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Updated: 28 जून, 2021 05:14 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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विशाल समुंद्र की विशाल मछली समुंद्र की लहरों से अठखेलियां तो खेल सकती है लेकिन लहरों के ख़िलाफ बग़ावत नहीं कर सकती. उसे पता है कि समुंद्र से ही उसका अस्तित्व है. यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भाजपा के विशाल समुंद्र की विशाल मछली की तरह हैं. जो क़द रुतबा, सम्मान और ओहदा उनको उनकी अपनी पार्टी भाजपा मे मिला है क्या किसी दूसरे दल में ये मिलेगा? इससे ज्यादा तो कतई नहीं. क्या सपा-बसपा में उनके मुख्यमंत्री बनने के चांस हैं? ये कल्पना भी हास्यास्पद होगी. तो फिर केशव मौर्या अपना घर छोड़कर कहां जाएगे, क्यों जाएंगे और किस मकसद से जाएंगे, और उन्हें उप मुख्यमंत्री से ऊपर का मुख्यमंत्री का पद मिलेगा क्या? या नहीं. केशव जाति की भागीदारी, अपने लोगों को टिकट दिलाने, जाति की हिस्सेदारी, रसूक, रुतबे को बढ़ाने के लिए घर में कुछ वक्त के लिए दबाव की राजनीति तो कर सकते हैं पर ये परिपक्व राजनेता बगावत कर अपना राजनीतिक करियर क्यों बर्बाद करेगा?

UP, Assembly Elections, Chief Minister, Keshav Prasad Maurya, Deputy Chief Ministerकहा जा सकता है कि यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भाजपा के विशाल समुंद्र की विशाल मछली की तरह हैं

ये सच है कि जब यूपी भाजपा के सभी दिग्गज कह रहे थे कि आगामी विधानसभा चुनाव का चेहरा योगी होंगे तब इन्होंने कुछ टीवी इंटरव्यू मे कह दिया कि केंद्रीय नेतृत्व चेहरा तय करेगा. इसके बाद इसकी नाराजगी, असंतुष्ट होने अथवा बगावत की अटकलें तेज़ होने लगीं. और ऐसी अटकलों के दौरान ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य के घर पंहुचे. इससे ये तो तय हो ही गया कि श्री मौर्य के सम्मान मे इजाफा होने लगा है.

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य की बगावत का सपना देखने वाले विरोधियों को इस बात को अब समझना होगा कि केशव भाजपा की कमजोरों नहीं बल्कि ताकत बनेंगे. ये कयास भले ही सच हों कि वो खुद को उपेक्षित महसूस करते हुए पार्टी पर दबाव डाल रहे थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री का चेहरा स्वीकार नहीं कर रहे थे.

पिछली बार मुख्यमंत्री बनने में चूक चुके श्री मौर्य अगली बार मुख्यमंत्री बनने का ख्याल पाल रहे थे. अटकले लगती रहीं कि यूपी की पिछड़ी जातियों के नेतृत्व का मुख्य चेहरा बनकर वो पार्टी मे अपनी शर्ते मनवाना चाहते थे. लेकिन एकाएकी उनके घर मुख्यमंत्री योगी पहुंचते हैं और वो ठंडे पड़ जाता है. कहते हैं कि मुख्यमंत्री और मेरे बीच आने वली दीवार गिरा दी जाएगी. यानी ये बता दिया कि बिना मनभेदों और मतभेदों के हम साथ-साथ काम करेंगे.

ये तो अभी एक ट्रेलर भर है. यूपी विधानसभा चुनाव की हलचलों में अभी कई नए-नए मोड़ आने हैं, लेकिन कुछ बातें तय सी लग रही हैं. चर्चाओं के मंथन के बाद ये साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा का मुख्य चुनावी चेहरा होंगे. लेकिन भाजपा विरोधियों से दो-दो हाथ करने के लिए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य आक्रामक रूप में नजर आ सकते हैं.

कोरोना पर विफलताओं, किसानों की नाराजगी के मुद्दों के साथ विपक्ष यूपी चुनाव को अगड़ा बनाम पिछड़ा बनाने की कोशिश करेगा तो भाजपा अपने बेहतर कामों के साथ चुनाव को हिन्दुत्व का रंग देने की कोशिश करेगा. योगी की चुनावी रथ के सार्थी बनकर केशव मौर्य नाराज पिछड़ी जातियों को हिन्दुत्व के रफु से भाजपा से पुनः जोड़ने की कोशिश करेंगे.

सपा और अन्य विपक्षियों पर तुष्टिकरण की तोहमते रखेंगे. मंदिर निर्माण को विपक्ष की हार और तिलमिलाहट करार देंगे. और आगे यदि भाजपा की सत्ता वापसी हुई तो फिर मौर्य का कल आज से बेहतर हो सकता. संघ ने कुछ तो वादा किया ही होगा जो उनके तेवर और सुर एकाएकी बदल गए और दूरियां पैदा करने वाली दीवार पर क्रोधित होकर क्रोध की दिशा उन्होंने पलट दी.

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नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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