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Updated: 05 सितम्बर, 2019 02:05 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पाकिस्तान आए दिन सिखों के प्रति हमदर्दी जताता रहता है. वह जिस तरह हर मौके पर कश्मीरियों का हितैशी बनने का ढोंग करता है, वैसा ही ढोंग वह सिखों को लेकर भी करता है. वैसे दिलचस्प ये है कि जिस तरह कश्मीर के लोगों को लेकर उसका ढोंग समय-समय पर बेनकाब होता रहा है, ठीक वैसे ही सिखों के प्रति हमदर्दी का पर्दाफाश खुद पाकिस्तान ने ही कर दिया है. यहां पर बात हो रही है करतारपुर साहिब गुरुद्वारे की. भारत और पाकिस्तान के बीच इन दिनों करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को लेकर बातचीत चल रही है. सिखों की अपार आस्था के चलते करतारपुर गुरुद्वारा मोदी सरकार के लिए भी काफी अहम है, इसलिए दोनों देश इस पर बात कर रहे हैं. लेकिन इस बातचीत में पाकिस्तान ने भारत की एक मांग को नहीं माना और उसका असली चेहरा बेनकाब हो गया.

यूं तो आप कहीं भी किसी धार्मिक स्थल पर जाएंगे तो वहां आपको कोई एंट्री फीस नहीं देनी होगी. हां वो बात अलग है कि आप अपनी श्रद्धा से चंद रुपए दान कर दें या करोड़ों का दान दे दें. लेकिन पाकिस्तान ने करतारपुर गुरुद्वारा में जाने वाले श्रद्धालुओं से एक निश्चित फीस वसूलने की योजना बनाई है. यानी इस गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं को एंट्री फीस देनी होगी. अब अगर पाकिस्तान सिखों का इतना ही हमदर्द है तो उन्हीं से पैसे क्यों वसूल रहा है? जब किसी धार्मिक स्थल पर पैसों की वसूली नहीं की जाती है तो फिर करतारपुर गुरुद्वारे में पैसे क्यों वसूले जा रहे हैं? आखिर ये कोई टूरिस्ट स्पॉट तो है नहीं, जिससे पैसे कमाए जाएं. खैर, पाकिस्तान का इरादा क्या है, ये तो अभी सिर्फ वही जानता है.

पाकिस्तान, आतंकवाद, कश्मीरपाकिस्तान ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की दो अहम मांगों को ठुकरा दिया है.

पाकिस्तान के इरादे भी हुए बेनकाब

हमेशा से ही पाक के इरादे नापाक ही रहे हैं. इस बार भी पाकिस्तान का असली चेहरा सामने आ गया है. दरअसल, भारत ने मांग की थी कि गुरुद्वारे में भारत का एक काउंसलर हो जो भारत से जाने वाले श्रद्धालुओं की मदद करे, लेकिन पाकिस्तान ने इस मांग को भी ठुकरा दिया. अब सवाल ये उठता है कि आखिर पाकिस्तान भारत के किसी काउंसलर को वहां क्यों नहीं रहने देना चाहता? साफ है कि पाकिस्तान गुरुद्वारे की आड़ में सिखों का रेडिकलाइजेशन करने की भी योजना बना रहा हो सकता है. कोई हैरानी नहीं होगी अगर वहां आतंकी गतिविधियों पर भी फोकस किया जा रहा हो. ऐसे में अगर भारत का कोई प्रतिनिधि वहां मौजूद होगा तो पाकिस्तान के मंसूबों पर तो पानी फिर जाएगा. काउंसलर की नियुक्ति की मंजूरी नहीं देकर पाकिस्तान ने अपने नापाक इरादे जगजाहिर कर दिए हैं.

वैसे दोनों देशों के बीच हुए समझौते में ये जरूर तय हुआ है कि भारतीय श्रद्धालुओं को बिना वीजा के ही करतारपुर गुरुद्वारे में जाने की इजाजत मिल गई है. साथ ही, दोनों ही देशों के प्रतिनिधि मंडल ने ये सुनिश्चित करने पर जोर दिया है कि श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाया जा सके. पाकिस्तान ने भारत की दो अहम मांगों को ठुकराकर शक तो पैदा कर ही दिया है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान इस शक को यकीन में बदलता है या नहीं और अगर बदलता है तो क तक.

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