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Updated: 24 फरवरी, 2018 04:41 PM
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दिल्ली का थप्पड़कांड फिलहाल तो सब पर भारी है. तो क्या केजरीवाल सरकार को भी इस बात का अहसास होने लगा है? केजरीवाल एंड कंपनी की लेफ्टिनेंट गवर्नर से मुलाकात को किस रूप में देखा जाना चाहिये? कुछ हलकों में ये सुलह का कवायद माना जा रहा है, मगर - ऐसा होगा ही, लगता तो नहीं है.

आम आदमी पार्टी के दो विधायकों के जेल जाने के बाद तीन और विधायकों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है, मुख्यमंत्री आवास की तलाशी से सामने आये तथ्य और कोर्ट का रुख मामले की गंभीरता को समझने के लिए काफी हैं.

दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की मेडिकल रिपोर्ट को मारपीट की पुष्टि के तौर पर देखा जा रहा है. एक तरफ, आम आदमी पार्टी का एक विधायक खुलेआम ऐलान कर रहा है कि बात नहीं सुनने वाले अफसर ऐसे ही 'ठोके' जाएंगे. दूसरी तरफ, आप नेता आशुतोष एक लेख में मुख्य सचिव के आरोपों की अपनी दलीलों से खिल्ली उड़ा रहे हैं. पूरे वाकये के चश्मदीद मुख्यमंत्री के सलाहकार हैं जो अपना बयान बदल चुके हैं. खैर, अब तो वही गवाह भी हैं.

ये भी साफ है कि ये घटना केजरीवाल और सिसोदिया की मौजूदगी में हुई है - अब सच कौन बोल रहा है - या तो ये केजरीवाल बता दें या फिर, आशुतोष या आप विधायक में से किसी एक की बात मजबूर माननी पड़ेगी.

कोर्ट को भी केस गंभीर लगता है

मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के आरोपी आप के विधायकों की जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है. चीफ सेक्रेट्री की शिकायत में बताया गया कि वहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के अलावा 11 लोग मौजूद थे. पुलिस सूत्रों के हवाले से आई मीडिया रिपोर्ट से मालूम होता है कि केजरीवाल के सलाहकार के बयान के आधार पर तीन विधायकों - नितिन त्यागी, राजेश गुप्ता और अजय दत्त को भी गिरफ्तार किया जा सकता है.

delhi cm police'वॉश रूम किधर है?'

केजरीवाल के घर तलाशी लेने पहुंची दिल्ली पुलिस का ये पूछना कि घर में पेंट कब हुआ सोशल मीडिया पर मजाक बना हुआ है. आम आदमी पार्टी ने भी इस पर सवाल खड़े किये हैं.

लेकिन अदालत को ये पूरा मामला काफी गंभीर लगता है. दिल्ली की एक अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया है कि ये पूर्व नियोजित साजिश का मामला लगता है और इसीलिए आरोपी विधायकों की जमानत अर्जी खारिज हो गयी. हालांकि, इसमें उनके खिलाफ दर्ज पुराने मामले की भी भूमिका रही.

अदालत को प्रथम दृष्टया लगा है कि मेडिकल रिपोर्ट और केजरीवाल के सलाहकार वीके जैन का बयान चीफ सेक्रेट्री की बातों की पुष्टि करता है. जैन का बयान CrPC के सेक्शन 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हुआ है जो खुद भी सबूत माना जाता है. कोर्ट की ही तरह आप नेता आशुतोष को भी इस घटना में साजिश नजर आती है, हालांकि, उनका पक्ष अदालत से बिलकुल अलहदा है.

आप नेता की दलील

खुद को राजनीति शास्त्र का छात्र बताते हुए आशुतोष लिखते हैं कि वो ये तो जानते थे कि साजिश भी सियासत का ही नाम है, लेकिन ये इस हद तक जा पहुंचेगी नहीं जानते थे. आशुतोष ने अपने लेख में कई सवाल उठाये हैं और दिल्ली पुलिस को भी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है. क्विंट में प्रकाशित इस लेख में खास तौर पर तीन बातें गौर करने वाली हैं.

sanjay singh, ashutoshसाजिश ही तो है, लेकिन...

1. ये किसे यकीन होगा कि केजरीवाल जैसा तेज तर्रार मुख्यमंत्री ऐसी मूर्खता करेगा कि आधी रात को अपने घर चीफ सेक्रेट्री को बुलाएगा और अपने विधायकों को खुली छूट दे देगा? ये पूरी तरह झूठ का पुलिंदा है.

2. चीफ सेक्रेट्री 30 घंटे बाद मेडिको-लीगल कराते हैं और पता चला है कि चोट के कई निशान पाये गये हैं. सीसीटीवी में नजर आता है कि वो सामान्य रूप से चलते हुए मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकले. वो न तो अपसेट लगते हैं, न गुस्से में. फिर वो ऐसे आरोप क्यों लगा रहे हैं?

3. दिल्ली पुलिस भी इस केस में रंगे हाथ पकड़ में आती है. 22 फरवरी को पुलिस ने सीएम के सलाहकार वीके जैन का बयान दर्ज किया है जिसमें बताया गया है कि जब वो वॉशरूम से लौटे तो देखा कि मुख्य सचिव की पिटायी हो रही है और वो अपना चश्मा खोजने लगे.

आप विधायक की धमकी

दिल्ली पुलिस की तलाशी पर केजरीवाल ने एक ट्वीट कर सवाल उठाया और एक कार्यक्रम के लिए निकल पड़े. केजरीवाल का सवाल था - 'दो थप्पड़ के आरोप की जांच के लिए मुख्यमंत्री के पूरे घर की तलाशी!

उत्तम नगर में आयोजित इस कार्यक्रम में केजरीवाल ने कहा, 'हां, मैं अफसरों से रोज लड़ता हूं. इन अफसरों को कुछ कह दो तो उन्हें बुरा लग जाता है. ये रोज हमारी कोई न कोई फाइल रोक लेते हैं. हमें राजनीति ठीक से नहीं आती, इसी में हम लोग मात खा गए.'

फिर शाम को अरविंद केजरीवाल अपने कैबिनेट सहयोगियों मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, राजेंद्र पाल गौतम, कैलाश गहलोत और इमरान हुसैन के साथ उप राज्यपाल से मिले. इस दौरान उप राज्यपाल से अफसरों के मीटिंग में न आने की शिकायत और उन्हें समझाने की सलाह दी गयी.

arvind kejriwalसीएम के सलाहकार ने क्यों बदला बयान?

इस घटना को लेकर तमाम तर्क पेश किये जा रहे हैं और सवाल भी उठाये जा रहे हैं, लेकिन सूत्रों के हवाले से एक ऐसी बात भी सामने आयी है जो एक स्याह पक्ष की ओर इशारा करती है. पता ये भी चला है कि मौके पर मौजूद पूरी टीम की कोशिश अफसर के मन में दहशत पैदा करने की रही, जो बैकफायर हो गयी. ऐसे ही एक सूत्र के मुताबिक आप नेतृत्व ने कुछ ज्यादा ही गलत आकलन कर लिया. मान कर चला गया कि पहले तो आधी रात की घटना का कोई गवाह नहीं मिलेगा - और ऐसे ओहदे पर पहुंचा कोई अफसर बाहर जाकर भला क्यों शेयर करेगा कि उसे सीएम और डिप्टी सीएम की मौजूदगी में विधायकों ने पीटा भी. लेकिन सारा दांव उल्टा पड़ गया और चीफ सेक्रट्री ने सारी बाते सरेआम कर दीं. ऊपर से सीएम का सलाहकार ही गवाह बन गया.

यहां तक तो जो हुआ सो हुआ, आम आदमी पार्टी के ही विधायक नरेश बलियान ने तो सारी सीमाएं ही लांघ दी - ऐसे अफसरों तो ठोके ही जाएंगे. उत्तम नगर के ही कार्यक्रम में आप विधायक नरेश बलियान भाषण देते हैं, ''कोई भी काम जो तीन दिन का हो उसके लिए अफसर 6-6 महीने का समय लगा रहे हैं. क्योंकि केजरीवाल ने इसके लिए इनको मिलने वाली सेटिंग बंद कर दी. अब उन्होंने फाइलों को रोकना शुरू कर दिया है... मैं तो कह रहा हूं कि ऐसे अफसरों को मारना चाहिए, ठोकना चाहिए... अगर कोई आम आदमी के काम को रोककर बैठा है, ऐसे लोगों के साथ यही सलूक होना चाहिए.'' देखा जाये तो विधायक के बयान में कोई स्वीकारोक्ति नहीं है, लेकिन इरादे क्या हैं समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है.

बलियान क्या समझाना चाहते हैं? ऐसे ही से उनका क्या आशय है? ऐसे ही मतलब जैसे चीफ सेक्रेट्री को पीटा गया या जिस तरह के आरोप वो लगा रहे हैं? जब आशुतोष कह रहे हैं कि सब झूठ है फिर नरेश बलियान के 'ऐसे ही' और 'ठोके' जाने जैसे शब्दों को किस तरह समझा जाना चाहिये?

अब तो इनके नेता अरविंद केजरीवाल को ही साफ करना होगा कि दोनों में से कौन सही बोल रहा है. वरना, कोर्ट का फैसला आने तक कयास ही लगाये जाते रहेंगे कि कौन सच के ज्यादा करीब है?

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