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Updated: 12 मई, 2018 04:40 PM
धीरेंद्र राय
धीरेंद्र राय
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ईवीएम खराब हैं... कांग्रेस का वोट बीजेपी के खाते में जा रहा है... जब तक ईवीएम ठीक न हो जाए, वोट मत डालिए...

कर्नाटक चुनाव में मतदान की शुरुआत कुछ इसी तरह के स्‍थायी जुमलों के साथ शुरू हुई. रस्‍मी रूप से यह सभी जुमले कांग्रेस नेताओं और उनके समर्थकों की ओर से आए थे. बृजेश कलप्‍पा ने तो पोलिंग बोथ के नाम भी बता दिए जबकि तहसीन पूनावाला ने ऐसी जानकारी देते हुए पुष्‍ट खबर का इंतजार करने की बात कही. लेकिन सवाल यह उठता है कि ऐसा हुआ क्‍यों ? या हर चुनाव में कांग्रेस ऐसा क्‍यों करती है ?

evm-650_051218040113.jpgफिर बन गया evm मुद्दा

कर्नाटक चुनाव में वोटिंग की शुरुआत होते ही EVM फिर मुद्दा बन गया. बृजेश कलप्‍पा ने कांग्रेस की ओर से रस्‍म अदायगी की. कहा कि उनके माता-पिता जहां रहते हैं, वहां के मतदान केंद्र पर किसी भी उम्‍मीदवार को वोट देने पर वह वोट बीजेपी के खाते में ही रजिस्‍टर हो रहा था. कलप्‍पा ने यह ट्वीट दूर बैठे सुबह 7.53 बजे किया.

कलप्‍पा के उस ट्वीट को 1393 बार रीट्वीट किया गया. जबकि उसी मतदान पर वोट डालने का दावा करने वाले किरन हिरेमथ ने लिखा कि वहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा है.

जिस मतदान केंद्र का कलप्‍पा जिक्र कर रहे हैं, कई लोगों ने ट्विटर पर बताया कि वहां VVPAT मशीन उपयोग की जा रही हैं और किसी तरह की शिकायत नहीं मिली है.

लेकिन, कलप्‍पा ने एक के बाद एक कई इलाकों में ईवीएम की खराबी को लेकर ट्वीट किए.

ईवीएम क्‍या मुंह छुपाने की जगह है?

'ईवीएम को कठघरे में खड़ा करके पार्टी और नेतृत्‍व की कमजोरी से बचा जा सकता है.' इस थ्‍योरी की खोज मायावती ने यूपी चुनाव नतीजे आने के तत्‍काल बाद की थी. दिलचस्‍प यह है कि यूपी में चुनाव में वोटिंग के दौरान ईवीएम को लेकर कोई शिकायत नहीं आई थी, लेकिन नतीजे आने के बाद मायावती ने बाकायदा एक प्रेस कान्‍फ्रेंस करके ईवीएम को ऐसी मशीन करार दिया था जो सिर्फ बीजेपी को ही वोट दिलवा रही थी. यूपी चुनाव में जनता ने मायावती को भले सीरियसली नहीं लिया हो, लेकिन उनकी इस थ्‍योरी को चुनाव हारने वाली हर पार्टी ने हाथों-हाथ लिया. आम आदमी पार्टी तो इस हद तक चली गई कि उसने बाजार से ईवीएम की एक नकल तैयार करवाकर उसका प्रदर्शन दिल्‍ली विधानसभा में करवा दिया. और यह साबित करने की कोशिश की कि यही वो मशीन है जो भाजपा को हर चुनाव जितवा रही है.

karnataka elections

गुजरात चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कुछ वैसी ही बात की थी, जैसी कर्नाटक में कलप्‍पा कर रहे हैं. जब पूरे गुजरात में VVPAT मशीनों का उपयोग हो रहा था, तभी मोढवाडिया ने कहा कि ईवीएम मशीनों को वाई-फाई और ब्‍लूटूथ से कंट्रोल किया जा रहा है और भाजपा के पक्ष में मतदान कराया जा रहा है. चुनाव आयोग ने तुरंत इसकी जांच की और इस दावे को झूठा करार दिया. जैसा कि अंदेशा था, मोढवाडिया अपनी जीत को लेकर आशंकित थे और वो ईवीएम में अपना मुंह छुपा रहे थे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और वो पोरबंदर से चुनाव हार गए. इसे कहते हैं 'असुरक्षा की भावना'. एक ऐसा भाव है जो किसी अनजाने डर के कारण घर कर जाता है. कलप्‍पा की बातें उसी डर का इशारा कर रही हैं.

यहां इस बात पर गौर करना जरूरी है कि जब मुख्‍य चुनाव आयोग ने ईवीएम पर आपत्ति जताने वाली पार्टियों को हैकेथॉन के लिए आमंत्रित किया था, तो कांग्रेस समेत कोई भी पार्टी वहां नहीं गई थी.

ईवीएम के साथ इतिहास रच रहा है नाईजीरिया

अफ्रीकी देश नाईजीरिया में चुनाव के लिए पहली बार ईवीएम का इस्‍तेमाल हो रहा है. जिस दिन कर्नाटक में वोट पड़ रहे हैं, उसी समय नाईजीरिया के कडूना राज्‍य के रहवासी ईवीएम से वोट डाल रहे हैं. मुख्‍य मुकाबला सत्‍ताधारी कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दल पीडीपी के बीच है. लेकिन दिलचस्‍प यह है कि वहां पर 31 पार्टियों के गठबंधन ने यह कहते हुए चुनाव का बहिष्‍कार कर दिया है कि ईवीएम मशीन सत्‍ताधारी कांग्रेस पार्टी को चुनाव जितवाने के लिए इस्‍तेमाल की जा रही है. हालांकि प्रमुख विपक्षी दल पीडीपी ऐसा मानने को तैयार नहीं है.

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धीरेंद्र राय धीरेंद्र राय @dhirendra.rai01

लेखक ichowk.in के संपादक हैं.

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