New

होम -> सियासत

 |  7-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 11 जुलाई, 2019 01:39 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
  • Total Shares

कर्नाटक में एक बार फिर राजनीति के हर रंग दिखायी देने लगे हैं. साम, दाम, दंड और भेद जैसे सारे ही तिकड़म आजमाये जा रहे हैं - और मैदान में डटा कोई भी प्लेयर किसी से कम नजर नहीं आ रहा है.

जब कर्नाटक के कद्दावर कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने मुंबई के लिए स्पेशल फ्लाइट से उड़ान भरी तो दिल्ली से गुलाम नबी आजाद भी बेंगलुरू रवाना हो गये - उसी आस पास राहुल गांधी अचानक अमेठी जा धमके. फिर तो दिन भर तीनों छोर पर सियासी नौटंकी चलती रही.

अमेठी में तो वैसा कुछ नहीं हुआ लेकिन मुंबई और बेंगलुरू में डीके शिवकुमार और गुलाम नबी आजाद हिरासत में जरूर लिये गये. राहुल गांधी अमेठी वालों को मोटिवेट करते रहे तो शिवकुमार और आजाद सड़क पर डटे रहे.

करीब साल भर बाद कर्नाटक का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है. कांग्रेस और बीजेपी अपनी अपनी चालें चल रही हैं, अगर किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा है तो वो हैं मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी - और उनकी कुर्सी का बचना भी मुश्किल लग रहा है.

मुंबई में ड्रामा, बेंगलुरू में नाटक

कर्नाटक तो बस बदनाम हुआ जा रहा है, नाटक की आयोजक तो कांग्रेस ही लग रही है. मुंबई में डीके शिवकुमार का ड्रामा चल रहा है तो बेंगलुरू में गुलाम नबी आजाद का - और अमेठी में तो खुद राहुल गांधी ही मोर्चा संभाले रहे.

कर्नाटक के सबसे सक्षम नेता डीके शिवकुमार जब बेंगलुरू से स्पेशल फ्लाइट लेकर निकले तो मुंबई के उसी होटल में उनका कमरा बुक था, जहां इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस और जेडीएस के विधायक ठहरे हुए हैं. जेडीएस विधायक शिवालिंगे गौड़ा भी इस दौरान उनके मिशन में साथी बने.

मुंबई पहुंचने पर डीके शिवकुमार को होटल से बाहर ही रोक लिया गया - जब कमरा बुक होने की जानकारी दिये तो बताया गया कि वो तो कब का कैंसल हो चुका है. फिर शिवकुमार ने गौड़ा के साथ होटल के सामने ही डेरा जमा लिया.

पूछे जाने पर डीके शिवकुमार ने बागी विधायकों को अपना दोस्त बताया और कहा - राजनीति में हमारा जन्‍म साथ हुआ है और हम मरेंगे भी साथ ही. हमारे बीच छोटी सी समस्‍या है और उसे बातचीत से सुलझा लिया जाएगा. हम तत्‍काल तलाक नहीं ले सकते हैं.'

बागी विधायकों की खतरे की शिकायत पर होटल के बाहर पुलिस तैनात कर दी गयी और जब पुलिसवालों ने रोका तो डीके शिवकुमार ने बोले - 'मेरे पास कोई हथियार तो है नहीं.'

शिवकुमार ने कहा, 'धमकी देने का सवाल नहीं है, हम एक-दूसरे से प्‍यार करते हैं और सम्‍मान करते हैं.'

dk shivakamar back to bengluruबाकी विधायकों ने डीके शिवकुमार को बैरंग लौटाया

वैसी ही प्रतिक्रिया बागी विधायकों की ओर से भी आयी. कांग्रेस विधायक बी बासवराज ने कहा, 'डीके शिवकुमार का अपमान करने का हमारा कोई इरादा नहीं है. हमें उन पर विश्वास है लेकिन किसी खास वजह से हमने ये कदम उठाया है... दोस्ती, प्यार और स्नेह एक तरफ हैं, हम सम्मान के साथ उनसे अनुरोध करते हैं कि वो इस बात को समझें... आखिर हम उनसे क्यों नहीं मिल सकते.'

समझाने बुझाने का कोई फायदा नजर नहीं आ रहा था. डीके शिवकुमार ने पुलिसवालों से साफ साफ कह दिया, 'मैं दोस्तों से मुलाकात किए बिना नहीं जाऊंगा. मैं आपके ये कहने पर नहीं जा सकता कि वे मिलने के लिए तैयार नहीं हैं, वे मुझे फोन करेंगे... उनका दिल पिघलेगा... मैं पहले से ही उनके संपर्क में हूं, हम दोनों का दिल धड़क रहा है.'

करीब साढ़े छह घंटे चली इस ड्रामेबाजी के बाद पुलिस ने डीके शिवकुमार को हिरासत में ले लिया. कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद को भी बेंगलुरू में राजभवन के बाहर प्रदर्शन करते समय हिरासत में ले लिया गया. गुलाम नबी आजाद को दिल्ली से खासतौर पर बेंगलुरू भेजा गया है - ये मैसेज देकर कि आप ने ही सरकार बनवायी थी, अब आप ही बचाइए. डीके शिवकुमार को भी आखिरकार बैरंग बेंगलुरू वापस होना पड़ा.

डीके शिवकुमार की गिरफ्तारी से पहले भी कम दिलचस्प वाकये नहीं देखने को मिले - भले ही शिवकुमार के कमरे की बुकिंग रद्द कर दी गयी. भले ही शिवकुमार को अंदर नहीं घुसने दिया गया - लेकिन उनके खाने पीने का पूरा इंतजाम अंदर से ही होता रहा.

जब डीके शिवकुमार ने कहा कि वो अपने दोस्तों के साथ कॉफी पीना चाहते हैं तो एक पुलिस अफसर ने कहा, ठीक है. 'हम आपके लिए कॉफी मंगा देते हैं.'

उसी दौरान एक व्यक्ति ने डीके शिवकुमार के लिए मोमोज भी ला दिया - हंगामा भी चल रहा था और डीके शिवकुमार पॉलिटिकल पिकनिक का लुत्फ भी पूरा उठाते रहे.

स्पीकर के जरिये कांग्रेस का बदला

साल भर पहले जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नतीजे आये और किसी को भी बहुमत हासिल नहीं हुआ तो बीजेपी नेता येदियुरप्पा राजभवन में अपनी पहुंच के बूते कांग्रेस को खूब छकाते रहे. बागी विधायक भले ही राजभवन से सुरक्षा व्यवस्था में मुंबई भेजे गये हों, लेकिन विधानसभा स्पीकर को छकाने का मौका मिल गया है. ये भी कहा जा सकता है कि कांग्रेस स्पीकर के जरिये तरीके से बदला ले रही है.

स्पीकर केआर रमेश कांग्रेस के नेता हैं और पिछली सिद्धारमैया सरकार में मंत्री भी रहे. गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री जेडीएस का बना तो कांग्रेस ने अपने लिए स्पीकर का पद ले लिया था. अब वही फैसला रंग ला रहा है.

बागी विधायकों के इस्तीफे में स्पीकर ने पेंच फंसा दिया है. स्पीकर का कहना है कि 13 विधायकों में से सिर्फ 5 के इस्तीफे सही फॉर्मैट में हैं. साथ ही, रमेश का कहना है कि इस्तीफे के मामले को देखने के लिए वो अभी कम से कम छह दिन का टाइम लेंगे.

स्पीकर केआर रमेश मानते हैं कि उनके पास इतिहास बनाने का मौका है और वो कोई भी गलती नहीं करेंगे. स्पीकर रमेश ने कहा है, 'मैं जो भी कदम उठाऊंगा वो इतिहास बन जाएगा, इसलिए मैं कोई गलती नहीं कर सकता... मुझे ये पक्का करने की जरूरत है कि विधायकों के इस्तीफे स्वैच्छिक और असली हैं.'

दरअसल, इस्तीफा देने वाले ज्यादा विधायक कांग्रेस के ही हैं और स्पीकर इसीलिए अधिकारों का पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं. स्पीकर के पास पूरा अधिकार है कि वो इस बात से संतुष्ट हों कि इस्तीफे के पीछे कोई खरीद-फरोख्त जैसी बात नहीं है.

हालांकि, तस्वीर का दूसरा पक्ष ये है कि स्पीकर ऐसा करके कांग्रेस और जेडीएस को रणनीति तैयार करने का पूरा मौका भी दे रहे हैं. यही वजह है कि बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं.

फिर सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक का मामला

मई, 2018 में कर्नाटक विधानसभा के नतीजे आये तो जिस तरह की जोर आजमाइश हुई थी, एक बार फिर वही सब होने लगा है. तब गवर्नर वजूभाई वाला के इशारे पर कांग्रेस और जेडीएस नेताओं को नाचने को मजबूर होना पड़ रहा था, अभी स्पीकर रिंग मास्टर बने हुए हैं.

तब गवर्नर वजूभाई वाला ने बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के बाद बहुमत साबित करने के लिए दो हफ्ते का समय दे दिया था, अब स्पीकर बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसले के लिए हफ्ते भर का पूरा वक्त ले रहे हैं.

जिस तरह 14 महीने पहले गवर्नर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गयी थी, वैसे ही इस बार 10 बागी विधायकों ने स्पीकर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बागी विधायकों का इल्जाम है कि उनका इस्तीफा जानबूझ कर स्वीकार नहीं किया जा रहा है.

अब एक बार फिर लगता है सुप्रीम कोर्ट से भी कर्नाटक की कुर्सी का फैसला होने वाला है. संभावना तो यही है कि सुप्रीम कोर्ट स्पीकर को जल्दी निर्णय लेने को कहे या फिर मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को विश्वासमत हासिल करने को कहा जाये.

जो भी सूरत बने अब तो बहुत कम संभावना लगती है कि कुमारस्वामी कुर्सी बचा पायें, भले ही बीजेपी सरकार बनाने में चूक जाये - कांग्रेस कर्नाटक की रेस में बनी हुई है.

इन्हें भी पढ़ें :

कर्नाटक में विधायकों को मुख्यमंत्री की दुखती रग मिल गई है !

6 वजहें, कर्नाटक सरकार तो गिरनी ही चाहिए

कर्नाटक की गठबंधन सरकारों का नाटकीय दुर्भाग्‍य

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय