोरियत का सामना कर रही हो. देश में ऐसे लोग भी हैं जो रोजगार के संकट का सामना कर रहे हैं. ये लोग भूख के आगे बेबस हैं और पलायन (Migration ) करने पर मजबूर हैं. इन्हें हमारा समाज मजदूर (Workers ) कहता है. ये मजदूर रोटी और घर की चाह में अपनी जान की परवाह किये बगैर मीलों पैदल चल रहे हैं. मगर हर बार भाग्य इनपर मेहरबान हो और ये सही सलामत अपने घर पहुंच जाएं ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं है. इस कथन को समझने के लिए हम महाराष्ट्र के औरंगाबाद (Aurangabad Train Accident) का रुख कर सकते हैं. औरंगाबाद चर्चा में है. यहां ऐसा बहुत कुछ हुआ है जिसको सुनकर सख्त से सख्त जान सकते में आ जाए. औरंगाबाद से मध्य प्रदेश के लिए निकले 21 में से 16 मजदूरों की मौत उस वक़्त हुई जब ये लोग रेल की पटरी पर सो रहे थे. मजदूरों को एक मालगाड़ी ने रौंद दिया है.

Aurangabad, Lockdown, Migrant Workers, Death, Accident औरंगाबाद में 16 मजदूरों की मालगाड़ी की चपेट में आने के बाद राजनीति की शुरुआत हो गयी है

औरंगाबाद के जालना रेलवे लाइन के पास हुए इस हादसे ने पूरे देश को सकते में डाल दिया है. घटना पर आरोप प्रत्यारोप, राजनीति और बयानबाजी शुरू हो गयी है. मामले पर तमाम तरह के तर्क दिए जा रहे हैं.इन तर्कों को देखकर इतना तो साफ हो ही जाता है कि 16 मजदूरों की किसी को परवाह नहीं है. हर आदमी का अपना एजेंडा है और वो इस घटना को अपने एजेंडा की कसौटी पर खरा उतारने के लिए फिक्रमंद है.

घटना को लेकर पीएम मोदी ने अपना दुख व्यक्त किया है वहीं रेल मंत्री ने भी इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.

बता दें कि मरने वाले सभी मजदूर मध्य प्रदेश के हैं जो कि औरंगाबाद में रहकर मजदूरी कर रहे थे. लॉक डाउन हुआ तो इनके सामने रोजगार का संकट आ गया और रोटी के लाले पड़ गए. कहीं से कोई मदद न मिलने के बाद इन्होंने पैदल ही अपने घर जाने का फैसला किया और इसके लिए इन्होंने रेल की पटरी का सहारा लिया. बताया जा रहा है कि जिस समय ये घटना हुई ये लोग पटरी पर लेटे थे और थकान के कारण इन्हें नींद आ गयी थी. घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और रेलवे के अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं और जांच में जुट गए हैं.

वहीं मामले पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपना दुख प्रकट किया है और मृतक मजदूरों के परिवार वालों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है. साथ ही उन्होंने रेल मंत्री से बात कर घायलों की सहायता करने को कहा है.

मामला प्रकाश में आने के बाद रेलवे की ओर से बयान जारी किया गया है. दक्षिण सेंट्रल रेलवे के पीआरओ का कहना है कि औरंगाबाद में कर्माड के पास एक हादसा हुआ है, जहां मालगाड़ी का एक खाली डब्बा कुछ लोगों के ऊपर चल गया है. आरपीएफ और स्थानीय पुलिस मौके पर मौजूद है.

भारतीय रेलवे की ओर से इस हादसे को लेकर जो बयान जारी किया गया है, उसमें कहा गया है कि औरंगाबाद से कई मजदूर पैदल सफर कर आ रहे थे, कुछ किलोमीटर चलने के बाद ये लोग ट्रैक पर आराम करने के लिए रुके, उस वक्त मालगाड़ी आई और उसकी चपेट में कुछ मजदूर आ गए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी औरंगाबाद में हुए रेल हादसे पर दुख व्यक्त किया है. पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि औरंगाबाद में हुए रेल हादसे में जिनकी जान गई है, उससे काफी दुख पहुंचा है. पीएम मोदी ने इस हादसे के बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात की है और हालात का जायजा लेने को कहा है

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कारण हुए लॉक डाउन की सबसे बुरी मार उन मजदूरों पर पड़ी है जो अपने राज्य से दूर किसी दूसरे राज्य में हैं और फंस गए हैं. पूर्व में भी हम ऐसी तमाम तस्वीरें देख चुके हैं जब हमने हज़ारों की संख्या में पैदल ही मजदूरों को अपने अपने परिवारों के साथ अपने अपने घरों की तरफ जाते देखा है. साथ ही हम उन तस्वीरों को भी देख चुके हैं जिनमे सैकड़ों मजदूर रात बिताने के लिए रेलवे ट्रैक का सहारा लेते नजर आए.

ध्यान रहे कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने इस बात की इजाजत दे दी है कि मजदूरों को उनके राज्य वापस भेजा जाए.जिसके बाद राज्य सरकारों ने बसों की व्यवस्था कर अपने मजदूरों को बुलाया. इसके अलावा रेलवे की ओर से स्पेशल श्रमिक ट्रेन भी चलाई गई हैं, जो मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचा रही है.

बहरहाल जिस तरह ये मामला हमारे सामने आया है और जैसे इसपर राजनीति की शुरुआत हुई है साफ पता चल रहा है कि सत्ताधारी दल से लेकर विपक्ष तक किसी को मजदूरों की परवाह नहीं है और अब जो हो रहा है उसमें एक पक्ष अपनी कुर्सी बचा रहा है तो वहीं दूसरा पक्ष अपनी कुर्सी चमका रहा है.

मगर हमारी सरकारों को याद रखना चाहिए कि मजदूर हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं आज जैसे हम इन्हें खारिज कर रहे हैं हो सकता है कल हमें इसकी लंबी कीमत चुकानी पड़े और शायद तक हमारे पास सहेज कर रखने को कुछ न बचे.ये भी पढ़ें -

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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