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Updated: 05 मई, 2019 05:19 PM
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पांचवें दौर में छह मई को सात राज्यों के लोग वोट डालेंगे. जिन 51 सीटों पर वोटिंग होने जा रही है उनमें उत्तर प्रदेश की 14, बिहार की 5, राजस्थान की 12 के साथ ही पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश की 7-7 सीटें शामिल हैं.

पांचवें चरण में सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाली सीटें यूपी से ही हैं - अमेठी, रायबरेली और लखनऊ. 2014 में बीजेपी ने अमेठी और रायबरेली छोड़ कर 14 में से 12 सीटें जीती थी.

जिन प्रमुख नेताओं की किस्मत का जनता की अदालत में फैसला होने वाला है उनमें प्रमुख हैं - राहुल गांधी, सोनिया गांधी, स्मृति ईरानी, राजनाथ सिंह, जयंत सिन्हा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और अर्जुन मेघवाल.

1. अमेठी, उत्तर प्रदेश

पांचवें दौर के मतदान का मुख्य आकर्षण अमेठी संसदीय सीट है. गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में राहुल गांधी को बीजेपी की ओर से एक बार फिर स्मृति ईरानी चैलेंज कर रही हैं. 2014 में राहुल गांधी ने स्मृति ईरानी को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. खास बात ये रही कि हार के बावजूद स्मृति ईरानी अमेठी के लोगों से लगातार जुड़ी रहीं और मोदी सरकार ने भी विकास के कामों में उन्हें खूब सपोर्ट किया.

ये स्मृति ईरानी का असर ही समझा जाता है कि राहुल गांधी इस बार अमेठी के साथ साथ केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. प्रियंका गांधी वाड्रा अमेठी में प्रचार तो पहले से करती रही हैं, इस बार उनका ज्यादा जोर नजर आ रहा है. प्रियंका वाड्रा पर कांग्रेस के पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी है लेकिन बाकी जगहों के मुकाबले उनका अमेठी दौरा ज्यादा रहा है. प्रियंका की कोशिश ये भी रहती है कि जब भी वो अमेठी में रहें ऐसी कोई बात हो जिसे मीडिया अटेंशन पूरा मिले - और बहुत हद तक वो इसमें कामयाब भी रही हैं.

हाल ही में राहुल गांधी ने अमेठी के लोगों को एक इमोशनल चिट्ठी भी लिखी थी जिसमें समझाने की यही कोशिश रही कि जो कुछ उन्हें अमेठी से मिला है उसी के बूते वो वायनाड पहुंचे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2004 से अमेठी का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. सपा-बसपा गठबंधन ने अमेठी से कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है.

2. रायबरेली, उत्तर प्रदेश

प्रियंका वाड्रा वैसे तो अमेठी और रायबरेली दोनों जगह शुरू से चुनावी तैयारियों की निगरानी करती रही हैं, लेकिन सोनिया गांधी तबीयत खराब होने के चलते रायबरेली पर ज्यादा ध्यान देना पड़ा है. अमेठी की ही तरह रायबरेली भी गांधी परिवार का गठ रहा है - और सोनिया गांधी 2004 से रायबरेली की नुमाइंदगी कर रही हैं. 1999 से 2004 तक सोनिया गांधी का चुनाव क्षेत्र अमेठी रहा जिसे उन्होंने बेटे राहुल गांधी को सौंप दिया है.

rahul gandhi, sonia gandhiरायबरेली के मुकाबले अमेठी ज्यादा मुश्किल हो गयी है...

अमेठी और रायबरेली की लड़ाई अभी तक तो एकतरफा ही रही है, लेकिन इस बार मामला बिलकुल अलग है. बीजेपी ने रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है जो कभी गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे हैं. 2018 में दिनेश प्रताप सिंह अपने भाइयों के साथ बीजेपी में शामिल हो गये थे. दिनेश सिंह पांच भाई हैं और खुद को पांच पांडव भी कहा करते हैं.

सोनिया गांधी ने पिछली बार बीजेपी के अजय अग्रवाल को साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. अमेठी की ही तरह सपा-बसपा गठबंधन ने रायबरेली से भी अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है.

3. लखनऊ, उत्तर प्रदेश

लखनऊ से केंद्रीय गृह मंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके राजनाथ सिंह बीजेपी के उम्मीदवार हैं. ये सीट 28 साल से बीजेपी के पास बनी हुई है. यह सीट 28 साल से बीजेपी के कब्जे में है. 1991 से 2009 तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यहां से सांसद रहे. 2009 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार के मौजूदा राज्यपाल लालजी टंडन यहां से चुनाव जीते. राजनाथ सिंह लखनऊ से दूसरी पर चुनाव लड़ रहे हैं. 2014 में राजनाथ सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं रीता बहुगुणा जोशी को पौने तीन लाख वोटों से हराया था. फिलहाल रीता बहुगुणा जोशी योगी सरकार में मंत्री हैं.

smriti irani, rajnath singhलखनऊ की ही तरह अमेठी में फतह की तैयारी...

लखनऊ से सपा-बसपा गठबंधन ने पूनम सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है. पूनम सिन्हा बीजेपी से कांग्रेस में चले गये शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी हैं - और खुद कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब से उम्मीदवार होने के बावजूद सिन्हा पत्नी धर्म निभाने के लिए लखनऊ में नामांकन के दिन से ही डटे हुए हैं. कांग्रेस के टिकट आचार्य प्रमोद कृष्णम चुनाव लड़ रहे हैं. आचार्य प्रमोद कृष्णम राम जन्मभूमि आंदोलन में भी विशेष दिलचस्पी रखते हैं - और सक्रिय भी रहे हैं.

4. बहराइच, उत्तर प्रदेश

बहराइच संसदीय सीट पर 2014 में जीत तो बीजेपी को ही मिली थी, लेकिन इस बार उसे प्रत्याशी बदलना पड़ा है. बीजेपी सांसद सावित्री बाऊ फुले पिछले साल बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस में चली गयीं और इस बार कांग्रेस की उम्मीदवार हैं.

2014 में सावित्री बाई फुले ने समाजवादी पार्टी के शब्बीर अहमद को करीब 95 हजार वोटों से हराया था. शब्बीर अहमद इस बार सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार हैं.

सावित्री बाई फुले दलितों के मुद्दे पर बीजेपी नेतृत्व काफी दिनों तक निशाने पर रखा - और एक बार उनके बीएसपी में भी जाने को लेकर चर्चा रही, लेकिन आखिरकार कांग्रेस का ही हाथ सहारा बना.

5. हाजीपुर, बिहार

बिहार की हाजीपुर लोक सभा सीट केंद्रीय मंत्री और एलजेपी नेता रामविलास पासवान का इलाका रहा है. हाजीपुर रामविलास पासवान के रिकॉर्ड वोटों से जीतने का भी गवाह बना है. मौजूदा सांसद रामविलास पासवान इस बार लोक सभा का चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. एनडीए के साथ पासवान का समझौता हुआ है कि राज्य सभा की जो भी सीट पहले खाली होगी बीजेपी उन्हें उम्मीदवार बनाएगी.

हाजीपुर से एलजेपी के टिकट पर नामांकन तो पशुपति कुमार पारस ने किया है लेकिन अभी तक किसी को लगा नहीं कि उनके भाई रामविलास पासवान चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. रामविलास पासवान भाई पशुपति कुमार पारस की जीत पक्की करने के लिए लगातार चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं.

हाजीपुर की लड़ाई को लोग पासवान बनाम लालू प्रसाद की प्रतिष्ठा की लड़ाई के तौर पर भी देख रहे हैं. आरजेडी ने इसी इलाके के विधायक शिवचंद को टिकट दिया है. शिवचंद लालू प्रसाद और राबड़ी के बेहद करीबी बताये जाते हैं. यही वजह है कि मुकाबले पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.

6. सारण, बिहार

बिहार की सारण सीट भी अपना आकर्षण है. बीजेपी की ओर से तो राजीव प्रताप रूडी मैदान में हैं, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल की ओर से चंद्रिका राय चुनौती दे रहे हैं. लालू प्रसाद के समधी और उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय को लेकर लालू परिवार में तनाव बना हुआ है. तेज प्रताप का उनकी पत्नी ऐश्वर्या से तलाक का मुकदमा चल रहा है और वो शुरू से ही चंद्रिका राय की उम्मीदवारी का विरोध करते आ रहे हैं.

सारण में हालत ये है कि तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव दोनों चंद्रिका राय के पक्ष और विरोध में आमने सामने खड़े हो गये हैं. यही बात सारण सीट के मुकाबले की ओर लोगों का ध्यान खींच रही है.

7. मधुबनी, बिहार

मधुबनी से वीआईपी यानी विकासशील इंसान पार्टी के बद्री कुमार पूर्वे उम्मीदवार हैं तो कांग्रेस के सीनियर नेता रहे शकील अहमद निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हैं.

बीजेपी ने पांच बार के सांसद हुकुमदेव नारायण यादव को तो मना कर दिया, लेकिन उनके बेटे अशोक यादव को उम्मीदवार भी बना दिया. इस तरह मधुबनी में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

8. हजारीबाग, झारखंड

हजारीबाग से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा को फिर से उम्मीदवार बनाया है. जयंत सिन्हा पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे हैं लेकिन अब उन्होंने बीजेपी छोड़ दिया है.

जयंत सिन्हा हाल फिलहाल अंतर्राष्ट्रीय आतंवादी मसूद अजहर को जी लगा कर संबोधित करने को लेकर सुर्खियों में हैं. जयंत सिन्हा के खिलाफ कांग्रेस ने गोपाल साहू को टिकट दिया है. सीपीआई की ओर से पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता भी किस्मत आजमा रहे हैं.

9. लद्दाख और अनंतनाग, जम्मू कश्मीर

लद्दाख सीट पर कुल चार उम्मीदवार मैदान में हैं. बीजेपी ने इस बार लद्दाख से जामियांग सीरिंग नाम्गयाल को टिकट दिया है. 2014 में बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल करने वाले थुपस्तांग छिवांग पहले ही बीजेपी छोड़ चुके हैं.

लद्दाख से दो निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं - सज्जाद कारगिली व असगर अली करबलई. निर्दलीय होने के बावजूद कोई इन्हें हल्के में नहीं ले रहा है. पिछली बार बीजेपी उम्मीदवार की जीत महज 36 वोटों से हुई थी.

अनंतनाग सीट पर पांचवे दौर में मतदान होंगे. जम्मू कश्मीर की इस सीट पर तीनों चरणों में वोट डाला जाना तय किया गया था. अनंतनाग से पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती चुनाव लड़ रही हैं. महबूबा मुफ्ती के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ये सीट खाली रही है क्योंकि उसके बाद उपचुनाव भी नहीं कराया जा सका है. पुलवामा भी अनंतनाग में ही आता है जहां 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादी हमला हुआ था.

10. खजुराहो, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश की खजुराहो लोक सभा सीट पर मुकाबला बहूरानी बनाम जमाई के रूप में बताया जा रहा है. ये रूप बीजेपी ने दिया है क्योंकि कांग्रेस उसके उम्मीदवार को बाहरी बता कर प्रचारित करने लगी थी.

कांग्रेस उम्मीदवार कविता सिंह असल में छतरपुर राजघराने की बहू हैं जो खुद को स्थानीय बता कर वोट मांगती आयी हैं. बीजेपी के विष्णुदत्त शर्मा रहने वाले मुरैना के हैं लेकिन उनकी पत्नी का ननिहाल छतरपुर में है - और इसी नाते बीजेपी शर्मा को दामाद के तौर पर पेश कर रही है. समाजवादी पार्टी ने भी यहां से वीर सिंह को टिकट दिया है जो मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

पांचवें दौर में राजस्थान की भी कई सीटों पर नजर रहेगी. राजस्तान के अंतिम दौर की वोटिंग में केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (जयपुर ग्रामीण) और अर्जुन मेघवाल (बीकानेर) के अलावा ओलंपियन कृष्णा पूनिया (जयपुर ग्रामीण) और भंवर जितेंद्र सिंह (अलवर) की किस्मत भी ईवीए के हवाले होने वाली है. इसी तरह मध्य प्रदेश की दमोह सीट से बीजेपी उम्मीदवार प्रहलाद पटेल की उम्मीदवारी भी महत्वपूर्ण है.

पांचवें चरण में कुल 674 उम्मीवादर चुनाव मैदान में हैं. छठे और सातवें दौर में बची हुई 118 सीटों पर मतदान होना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 19 मई को आखिरी दौर में वोटिंग होनी है.

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