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Updated: 05 जनवरी, 2018 03:56 PM
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आम आदमी पार्टी के बागी नेता कपिल मिश्रा एक बार फिर हाथ धोकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीछे पड़ गये हैं. कपिल के पीछे कुमार विश्वास का हाथ माना जाता रहा है - और कुमार के पीछे अक्सर बीजेपी नेताओं के होने की चर्चा गर्म रहती है.

आप विधायकों में क्रॉस वोटिंग की उम्मीद के साथ कपिल मिश्रा ने कलावती कोली को सुशील गुप्ता के खिलाफ उतारने का ऐलान किया है. कलावती कोली आप की नेता रहीं संतोष कोली की मां हैं. कोली की एक सड़क हादसे के महीने भर बाद अस्पताल में मौत हो गयी थी.

कपिल की मुहिम जारी है

लंबे इंतजार के बाद कपिल मिश्रा को केजरीवाल के खिलाफ कुछ करने का मौका मिला है. कपिल मिश्रा मौके का फायदा भी भरपूर उठा रहे हैं. केजरीवाल पर रिश्वत लेने का इल्जाम लगाने वाले कपिल मिश्रा एक बार फिर राज्य सभा के लिए टिकट देने में पैसे के खेल का आरोप लगाया है. साथ ही, कपिल अपनी ट्विटर टाइमलाइन पर एक पोल भी करा रहे हैं.

कपिल मिश्रा ने काफी सोच समझ कर कलावती कोली को उम्मीदवार बनाया है. जो लोग अब तक वाकिफ नहीं है, उनका सवाल हो सकता है - कौन हैं कलावती कोली? जवाब है - कलावती कोली, संतोष कोली की मां हैं. अब तो ये भी जानना होगा - संतोष कोली कौन हैं?

kejriwal, santosh koliकेजरीवाल के साथ आखिरी सांस तक जुड़ी रहीं संतोष कोली

थोड़ा सा गूगल करने पर संतोष कोली के बारे में बहुत सी बातें जानी जा सकती हैं. नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के एक गरीब परिवार में जन्मीं संतोष कोली केजरीवाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से 2002 से जुड़ी हुई थी. पार्टी ने उन्हें दिल्ली की सीमापुरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का टिकट दिया था. साल 2013 में आम आदमी पार्टी की नेता संतोष कोली एक सड़क हादसे में घायल हो गई थी. 37 दिनों तक उनका अस्पताल में इलाज चला, लेकिन उन्होंने बचाया नहीं जा सका. 28 वर्ष की अवस्था में गुरुग्राम के एक अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली.

हादसे को लेकर आप नेताओं ने सवाल भी उठाये थे, लेकिन संतोष की बाइक को हिट करने वाला ड्राइवर किसी के हाथ नहीं लगा. संतोष कोली की याद में केजरीवाल सरकार ने दो लाख रुपये के इनाम देने का भी फैसला किया था. ये तब की बात है जब कपिल मिश्रा भी केजरीवाल कैबिनेट का हिस्सा हुआ करते थे.

आप के टिकट बंटवारे में पैसे के लेनदेन के आरोप के बाद, कपिल मिश्रा ने एक ट्वीट में सुशील गुप्ता के मुकाबले कलावती कोली को पेश करते हुए बड़ा सवाल पूछा है - दोनों में से किसे राज्य सभा जाना चाहिये?

कलावती कोली ने कहा, 'हमने कभी सुशील गुप्ता की शक्ल तक नहीं देखी. मुझे राज्यसभा का टिकट चाहिए. मैं लड़ना चा‍हती हूं.' लगे हाथ, कलावती ने केजरीवाल से सवाल भी पूछ डाला - 'क्या मैं दलित हूं इस लिए मुझे टिकट नहीं दिया जा रहा?'

टिकट बेचने के इल्जाम पर 'आप' की सफाई

टिकट बेचने के इल्जाम पर आप की ओर से बचाव में गोपाल राय को उतारा गया है. गोपाल राय ने एक इंटरव्यू में कहा कि आम आदमी पार्टी कुमार विश्वास को राज्य सभा का उम्मीदवार बनाना चाहती थी, लेकिन पार्टी विरोधी उनकी गतिविधियों के कारण ऐसा नहीं हुआ. इससे पहले गोपाल राय ने कुमार विश्वास पर दिल्ली सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था. खबरों में ये बात तब भी आयी थी जब कपिल मिश्रा ने पहली बार केजरीवाल पर रिश्वत लेने का इल्जाम लगाया था.

पैसे लेकर टिकट देने के आरोपों पर सफाई देते हुए गोपाल राय ने कहा कि दूसरे राज्यों में क्या होता है किसी को पता नहीं चलता, लेकिन दिल्ली में मुहिम चलायी जा रही है. अपनी बातों पर यकीन दिलाने के लिए गोपाल राय ने कुछ ऐसे उदाहरण भी दिये जब केजरीवाल चाहते तो काम की जगह पैसा बना सकते थे, लेकिन उन्होंने इमानदारी का रास्ता अख्तियार किया. ये बताने के साथ ही गोपाल राय पहले सत्ता में रहे लोगों पर इन्हीं कामों के जरिये पैसे बनाने के इल्जाम भी लगा डाले.

1. अगर केजरीवाल इमानदारी नहीं दिखाते तो मैक्स हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द नहीं करते.

2. केजरीवाल चाहते तो वो बिजली कंपनियों से डील करके पैसा बना लेते जैसा दूसरी पार्टियां करती रही हैं.

3. प्राइवेट स्कूलों को छूट देकर भी केजरीवाल को पैसा मिल सकता है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

4. दिल्ली के टैंकर और ड्रग माफियाओं से हजारों करोड़ की वसूली की जाती थी, लेकिन ने उसे खत्म कर दिया.

5. दिल्ली का बजट 40 हजार करोड़ रुपये का है, केजरीवाल को पैसा ही खाना होता तो सेटिंग कर हजारों करोड़ रुपये उनके पास आ जाते.

कपिल मिश्रा के अलावा बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने आप पर राज्य सभा सीटों को 100 करोड़ रुपये में बेचे जाने का आरोप लगाया है. वर्मा का तो दावा है कि उनके आरोप झठे साबित हुए तो वो परिवार सहित देश छोड़ देगें. गोपाल राय के आरोपों पर कुमार विश्वास का साहित्यिक जवाबी हमला आया है जिसमें उन्होंने नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन का नाम लेकर आप नेतृत्व को टारगेट किया है.

क्रॉस वोटिंग की आशंका कितनी?

राष्ट्रपति चुनाव में आप नेता अरविंद केजरीवाल से विपक्ष दलों ने दूरी बनाये रखी, फिर भी उन्होंने एनडीए उम्मीदवार के खिलाफ मीरा कुमार को सपोर्ट करने का फैसला किया. बाद में खबर आयी कि कई नेताओं ने पार्टीलाइन छोड़ कर अंतरात्मा के नाम पर क्रॉस वोटिंग की.

राष्ट्रपति चुनाव दलित बनाम दलित की लड़ाई बन गया था. अब दिल्ली से राज्य सभा का चुनाव पैसा वाला आम आदमी बनाम दलित महिला का रूप ले रहा है. सवाल ये है कि इस बार आम आदमी पार्टी में क्रॉस वोटिंग संभव है या नहीं?

आम आदमी पार्टी के खड़े होने में मुख्य तौर पर दो फैक्टर थे - और उन्हीं के इर्द गिर्द रहते हुए लोगों ने सपोर्ट किया. एक वो तबका रहा जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में योगदान देना चाहता था और दूसरा, स्वार्थ - वो जिसे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा साधने के लिए एक लांच पैड की जरूरत थी. आम आदमी पार्टी ने ऐसे दोनों तरह के लोगों को मौका मुहैया कराया.

राज्य सभा चुनाव आते आते भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तो पीछे छूट गयी. अब तो कभी लोकपाल जैसा शब्द सुनने को भी विरले ही मिलता है. स्वार्थ तो अब और भी ज्यादा प्रभावी लगता है. आम आदमी पार्टी को भी फंड मैनेजरों की जरूरत तो रहती ही होगी जैसे कांग्रेस और बीजेपी को होती है. हर पार्टी में ऐसे कुछ नेताओं के नाम लिये जाते हैं जो फंडिंग के हुनर से ही हैसियत बनाये रहते हैं. अब तो न बीजेपी न आप - कोई भी पार्टी विद डिफरेंस तो रहा नहीं.

संजय सिंह के अलावा पार्टी से बाहर के दो लोगों को राज्य सभा का उम्मीदवार बनाये जाने से असंतुष्ट तो कई नेता होंगे. कई उनके समर्थक भी होंगे. क्या ऐसे हालात में क्रॉस वोटिंग की संभावना से कोई इंकार कर सकता है?

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