New

होम -> सियासत

बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 30 सितम्बर, 2019 09:46 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
  • Total Shares

भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार ने जो लड़ाई लड़ी, मुहिम चलाई, उसी का नतीजा है कि पहले 2014 में जनता ने उन्हें प्रचंड बहुमत से जिताया और फिर 2019 में पीएम मोदी को ऐतिहासिक जीत का हकदार बना दिया. लोग मोदी सरकार को इसी वजह से पसंद करते हैं, क्योंकि ये सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ती है, गलत व्यक्ति को सजा दिलाती है, ना कि उसे बचाती है. लेकिन लोगों को अब भाजपा की फितरत में कुछ बदलाव सा दिख रहा है. दरअसल, भाजपा के सत्ता में आने के बाद बहुत सारी पार्टियों के नेताओं में अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा है. इन नेताओं में वह भी हैं, जिन्हें कल तक भाजपा ही भ्रष्ट कहती थी. कुछ पर तो मुकदमे तक चल रहे थे, यहां तक की ईडी और सीबीआई तक का शिंकजा कस रहा था, लेकिन कहते हैं ना कि गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं. उसी तरह, कई बड़े-बड़े नेताओं में भाजपा की गंगा में डुबकी लगाई और कल तक दागी कहे जाने वाले ये नेता पवित्र हो गए हैं.

भाजपा में शामिल होकर दाग धोने वालों में ताजा नाम कर्नाटक के बल्लारी से पूर्व विधायक अनिल एच लाड का हो सकता है. उन्होंने इस बात का इशारा कर दिया है कि वह भाजपा में शामिल होने के लिए तैयार हैं. लेकिन सवाल है कि आखिर क्यों? एक हारे हुए प्रत्याशी से भाजपा को ऐसा कौन सा फायदा होने वाला है कि उसे पार्टी में शामिल किया जा सकता है? और अगर वह भाजपा में जा ही रहे हैं तो अपनी कुछ शर्तों का पुलिंदा भी तो पेश किया ही होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल, इस डील में (इसे डील ही कहना सही रहेगा) अनिल लाड ने अपना फायदा देखा है. खैर, अभी वह भाजपा में शामिल हुए नहीं हैं, सिर्फ इसकी अटकलें लगाई जा रही हैं. ये देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा अपनी पार्टी में एक और दागी नेता को लाती है या नहीं.

भाजपा, भ्रष्टाचार, मोदी सरकारजिन्हें कल तक भाजपा ही भ्रष्ट कहती थी, वह भाजपा में ही शामिल होकर आरोपों से मुक्त हो गए हैं.

अनिल लाड: अपने स्वार्थ के लिए जा रहे भाजपा में !

इन दिनों अनिल लाड पर सीबीआई का शिकंजा कस रहा है. आयरन ट्रेड के एक मामले में सीबीआई उनके खिलाफ सुबूत जुटा रही है. वहीं अनिल लाड सीबीआई के बचने के तरीके खोजने में लगे हुए हैं, दोस्तों और वकीलों से सलाह ले रहे हैं. इसी बीच खबर ये है कि बेलेकेरी पोर्ट के आयरन ट्रेड मामले कुछ अन्य आरोपियों ने अनिल लाड को भाजपा में शामिल होने की सलाह दी है, वो भी बिना किसी शर्त के. वैसे भी, बिना फायदे के कोई अपनी पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी में क्यों जाएगा? अनिल के पीछे सिर्फ सीबीआई ही नहीं, बल्कि ईडी और आयकर विभाग भी पड़े हुए हैं. ऐसे में या तो वह विदेश भागकर कुछ दिन के लिए बच सकते हैं, या फिर भाजपा में शामिल होकर हमेशा के लिए अपने दाग धो सकते हैं और भ्रष्टाचार का पाप से मुक्त हो सकते हैं. ऐसा यूं ही नहीं कहा जा रहा. पहले भी बहुत से नेता भाजपा में शामिल होकर पवित्र हो चुके हैं, आइए एक नजर डालते हैं उन पर.

आंख का तारा बनने को बेताब बुक्कल नवाब

एक वक्त था जब समाजवादी पार्टी में बुक्कल नवाब की तूती बोलती थी. सरकार सत्ता से क्या गई, उन्हें अपने रुतबे में कमी होती दिखने लगी. देखते ही देखते उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और अगस्त 2017 में भाजपा में शामिल हो गए. जब तक वह समाजवादी पार्टी में थे, वह लखनऊ में रिवर फ्रंट मामले में भ्रष्टाचार के आरोपी थे. आरोप था कि उन्होंने अपनी जमीन के बदले गलत तरीके से 8 करोड़ रुपए लिए. लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद उन पर लगे सारे आरोप ये कहते हुए खारिज कर दिए गए कि वह एक राजनीतिक साजिश का शिकार हो रहे थे, जिसके जरिए उनकी छवि को जनता के बीच में धूमिल किए जाने की कोशिश की जा रही थी. अब वह हर वो कोशिश कर रहे हैं, जिससे वह भाजपा की आंख के तारे बन जाएं. वह हिंदुत्व के एजेंडे से पार्टी को आगे ले जाने की तमाम कोशिशें कर रहे हैं. वैसे भी, पार्टी ने उनके लिए जो किया है, उसका अहसान तो चुकाना ही होगा.

मुकुल रॉय पर आरोपों की लिस्ट लंबी है

3 नवंबर 2017 को को मुकुल रॉय ने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया. इससे पहले जब तक वह तृणमूल कांग्रेस में थे, वह शारदा घोटाले के आरोपी थे. सीबीआई से लेकर ईडी तक उनके पीछे हाथ धोकर पड़े थे, पूछताछ तक हो चुकी थी, लेकिन अब वो सब बीती बातें हो गई हैं. जैसे ही उन्होंने भाजपा में कदम रखा, उन्हें सरकार की तरफ से वाई प्लस सुरक्षा दे दी गई. खैर, भले ही वह शारदा घोटाले से बच गए हों, लेकिन नारद टेप स्कैंडल में सीबीआई उनसे अभी भी पूछताछ करती रहती है. ये देखना दिलचस्प रहेगा कि वह नारद टेप स्कैंडल से कब तक बाइज्जत बरी होते हैं. वैसे भाजपा भी ये अच्छे से जानती है कि मुकुल रॉय के दामन में दाग हैं. यही वजह है कि जब भाजपा के दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में मुकुल रॉय का स्वागत करने के लिए रविशंकर और कैलाश विजयवर्गीय थे, उस दौरान भी उनका स्वागत काफी फीका था. किसी समर्थक ने नारेबाजी तक नहीं की, क्योंकि सभी जानते हैं कि मुकुल रॉय दागी हैं, जो भाजपा में शामिल होकर खुद को पाक साफ बनाना चाहते हैं.

पूर्व आरोपी हेमंत बिस्‍वा शर्मा अब भाजपा के चहेते

असम में 2016 में विधानसभा चुनाव होने वाले थे. इससे कुछ समय पहले अगस्त 2015 में हेमंत बिस्‍वा शर्मा ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का साथ ले लिया था. आज वो असम सरकार में मंत्री भी हैं. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस छोड़ने से महज महीने भर पहले 21 जुलाई 2015 को ही भाजपा ने एक बुकलेट जारी की थी. उसमें साफ कहा गया था कि वॉटर सप्लाई स्कैम का प्रमुख संदिग्ध गुवाहाटी डेवलपमेंट डिपार्टमेंट है. बता दें कि उस समय इस विभाग के प्रभारी हेमंत बिस्‍वा शर्मा ही थे. इस प्रोजेक्ट में लुईस बर्जर कंपनी की सेवाओं पर सवाल उठे थे. यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट की जांच में यह खुलासा भी हुआ था कि अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी लुईस बर्जर ने असम के कुछ बड़े अफसरों और नेताओं को घूस खिलाकर ठेका हासिल किया था. खैर, अब उनके दामन पर दाग नहीं हैं. आखिरकारि उन्हीं की बदौलत तो असम में भाजपा की सरकार बनी. भाजपा ने भी उनकी मेहनत पर उन्हें स्वास्थ्य मंत्री का पद दे दिया.

नारायण राणे भाजपा में आने की कोशिश में

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे काफी समय से भाजपा में आने के चक्कर में हैं. सितंबर 2017 में ही उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी और अपनी खुद की पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष शुरू की, जो आज एनडीए का हिस्सा है. 2018 में उन्होंने भाजपा को समर्थन दे दिया और राज्य सभा में नॉमिनेट भी हो गए. महाराष्ट्र चुनाव से पहले एक बार फिर ये चर्चा हो रही थी कि वह 1 सितंबर को भाजपा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन शिवसेना को ये रास नहीं आया. यानी वह भाजपा के साथ तो हैं, लेकिन भाजपा में शामिल नहीं हो पा रहे हैं. शिवसेना में रहते हुए राणे 1999 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. भाजपा उन्हें इसलिए अपनी पार्टी में लेना चाहती है क्योंकि मराठा समुदाय के राणे की कोंकण क्षेत्र में तगड़ी पकड़ है और भाजपा इस बात का चुनावी फायदा उठाना चाहती है.

नारायण राणे की जब भी बात होती है तो आदर्श घोटाला जेहन में घूमने लगता है. आरोप है कि वह उस घोटाले में शामिल थे. उस दौरान राणे भाजपा-शिवसेना की सरकार में रेवेन्यू मिनिस्टर थे. इस मामले में उन पर मुकदमा भी चल रहा है. अब जब भी बात होती है नारायण राणे की तो विरोधी पार्टियां भाजपा को ये कहकर कोसती हैं कि वह आदर्श घोटाले के आरोप को पार्टी में शामिल कर रहे हैं. हाल ही में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में भी महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को नारायण राणे को लेकर पार्टी को बचाते हुए सफाई देनी पड़ी थी.

आपको पिछले दिनों वायरल हुआ एक वीडियो जरूर याद होगा, जिसमें एक सरकारी अधिकारी को पुल से बांधा गया और उस पर कीचड़ फेंका गया. ये सब किया था नारायण राणे के बेटे नितेश राणे ने. कीचड़ भले ही सरकारी अधिकारी पर फेंका गया था, लेकिन उसके छीटे नारायण राणे के दामन पर भी पड़े. यही वजह है कि बेटे की गलती के लिए पिता को भी माफी मांगनी पड़ी.

हिमाचल राजनीति के चाणक्य सुखराम और उनके बेटे अनिल

अक्टूबर 2017 में हिमाचल प्रदेश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले सुखराम भाजपा में शामिल हो गए थे. अपने साथ वह अपने बेटे अनिल शर्मा को भी भाजपा ले गए. आपको बता दें कि सुखराम का नाम दुरसंचार घोटाले में सामने आया था, जिसके बाद उन्हें कांग्रेस से निकाल दिया गया. अब सुखराम के भाजपा में शामिल होते ही उन पर लगे सारे आरोप खत्म से हो गए हैं. दिलचस्प है कि भाजपा ने दूरसंचार घोटाले में शामिल सुखराम मामले पर करीब दो सप्ताह तक संसद नहीं चलने दी थी. भाजपा प्रवक्ता के तौर पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा दिया- 'सुखराम के खिलाफ मामले बहुत पुराने हैं. जो बीत गई, वह बात गई. कानून अपना काम करेगा'. भाजपा वाकई अब गंगा ही बन गई, जिसमें डुबकी लगाते ही सबके पाप धुल जाते हैं.

ये भी पढ़ें-

शरद पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति में पेंच फंसाया और खुद भी फंस गये!

पाकिस्तानियों को जेहाद के झाड़ पर चढ़ा तो रहे हो इमरान, उतारोगे कैसे?

आतंक के सबूत चाहिये थे - UN में तो इमरान ने जुर्म ही कबूल कर लिया!

लेखक

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय