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Updated: 23 फरवरी, 2022 10:48 PM
रमेश ठाकुर
रमेश ठाकुर
  @ramesh.thakur.7399
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मुसीबत बताकर नहीं आती, दबे पांव दस्तक देती है. जैसे, राह चलते पीछे से आकर अचानक कोई सांड जोरदार टक्कर मार दे, संभलने तक का मौका ना दे. ठीक ऐसा ही इस वक्त दिल्ली की सियासत में हुआ है. कवि कुमार विश्वास ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ऐसा रायता फैला दिया है जिसे समेटना उनको और उनकी पार्टी के लिए चुनौती हो गया है. पंजाब से लेकर दिल्ली तक राजनीति में भूचाल आया हुआ है. उनकी विरोधी पार्टियों जैसे भाजपा और कांग्रेस को बैठे-बिठाए मुद्दा हाथ लग लगा. पंजाब चुनाव के तुरंत बाद दिल्ली में नगर निगम के चुनावों का बिगुल बज जाएगा. कुमार ने अरविंद केजरीवाल को खालिस्तानियों का समर्थक बताया है. आरोप कोई छोटा नहीं है, बड़ा है. खालिस्तान वह आतंकवाद है जिसने कभी न सिर्फ पंजाब में खून बहाया था, बल्कि कई अन्य जगहों पर इनका खुलेआम अत्याचार था. ऐसे आंतकियों के समर्थकों को भला कोई कैसे बर्दाश्त करेगा.

Arvind Kejriwal, Kumar Vishwas, Aam Aadmi Party, Khalistan, Punjab Assembly Election, Allegation, BJP, Delhiकेजरीवाल को खालिस्तान समर्थक बताकर कुमार विश्वास ने आम आदमी पार्टी कर दिया है

बहरहाल, अगर मौजूदा चुनाव की बात करें तो पंजाब में आम आदमी पार्टी की स्थिति इस बार अच्छी दिखी, पर इस गर्मागर्म देशविरोधी मसले ने सब गुड़ गोबर कर दिया. इस पर केजरीवाल क्या, उनकी पार्टी के किसी दूसरे नेता को भी सफाई देती नहीं बनी. हां, विधायक राघव चड्ढा ने जरूर खुलकर कुमार विश्वास से मोर्चा लिया है. लेकिन उन्हें चिंटू कहकर कुमार ने और बिलबिला दिया.

कुमार ने केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि जब वह पार्टी में थे, तो खालिस्तानी लोग उनसे मिलने दिल्ली आते थे और पंजाब को लेकर बातचीत करते थे, जिसका वह विरोध करते थे. उनको पार्टी से निकालने को मुख्य कारण यही था. जबकि केजरीवाल एंड पार्टी कहती है कि कुमार को राज्यसभा नहीं भेजा इसलिए खुन्नस निकाल रहे, अनर्गल और बेबुनियाद आरोप लगाते फिर रहे हैं.

फिलहाल खालिस्तान मुद्दे के बाद केजरीवाल पर सियासी हमले तेज हो गए हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री चरण सिंह चन्नी ने तो केंद्र सरकार से आरोपों पर जांच के लिए गुहार भी लगाई है. उन्होंने साफ कहा है केजरीवाल खालिस्तानियों के जरिए पंजाब को फिर रक्तरंजित करना चाहते हैं. अपने पर लगे आरोपों पर फिलहाल केजरीवाल ने चुप्पी साधी हुई है.

इसके सिवाए कुछ दूसरा चारा भी नहीं, अगर चुप्पी तोड़ेंगे तो माहौल और गर्म होगा. लेकिन चुनाव के ऐन वक्त पर उन पर लगे आरोप निश्चित रूप नुकसान पहुंचाएंगे. कुमार के आरोप ने पंजाब की बाजी पलट दी है. अगर पंजाब में केजरीवाल की पराजय होती है तो उसमें कुमार के आरोपों की मुख्य भूमिका कही जाएगी. रविवार को पंजाब में चुनाव संपन्न हुए, इसलिए केजरीवाल ने कुमार के आरोपों पर सफाई देना उचित नहीं समझा.

लेकिन अब चुनाव हो चुके हैं. हो सकता है अब वह खुलकर कुछ कहें, या फिर कोई कानूनी प्रक्रिया का सहारा लें, मानहानि का दावा करने की बात तो राघव चड्डा बोल ही चुके हैं. पर, इतना तय है, इन आरोपों की तपिश जल्द शांत होने वाली नहीं. बात निकली है तो दूर तलक जाएगी?

केजरीवाल बीते शुक्रवार को एक और नई मुसीबत में फंस गए. उनकी एक महिला पार्षद गीता रावत को सीबीआई ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया. पार्षद एक मुंगफली बेचने वाले से इलाके में अवैध धन उगाही करवाती थी जिसकी शिकायत सीबीआई को हुई. सीबीआई ने जाल बिछाकर मुंगफली वाले के जरिए पार्षद को रिश्वत के धन के साथ पकड़ा.

इससे पार्टी को बड़ा धक्का लगा है. क्योंकि केजरीवाल शुरू से ईमानदार राजनीति करने की बात कहते आए हैं, लेकिन उनके नेताओं का रिश्वतखोरी में पकड़े जाने का मतलब है उनके ईमानदारी वाले सर्टिफिकेट पर बदनुमा दाग लगवाना. ये गिरफतारी उस वक्त हुई है जब दिल्ली नगर निगम चुनाव बिल्कुल दहलीज पर हैं. कुछ ही दिनों में चुनावी बिगुल बजने वाला है. ये मुद्दा निगम चुनाव में उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है.

उपरोक्त दोनों घटनाओं को सुनकर लोग बेहद आहत हैं. केजरीवाल ने राजनीति को बदलने और कुछ नया करने का वादा किया था. लेकिन आज वह दूसरी पार्टियों के नक्सेकदम पर चल पड़े हैं. उनकी विकल्प की राजनीति भी कहीं पीछे छूट गई है. अन्ना आंदोलन से दिल्ली की जनता इसलिए जुड़ी थी कि राजनीति में व्याप्त गंदगी साफ होगी.

आंदोलन के गर्भ से निकली आम आदमी पार्टी भी आज कमोबेश उसी रास्ते पर चल पड़ी है जहां से सत्ता का रास्ता निकलता है. जनता अब खुद को ठगा महसूस करती है. कुमार विश्वास ने जो आरोप लगाए हैं, उसकी गंभीरता से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. कौन सच्चा है, कौन झूठा है, ये जनता को पता होना चाहिए. आतंकियों का साथ लेकर अगर कोई अपनी राजनीति चमकाता है तो उसे कठोरतम सजा मिलनी चाहिए.

क्योंकि राष्टृ सर्वोपरि है, उसके साथ छेड़छाड़ करने की कोई कैसे हिमाकत कर सकता है. गुजरे समय में पंजाब के भीतर क्या हुआ, उन लम्हों को याद करके भी लोगों के रोंगटे खड़े होते हैं. आंतकियों के दिए जख्म आज भी वहां प्रत्येक घरों में हरे हैं. वही इतिहास कोई फिर दोहराने की कोशिश करता है तो उसके मंसूबों को समय रहते कुचल देना चाहिए.

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