New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 11 अक्टूबर, 2019 08:57 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

2019 के आम चुनावों में भाजपा के हाथों मिली करारी शिकस्त और तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. बात वर्तमान की हो, तो जैसा गतिरोध पार्टी में छाया है अपने आप इस बात की तस्दीख हो जाती है कि अब वो वक़्त आ गया है जब हम किसी भी क्षण पार्टी को बिखरते हुए देख सकते हैं. कांग्रेस पार्टी और उसकी कार्यशैली पर नजर डालिए सारी हकीकत खुद ब खुद बयां हो जाएगी.पार्टी के बीच आपसी टकराव कैसा है? ये हम मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ और गुना से पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच पनपी जुबानी जंग से समझ सकते हैं. कमलनाथ को घेरते हुए सिंधिया ने मध्य प्रदेश में किसानों की कर्ज माफ़ी को मुद्दा बनाया है. मध्यप्रदेश में कमलनाथ और सिंधिया के बीच का टकराव सी बात की पुष्टि कर रहा है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी जहां गहरी है तो वहीं विरोध के स्वर भी बुलंद हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ, मध्य प्रदेश, कांग्रेस   मध्यप्रदेश में जो कुछ भी सिंधिया और कमलनाथ के बीच हो रहा है वो कांग्रेस की जड़ में मट्ठा डाल रहा है

दिग्विजय सिंह के भाई के बाद अब गुना से पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश सरकार की कर्जमाफी पर सवाल उठाए हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने माना कि उनकी सरकार का किया हुआ कर्जमाफी का वादा पूर्णतया पूरा नहीं हुआ है. ध्यान रहे कि इससे पहले दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा था कि सूबे के किसानों के साथ धोखा हुआ है इसलिए राहुल गांधी को किसानों से माफी मांगनी चाहिए

एमपी के भिंड़ में एक रैली को संबोधित करने के लिए पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि, 'सरकार का जो कर्जमाफी का वादा था वह पूरा नहीं हो पाया है. किसानों का सिर्फ 50 हजार रुपये तक का कर्ज माफ हुआ है जबकि हमने 2 लाख रुपये तक के कर्जमाफी का वादा किया था. इसलिए सरकार को किसान का पूरा कर्जमाफ करने की दिशा पर काम करना चाहिए.'

गौरतलब है कि ये कोई पहली बार नहीं है जब चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में कर्जमाफी एक बड़ा मुद्दा बना है. विपक्ष लगातार इस मुद्दे को हथियार बना रहा है और राज्य सरकार को घेर रहा है. मध्य प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी पर विपक्ष का यही कहना है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी ने लोगों को ठगते हुए उनके साथ एक बड़ा धोखा किया है. आपको बताते चलें कि पिछले साल मध्यप्रदेश में सत्ता में आई कांग्रेस के प्रमुख वादों में से एक वादा किसान की कर्जमाफी का भी था.

एमपी में करीब 15 साल बाद सत्ता में वापस आई कांग्रेस ने जोश जोश में कर्जमाफी की बात कही थी. दिलचस्प बात ये भी है कि अपनी योजना को अमली जामा पहनाते हुए शुरुआत में राज्य के किसानों के लिए कांग्रेस ने कर्जमाफी तो की मगर ये कितनी हुई इसका किसी को कोई अंदाजा नहीं है. बता दें कि अभी तक इस सन्दर्भ में कांग्रेस ने कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ, मध्य प्रदेश, कांग्रेस   सिंधिया की नाराजगी ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पतन की शुरुआत कर दी है

बहरहाल हमने बात की शुरुआत कांग्रेस के भीतर के गतिरोध से की थी. तो बता दें कि चाहे वो हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा और अशोक तंवर के बीच वर्चस्व की लड़ाई हो. या फिर महाराष्ट्र में संजय निरुपम और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच की जुबानी जंग. गहलोत और सचिन पायलट से लेकर सलमान खुर्शीद तक जैसा पार्टी के पुराने नेताओं का एक दूसरे के प्रति रुख है, साफ़ हो गया है कि कांग्रेस के अन्दर कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. ऐसे में अब ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ का सामने आना और सिंधिया का कमलनाथ और गवर्नेंस पर सवाल उठाना ये बता देता है कि जैसी हालत कांग्रेस पार्टी की है वो दिन दूर नहीं जब कांग्रेस देश का अतीत बन कर रह जाए.

पार्टी के अंदर बरपा झगड़ा फसाद देखकर ये बात खुद ब खुद साफ़ हो जाती है कि कांग्रेस पार्टी इस समय एक ऐसी पार्टी में तब्दील हो गई है जिसमें एक वर्ग राहुल गांधी के साथ है. जबकि दूसरा वर्ग सोनिया गांधी के साथ आ गया है. ये वर्ग कोशिश यही कर रहा है कि उनकी कथनी और करनी से सोनिया गांधी संतुष्ट रहें जिससे ये लोग भी पार्टी आलाकमान की नजरों में बने रहें.

बाकी बात सिंधिया की चल रही है तो हाल फिलहाल में जैसा रवैया सिंधिया का है साफ़ है कि वो पार्टी और पार्टी की नीतियों से खासे खफा हैं. ध्यान रहे कि अभी बीते दिनों ही सिंधिया ने पार्टी के भीतर उठ रही बागी आवाजों का संज्ञान लिया था और कहा था कि कांग्रेस को आत्म अवलोकन की जरूरत है और पार्टी की आज जो स्थिति है, उसका जायजा लेकर सुधार करना समय की मांग है. ये बातें सिंधिया ने तब कहीं थीं जब उनसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार सलमान खुर्शीद को लेकर सवाल हुआ था.

खैर ये तमाम बातें, ये तमाम गतिरोध इस लिए भी कांग्रेस पार्टी के लिहाज से गंभीर है क्योंकि तीन राज्यों में चुनाव हैं. जैसी परफॉरमेंस पार्टी की लोक सभा चुनाव में रही कह सकते हैं कि ये पार्टी के लिए महत्वपूर्ण समय था. मगर पार्टी जिस तरह चुनावों को नजरंदाज करके अपनी सारी ऊर्जा रूठों को मनाने में जाया कर रही है वो अपने आप में बुरे संकेत दे रहे हैं और जिसे पार लगाना न राहुल गांधी के बस की बात है और न ही सोनिया गांधी में इतनी क्षमता है कि वो पार्टी से जुड़े लोगों का मन मुटाव दूर कर सकें.

ये भी पढ़ें -

सोनिया-राज में कांग्रेस का बिखराव राहुल-राज से ज्‍यादा गंभीर

गांधी को हाईजैक कर पीएम मोदी ने कांग्रेस-राहुल गांधी से उनका गुरूर ही छीन लिया!

हरियाणा कांग्रेस ने सोनिया गांधी का भी हाल राहुल जैसा कर दिया

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय