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Updated: 09 जून, 2022 10:17 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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यूपी के सहारनपुर से निकलकर दक्षिण अफ्रीका में अपना कारोबारी साम्राज्य खड़ा करने से लेकर राजनीति में अपनी धमक बनाने वाले गुप्ता ब्रदर्स एक बार फिर सुर्खियों में हैं. हाल ही में गुप्ता परिवार के राजेश गुप्ता और अतुल गुप्ता को यूएई में गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, तीसरे भाई अजय गुप्ता की गिरफ्तारी पर अभी कुछ साफ जानकारी सामने नहीं आई है. ये वही गुप्ता ब्रदर्स हैं, जिनकी बेटी की शादी में उत्तराखंड का औली कूड़े की गंदगी से पट गया था. वैसे, गिरफ्तार हुए गुप्ता ब्रदर्स ने दक्षिण अफ्रीका में भी कम गंदगी नहीं फैलाई थी. गुप्ता परिवार के भाईयों पर आरोप है कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के साथ संबंधों के चलते देश का खजाना खाली कर दिया. दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता ब्रदर्स को लेकर कहा जाता था उनकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था. लेकिन, 2016 में गुप्ता ब्रदर्स के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद उनकी प्रभाव खत्म होने की ओर बढ़ गया. इसी के चलते इंटरपोल ने बीते साल गुप्ता ब्रदर्स के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था. आइए जानते हैं गुप्ता ब्रदर्स के दक्षिण अफ्रीका में अरबों के खेल से सलाखों के पीछे तक पहुंचने की कहानी...

story of Gupta Brothers 2009 में जैकब जुमा के राष्ट्रपति बनने के बाद गुप्ता ब्रदर्स की गाड़ी अचानक ही टॉप गियर में आ गई थी.

पिता ने दिखाई दक्षिण अफ्रीका का राह

गुप्ता ब्रदर्स के नाम से मशहूर अतुल, अजय और राजेश गुप्ता सहारनपुर के रानी बाजार के रहने वाले हैं. गुप्ता ब्रदर्स के पिता शिव कुमार गुप्ता यहां रायवाला मार्केट में किराना की दुकान चलाते थे. गुप्ता ब्रदर्स के पिता मसालों का भी कारोबार करते थे. और, दक्षिण अफ्रीका में मसालों के निर्यात से पैसा भी कमाते थे. कहा जाता है कि शिव कुमार गुप्ता ने अपने बेटों से कहा था कि अफ्रीका में व्यापारिक संभावनाओं को समझने की जरूरत है. अब जैसा कि एक आम भारतीय बनिया परिवार में होता है. गुप्ता ब्रदर्स भी निकल पड़े दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर. हालांकि, इससे पहले अतुल गुप्ता ने कंप्यूटर के हार्डवेयर और रिपेयरिंग से जुड़ा कोर्स पूरा किया. अजय गुप्ता ने चार्टर्ड अकाउंटेंट और राजेश गुप्ता ने बीएससी की पढ़ाई की.

1993 में सहारा कंप्यूटर्स की शुरुआत

अतुल गुप्ता ने दक्षिण अफ्रीका में कंप्यूटर का एक छोटा सा बिजनेस शुरू कर अपने पैर जमाने की कोशिश की. और, वह उसमें कामयाब भी हो गया. जिसके बाद उसके भाईयों ने भी दक्षिण अफ्रीका की ओर रुख कर लिया. 1993 में गुप्ता ब्रदर्श ने सहारा कंप्यूटर्स नाम की एक कंपनी बनाई. बताया जाता है कि 2016 में इसका टर्नओवर करीब 22 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया था. और, इसमें 10000 लोगों को रोजगार दिया गया था. गुप्ता ब्रदर्स ने इस दौरान माइनिंग, टेक्नॉलजी, मीडिया, एनर्जी जैसे कई क्षेत्रों में अपने कारोबार को बढ़ाया. कहा जा सकता है कि मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी बनाने वाला दक्षिण अफ्रीका हमेशा से ही भारत के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर रखता है. तो, सहारनपुर से आने वाले गुप्ता ब्रदर्स भी इसी वजह से दक्षिण अफ्रीका में अपना कारोबारी साम्राज्य खड़ा करने में कामयाब हो सके. और, हर क्षेत्र में नंबर वन बन गए.

गुप्ता ब्रदर्स क्यों कहलाने लगे 'जुप्ता'?

दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता ब्रदर्स का कारोबार राजनीतिक सीढ़ी के सहारे बहुत तेजी से बढ़ा. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा से करीबी संबंधों की वजह से गुप्ता ब्रदर्स की आलोचना करने वाले उन्हें 'जुप्ता' नाम से बुलाने लगे थे. दरअसल, एक बड़ा कारोबारी साम्राज्य खड़ा करने के साथ ही गुप्ता ब्रदर्स ने दक्षिण अफ्रीका के राजनीतिक गलियारों में अपने लिए जगह बनानी शुरू कर दी. हालांकि, वह पर्दे के पीछे ही रहे. लेकिन, परोक्ष रूप से सत्ता के बड़े फैसलों में उनका ही दखल माना जाता था. 2000 में गुप्ता ब्रदर्स की तत्कालीन उपराष्ट्रपति जैकब जुमा से नजदीकियां बढ़ गईं. 2005 में जब जैकब जुमा पर भ्रष्टाचार और रेप के आरोप लगे, तो उनका पद चला गया. जैकब जुमा के जेल जाने के दौरान गुप्ता ब्रदर्स ने उनके परिवार का पूरा ख्याल रखा. जैकब के बेटे डुडुजेन जुमा को सबसे छोटे भाई राजेश गुप्ता का काफी करीबी बताया जाता है.

कुछ यूं लगा गुप्ता ब्रदर्स की गाड़ी में टॉप गियर

2009 में जैकब जुमा के राष्ट्रपति बनने के बाद गुप्ता ब्रदर्स की गाड़ी अचानक ही टॉप गियर में आ गई. जैकब जुमा ने खुद पर किए गए अहसानों को उतारने के लिए दोनों हाथों से गुप्ता ब्रदर्स पर देश की संपत्ति लुटानी शुरू कर दी. बड़े कामों के सरकारी टेंडर से लेकर छोटे-मोटे व्यापारिक समझौते भी गुप्ता ब्रदर्स की कंपनियों के खाते में जाने लगे. गुप्ता ब्रदर्स पर ये आरोप तक लगने लगे कि जैकब जुमा की सरकार में नियुक्तियां भी गुप्ता ब्रदर्स के करीबियों की ही होने लगीं. जो भी नेता जुमा और गुप्ता ब्रदर्स की इस जुगलबंदी में फिट नहीं होता था. उसे सरकार से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता था. इसी दौरान दक्षिण अफ्रीका में वित्त मंत्री रहे प्रवीन गोरधन ने भी गुप्ता ब्रदर्स पर आरोप लगाया था कि उन्हें सरकार से गुप्ता परिवार के प्रभाव के चलते ही निकाल दिया गया.

देश छोड़ भागने को क्यों हुए मजबूर?

2016 में दक्षिण अफ्रीका के डिप्टी फाइनेंस मिनिस्टर मसोबिसि जोनास ने गुप्ता ब्रदर्स पर आरोप लगाया कि अगर वह गुप्ता परिवार के व्यापारिक हितों का ख्याल रखते हैं, तो उन्हें वित्त मंत्री बना दिया जाएगा. हालांकि, गुप्ता परिवार ने इन आरोपों को नकार दिया. लेकिन, 2013 में 'गुप्तागेट' के नाम से मशहूर हुए कांड में नाम आने के बाद गुप्ता ब्रदर्स लोगों की नजरों में चढ़ चुके थे. दरअसल, 2013 में गुप्ता परिवार के एक शादी समारोह के दौरान भारत से गए मेहमानों का एयरप्लेन सैन्य एयरपोर्ट पर उतारा गया था. जिसने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. खैर, भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद गुप्ता ब्रदर्स के करीबी रहे जैकब जुमा को राष्ट्रपति की कुर्सी छोड़नी पड़ी. और, गुप्ता ब्रदर्स के चारों ओर कानूनी शिकंजा कसा जाने लगा. जिसके चलते 2018 में गुप्ता ब्रदर्स पूरे परिवार के साथ दक्षिण अफ्रीका छोड़कर दुबई भाग गए.

जेल की सलाखें कर रही हैं इंतजार

यूएई में गिरफ्तार हुए राजेश गुप्ता और अतुल गुप्ता को प्रत्यर्पण की कार्रवाई पूरी होने के बाद दक्षिण अफ्रीका भेजा जाएगा. जहां उनके खिलाफ देश के कानून के हिसाब से मुकदमा चलाया जाएगा. गुप्ता ब्रदर्स की बॉलीवुड मसाला वाली इस फिल्मी कहानी का अंत भी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचने के साथ हो ही जाएगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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