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Updated: 26 मई, 2019 08:05 PM
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Lok Sabha Election 2019 Results| 2019 चुनावों ने एक बात साबित कर दी कि कांग्रेस को दोबारा उठकर खड़े होने में बहुत समय लग जाएगा. Congress ने 2019 में 52 सीटें जीती हैं. 2019 और 2014 के आम चुनावों के मामले में Congress और BJP की टक्कर का आंकलन किया जाए तो ये समझना मुश्किल नहीं होगा कि इस बार कांग्रेस की हालत ज्यादा खराब है. Rahul Gandhi ने इस्तीफे की बात भी की थी, लेकिन पार्टी ने उसे अस्वीकार कर दिया. जिस तरह से कांग्रेस दूसरी बार हारी है वो बता रहा है कि कहीं न कहीं कुछ कमी रह गई.

कांग्रेस पार्टी ने इन चुनावों में 52 सीटों जीती जो 2014 के चुनावों के मुकाबले 8 ज्यादा हैं. पर कांग्रेस का वोट शेयर जो 2014 में था वो वैसा ही है. 19.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ कांग्रेस को इस बार भी चुनाव में असफलता मिली. चौंकाने वाली बात ये है कि इस बार पिछली बार के मुकाबले कांग्रेस की तरफ से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा गया था. जहां 8 सीटों की बढ़त कांग्रेस के लिए 2019 को 2014 के मुकाबले अच्छा बताती है वहीं 2019 के असल आंकड़े कुछ और ही तस्वीर दिखाते हैं.

2019 में कांग्रेस के चुनावी रिकॉर्ड पर नजर डालें तो...

यहां तीन अहम बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत है. पहला पार्टी की जीत का औसत कम हो गया है. पार्टी काफी कम अंतर से जीती है.

कांग्रेस ने 2019 में जिन 52 सीटों को जीता है उसमें पार्टी की जीत का मार्जिन सिर्फ 8.6 प्रतिशत रहा है. ये पिछली बार यानी 2014 के आम चुनावों के मुकाबले 5 प्रतिशत कम है. 2014 में 44 सीटें जीतने के बाद भी कांग्रेस का मार्जिन 13.6 प्रतिशत था.

दूसरी बात ये कि भाजपा और कांग्रेस के बीच लड़ाई इस बार ज्यादा गहरी थी. 2014 में दोनों पार्टियों ने एक दूसरे से 189 सीटों पर सीधी टक्कर ली थी. इसमें से भाजपा ने 166 को जीता था और उसका स्ट्राइक रेट 88 प्रतिशत था.

2019 में यही 192 सीटों पर था और इसमें से भाजपा ने 176 सीटों पर विजय हासिल की और स्ट्राइक रेट पिछली बार से भी ज्यादा होकर 92 हो गया. ये दिखाता है कि भाजपा का परफॉर्मेंस बढ़ा है और इसका सीधा मतलब है कि कांग्रेस का कम हुआ है.

कांग्रेस के मुकाबले भाजपा का हर सीट पर अच्छा प्रदर्शन रहा और 92% सीटें जीतीं.कांग्रेस के मुकाबले भाजपा का हर सीट पर अच्छा प्रदर्शन रहा और 92% सीटें जीतीं.

तीसरा ये कि 2019 में कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी स्थिति में थी. या तो यहां जीतना था या फिर रनर अप तो रहना था. ऐसा 262 सीटों के साथ हुआ जहां कांग्रेस पहली या दूसरी जगह पर रही, लेकिन यही आंकड़ा 2014 में 268 सीटों का था और 2009 में 350 सीटों का. 426 सीटों में जहां कांग्रेस लड़ी है उसमें से 141 में वो तीसरे या चौथे नबंर पर थी.

कांग्रेस की हालत ऐसी है कि उसे 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक भी सीट नहीं मिली. आंद्रप्रदेश, लक्षद्वीप, दिल्ली, दमन, दादर और नागर हवेली, चंडीगढ़, उत्तराखंड, त्रिपुरा, सिक्किम, राजस्थान, नागालैंड, मनीपुर, हिमाचल प्रदेश, हरयाणा, गुजरात और अरुणांचल प्रदेश.

इसके अलावा, कांग्रेस प्रेसिडेंट राहुल गांधी का अमेठी में हारना बेहद निराशाजनक रहा है. वो पार्टी का गढ़ था और ऐसे में राहुल गांधी की हार एक सांकेतिक हार है. पार्टी को थोड़ी सी राहत सिर्फ दक्षिण से मिली है.

केरल में कांग्रे और अन्य सहयोगी पार्टियों ने 20 में से 19 सीटें जीतीं. राहुल गांधी खुद केरल से जीतकर वायनाड के सांसद के तौर पर संसद पहुंचेंगे.

राहुल गांधी सिर्फ तीन ही राज्यों में बेहतर नेता माने गए.राहुल गांधी सिर्फ तीन ही राज्यों में बेहतर नेता माने गए.

India Today-Axis My India post poll स्टडी के डेटा के अनुसार तीन दक्षिण राज्यों के तमिलनाडु, केरल और आंद्रप्रदेश के अलावा राहुल गांधी से ज्यादा नरेंद्र मोदी ही लोकप्रिय रहे हैं.

पंजाब और तेलंगाना में दोनों नेताओं के बीच का अंतर कम रहा है, लेकिन अन्य सभी जगह राहुल गांधी के मुकाबले नरेंद्र मोदी ही लोकप्रिय नेता रहे हैं.

(ये स्टोरी सबसे पहले Indiatoday.com के लिए समर्थ बंसल ने की थी.)

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