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Updated: 08 फरवरी, 2020 04:35 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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दिल्ली में चुनाव प्रचार समय से समाप्त हो चुका था. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने चुनाव प्रचार के पुराने ट्वीट को रीट्वीट किया और काम के आधार पर वोट मांगा - 'ये चुनाव काम पर होगा'. फिर कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर जाकर पूजा-अर्चना की और बाद में ट्विटर पर ही हनुमान जी से हुई बातचीत का ब्योरा भी दिया, 'भगवान जी ने कहा - अच्छा काम कर रहे हो. इसी तरह लोगों की सेवा करते रहो. फल मुझ पर छोड़ दो. सब अच्छा होगा.'

केजरीवाल ने TV पर अपने हनुमान चालीसा पढ़ने की याद दिलाते हुए एक और ट्वीट किया, भाजपा वाले मेरा मजाक उड़ा रहे हैं... मेरे जाने से मंदिर अशुद्ध हो गया. ये कैसी राजनीति है?' केजरीवाल ने मनोज तिवारी का नाम नहीं लिया क्योंकि वही इस पर सवाल उठाये थे. ये भी प्रशांत किशोर के पॉलिश चढ़ा रखे होने का ही असर लगता है, वैसे हर बात का फायदा उठा लेना ही तो असली राजनीति होती है.

वोटिंग वाले दिन (Delhi Election Voting Day) सुबह 7.51 मिनट पर अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर महिलाओं (Women Voters of Delhi) से एक अपील की. अपील में वोट डालने को भी घर की जिम्मेदारियां निभाने जैसा बताते हुए केजरीवाल ने मर्दों से भी वोट डलवाने की महिलाओं को सलाह दी - क्या ये महिलाओं पर दिल्ली सरकार की तरफ से बरसायी गयी 'मुफ्त' वाली कृपा की एवज में वोट की डिमांड है?

महिलाओं से केजरीवाल की अपील

दिल्ली की महिलाओं से वोट डालने की अपील के बाद अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर ये भी बताया कि कैसे वो माता-पिता से आशीर्वाद लेकर आम आदमी की तरह वोट डालने जा रहे हैं. केजरीवाल और उनके परिवार ने सिविल लाइंस के राजपुर रोड ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी पोलिंग बूथ पर अपने माता-पिता के साथ वोट डाला. वोट देने के बाद केजरीवाल बोले, 'मैं महिला वोटरों से खासकर अपील करता हूं कि वो कई बार वोट डालने नहीं जा पाती हैं. सबलोग वोट देने जरूर जाएं और मताधिकार का प्रयोग करें. महिलाओं के कंधे पर ही मुल्क की और दिल्ली की तरक्की की जिम्मेदारी है.'

अरविंद केजरीवाल ने परिवार के साथ वोट डालने के बाद एक फेमिली फोटो भी साझा किया - साथ में, जरूरी सूचना भी दी कि पहली बार उनके बेटे ने भी वोट डाला है.

अरविंद केजरीवाल ने तस्वीर तो अच्छी डाली लेकिन ट्विटर पर लोगों ने इसमें भी बड़ी चूक खोज डाली - बिटिया कहां है? बात में दम तो है. केजरीवाल की बेटी हर्षिता ने मां के साथ पूरे वक्त उनके इलाके में घर घर जाकर चुनाव प्रचार किया, लेकिन फोटो में उसकी तस्वीर नहीं है. फोटो में केजरीवाल के माता-पिता और पत्नी के साथ पहली बार वोट देने वाला बेटा भी है.

2017 में हुए MCD चुनाव में अरविंद केजरीवाल की बेटी हर्षिता केजरीवाल ने पहली बार वोट डाला था - और तब भी वोट देने के बाद की ऐसी ही पारिवारिक तस्वीर सामने आयी थी.

arvind kejriwal family after 2017 votingजब हर्षिता केजरीवाल ने पहली बार वोट डाला था (MCD चुनाव 2017)

बहरहाल, सबसे अहम बात रही दिल्ली की महिलाओं से अरविंद केजरीवाल की वोट देने और घर के पुरुषों के ये समझाने की अपील की किसे वोट देना ठीक रहेगा. केजरीवाल ने महिलाओं से कहा कि उनके समझाने से ही देश बनेगा. उनके समझाने से ही परिवार समृद्ध होगा और उनके समझाने से ही दिल्ली का भविष्य बनेगा. केजरीवाल ने ये ट्वीट दिल्ली में वोटिंग शुरू होने से 9 मिनट पहले किया.

केजरीवाल ने जहां खुल कर महिलाओं से अपील की, वहीं उनके सबसे करीबी और भरोसेमंद साथी मनीष सिसोदिया के ट्वीट में भी संदेश महिलाओं के लिए ही था - 'बच्चों की शिक्षा के लिए.'

महिलाओं से केजरीवाल की इस अपील की बड़ी वजह भी है - दिल्ली सरकार की तरफ से दी गयी काफी सुविधाएं ऐसी हैं जो महिलाओं के हिस्से में सीधे जाती हैं.

1. दिल्ली सरकार ने बसों में 30 अक्टूबर को भैयादूज के दिन से महिलाओं को मुफ्त सफर की सौगात दी थी और नये सिरे से घोषणा की है कि सत्ता में लौटने के बाद भी ये सुविधा जारी रहेगी. एक आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में हर रोज करीब 13-14 लाख महिलायें बसों में सफर करती हैं.

2. दिल्ली सरकार हर महीने 200 यूनिट मुफ्त बिजली और 20 हजार लीटर पानी मुहैया कराती है, आखिर ये भी तो सीधे सीधे महिलाओं को प्रभावित करता है. घर के बजट पर इसका सीधा असर होता है और ये महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है.

3. निजी स्कूलों की फीस न बढ़ने देना भी महिलाओं से अपनेआप कनेक्ट हो जाता है. सरकार की तरफ से ये सख्ती लागू होने से पहले घर का बजट बिगाड़ने में इसका भी बड़ा रोल हुआ करता रहा.

4. अब 2020 के मैनिफेस्टो में भी अरविंद केजरीवाल ने ऐसा ही एक वादा किया है - 'अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएंगे.'

अरविंद केजरीवाल की सरकार के प्रति महिलाओं का क्या नजरिया है ये तो 11 फरवरी को मालूम होगा, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिलाओं से अपील का असर पहले ही देखा जा चुका है - दोनों ही नेताओं की सत्ता में वापसी में महिलाओं के वोटों की बड़ी भूमिका रही है.

महिलाओं से वोट देने और दिलाने की अपील पर जब बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की टिप्पणी आयी तो अरविंद केजरीवाल का रिएक्शन रहा -

मोदी और नीतीश सरकार बनवाने में महिलाओं का योगदान

अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं से जो अपील की है उसे नीतीश कुमार से आसानी से जोड़ा जा सकता है. नीतीश कुमार की बेदाग छवि का भी 2015 के चुनाव में काफी फायदा मिला था और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को जितनी तत्परता से वो लपक लेते रहे वो तो सबसे बड़ी खासियत रही. कहा तो ये जाता है कि लालू-राबड़ी शासन को हटाकर नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने में महिलाओं की बड़ी भूमिका रही. लड़कियों के लिए साइकिल और फीसमाफी के अलावा शराबबंदी लागू करने का नीतीश कुमार को बहुत फायदा मिला. याद कीजिये चुनावों के दौरान नीतीश कुमार महिलाओं के ही एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे और जैसे ही शराबबंदी की चर्चा हुई, सीट से उठे और वहीं घोषणा कर दी. सरकार बनाने पर लागू भी किया है. एक वक्त तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पूरे देश में शराबबंदी लागू करने के लिए ललकारते रहे.

2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी में थे. मौका नामांकन का था. मोदी ने एक मार्मिक अपील की, 'मेरी एक इच्छा है जो मैं गुजरात में भी पूरा नहीं कर पाया. बनारस वाले मेरी वो इच्छा पूरी कर सकते हैं क्या? मैं चाहता हूं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान 5 प्रतिशत ज़्यादा होना चाहिए.' मोदी ने अपनी बात समझाते हुए कहा था - हमें तय करना चाहिए कि अगर हमारे पोलिंग बूथ में 100 वोट पड़ते हैं तो 105 माताओं-बहनों के पड़ें. तभी अपनी सुरक्षा को लेकर महिलाओं की फिक्र का भी जिक्र किया था - सोशल मीडिया पर लोगों ने मुझे बहुत डांटा कि रोड शो बंद कर दीजिए. अपनी सुरक्षा का ध्यान रखिये, लेकिन मोदी का कोई ध्यान रखता है तो इस देश की करोड़ों माताएं. वे शक्ति बनकर मेरा सुरक्षा कवच बनती हैं.

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार आम चुनाव में गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर वोट दिये और पुरुषों के मुकाबले जो फासला रहा उसे कम कर दिया था. एक और बड़ी बात देखी गयी. 2019 में सबसे ज्यादा महिलाओं ने संसद पहुंच कर रिकॉर्ड बनाया - 542 में 78 महिलाएं और उनमें भी यूपी और पश्चिम बंगाल से 11-11. अब जरा असम दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का वो अंश फिर से सुन कर देखिये जिसमें वो भीड़ में बैठी महिलाओं से मुखातिब थे - 'इतनी बड़ी तादाद में यहां की माताएं-बहनें आशीर्वाद देने आई हैं... इससे मेरा विश्वास और बढ़ गया है. कभी-कभी लोग कहते हैं... डंडा मारने की बातें करते हैं... लेकिन जिस मोदी को इतनी बड़ी मात्रा में माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो, उस पर कितने ही डंडे गिर जाएं, उसे कुछ नहीं हो सकता.'

क्या असम की धरती से दिल्ली चुनाव प्रचार में राहुल गांधी के बयान की याद दिला कर प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली की महिलाओं का ध्यान नहीं खींच रहे थे - देखा जाये तो मोदी ने तो केजरीवाल से पहले ही दिल्ली की महिलाओं तक अपना संदेश पहुंचा दिया था!

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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