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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 10 जनवरी, 2021 04:44 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में भी यूरेका मोमेंट हासिल कर चुकी है. अब बस एक्शन प्लान को अच्छी तरह अमली जामा पहनाना भर है. बीजेपी को पश्चिम बंगाल में भी वे सारे आवश्यक मसाले मिल चुके हैं जो किसी भी चुनाव में बीजेपी के चुनावी औजार होते हैं.

अगर संभव हो तो बीजेपी को हर चुनाव में एक अदद युवराज टाइप किरदार की जरूरत होती है. चुनावी मोर्चे पर तैनात कोई नेता आतंकवाद का मुद्दा उठाता है - अगर बीजेपी की सरकार नहीं बनी तो सूबे में आतंकवाद बेकाबू हो जाएगा - और कोई भी एक तात्कालिक मुद्दा, मसलन - अभी तो किसानों का ही आंदोलन है.

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को पश्चिम बंगाल में युवराज मिल गये हैं - अभिषेक बनर्जी. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के भतीजे अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) को जेपी नड्डा ने राजकुमार कह कर संबोधित किया है. आम चुनाव और हाल ही में हुए बिहार चुनाव प्रचार को याद कीजिये आसानी से सब समझ में आ जाएगा.

ठीक वैसे ही ऐलान हो चुका है कि बीजेपी की सरकार बनने पर लव-जिहाद के खिलाफ कानून बनेगा. आप चाहें तो इसे श्मशान-कब्रिस्तान वाली चुनावी बहस से जोड़ कर समझने की कोशिश कर सकते हैं - और 'अलकायदा फैल रहा है.'

बस एक प्रिंस चाहिये चुनाव जीतने के लिए

बीजेपी ने एक बार चुनाव प्रचार सामग्री में पप्पू शब्द का इस्तेमाल किया था, लेकिन चुनाव आयोग की स्क्रीनिंग में वो रिजेक्ट हो गया. जो वीडियो बना था वो तो एडिट कर सुधार लिया गया, लेकिन बाकी प्रचार सामग्री बेकार हो गयी, लिहाजा काफी नुकसान भी हुआ.

नाम तो नहीं लिया गया था, लेकिन साफ समझ आ रहा था कि वो पप्पू शब्द राहुल गांधी के लिए इस्तेमाल किया गया है. आयोग की तरफ से बीजेपी को वैकल्पिक शब्द सुझाने को कहा गया. आखिर में चुनाव आयोग ने जिस शब्द को हरी झंडी दिखायी वो था - युवराज. ये 2017 में हुए गुजरात चुनाव का वाकया है.

युवराज शब्द का इस्तेमाल तो बीजेपी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद से ही नरेंद्र मोदी जोर शोर से करने लगे थे, लेकिन बाद के चुनावों पर ध्यान दें तो पार्टी जहां भी मौका मिलता है, एक युवराज खोज ही लेती है. बाकी चुनावों की छोड़ भी दें तो बिहार चुनाव में भी बीजेपी को अपना चुनावी युवराज मिल ही गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव को 'जंगलराज का युवराज' कह कर संबोधित किया था. दरअसल, नीतीश कुमार ने बिहार में अपने चुनावी मुहिम की शुरुआत ही जंगलराज के आरोप से की थी - और एक बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो बने ही हुए हैं. ये ठीक वैसे ही है जैसे ममता बनर्जी ने बंगाल में मां, माटी और मानुष का नारा दिया था. अब बीजेपी ने ममता बनर्जी को निशाना बनाने के लिए भी एक प्रिंस खोज निकाला है.

ममता बनर्जी पर बड़ा हमला बोलते हुए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अभिषेक बनर्जी को राजकुमार कह कर संबोधित किया है, बिलकुल वैसे ही जैसे 'कांग्रेस के युवराज' राहुल गांधी या फिर 'जंगलराज के युवराज' तेजस्वी यादव.

abhishek banerjee, mamata banerjeeअभिषेक बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी के वारिस के तौर पर देखा जाता है -ल और पार्टी से कई नेताओं के मोहभंक होने की ये एक बड़ी वजह है.

अब थोड़ा जेपी नड्डा का पश्चिम बंगाल से लेटेस्ट भाषण के कुछ अंश पर गौर कीजिये, 'इस सरकार में शारदा घोटला, चिटफंड घोटाला जाने कौन-कौन सा घोटाला हुआ है... भ्रष्टाचार का बोलबाला है - अंत्येष्टि के लिए भी कटमनी ली जा रही है.'

बगैर अभिषेक बनर्जी का नाम लिये ही जेपी नड्डा ने कहा, 'अब नये राजकुमार धन बटोर रहे हैं.'

अभिषेक बनर्जी जेपी नड्डा के निशाने पर तो बहुत बाद में आये हैं, पहले से ही वो तृणमूल कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं की आंख की किरकिरी बने हुए हैं - और अब बीजेपी नेता बन चुके शुभेंदु अधिकारी भी उन नेताओं में से एक रहे हैं. शुभेंदु अधिकारी के बागी तेवर की शुरुआत ही अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर पर हमले के साथ हुई थी. माना जाता है कि चुनावी मुहिम मैनेज करने के लिए अभिषेक बनर्जी ही प्रशांत किशोर को हायर किये हैं. शुभेंदु अधिकारी की ही तरह टीएमसी में काफी नेताओं को ममता से नहीं बल्कि, अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर से दिक्कत है.

बंगाल में किसानों की लड़ाई बीजेपी लड़ेगी

केंद्र में बीजेपी की ही सरकार है. किसानों को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करते एक महीने से ज्यादा वक्त हो चुका है. केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच मसला सुलझाने को लेकर आठ दौर की मीटिंग फेल हो चुकी है. कड़ाके की ठंड और तेज बारिश में भी किसान दिल्ली की सीमाओं पर जमे हुए हैं - और बीजेपी के राजनीतिक विरोधी कह रहे हैं कि सरकार किसान विरोधी हो चुकी है. राहुल गांधी दो बार राष्ट्रपति भवन जाकर ज्ञापन सौंप चुके हैं और तीनों कृषि बिल वापस लेने की मांग कर रहे हैं - क्योंकि किसानों की भी यही डिमांड है.

लेकिन बंगाल में बीजेपी किसानों की लड़ाई लड़ने का वादा कर रही है - राजनीति इसे ही तो कहते हैं. उसमें भी चुनावी राजनीति बिलकुल ऐसी ही होती है. बीजेपी की राजनीति का असर भी देखने को मिल रहा है. अब तक केंद्र सरकार की योजनाओं के विरोध में डटी रहने वाली ममता बनर्जी ने भी कदम पीछे खींच लिया है.

मौके की नजाकत तो देखिये - ममता बनर्जी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को राज्य में लागू करने पर राजी हो गईं हैं - और बताया जा रहा है कि देशे के बाकी किसानों की ही तरह पश्चिम बंगाल के किसानों को भी जल्द ही 6 हजार रुपये मिलने शुरु हो जाएंगे. किसान सम्मान निधि का फायदा पश्चिम बंगाल के 20 लाख से ज्यादा किसानों को मिलने की संभावना जतायी गयी है. जेपी नड्डा ने समझाया भी कि बीजेपी को किसानों की कितनी फिक्र है, 'हम केंद्र में एक किसान सम्मान कोष लॉन्च करेंगे... भाजपा किसानों के साथ मिलकर बदलाव लाएगी... जब हम सत्ता में आएंगे तो किसानों का विकास होगा.'

बीजेपी अध्यक्ष ने किसानों से 'एक मुट्ठी चावल' लेकर कृषक सुरक्षा अभियान की शुरुआत की है, कहते हैं, '24 तारीख तक हमारे कार्यकर्ता 40 हजार ग्राम सभाओं में जाकर किसानों से अन्न लेंगे... हमारे कार्यकर्ता दुर्गा मां की सौगंध खाएंगे कि उनकी लड़ाई भाजपा का कार्यकर्ता लड़ेगा... हमारी सरकार आएगी तो किसानों की लड़ाई लड़ कर पश्चिम बंगाल में उन्हें न्याय दिलाने का काम भाजपा की सरकार करेगी.'

मान कर चलना चाहिये कि अगले साल तक बीजेपी यूपी, उत्तराखंड और पंजाब के किसानों के हक की लड़ाई लड़ने की ऐसे ही बात करने लगेगी - जानते हैं क्यों? क्योंकि 2022 में ही तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

वैसे भी प्रधानमंत्री मोदी तो पहले से ही देश के किसानों से वादा कर चुके हैं कि 2022 तक उनकी आय दो गुनी हो जाएगी. जब किसानों की आय दो-गुनी होगी तभी तो इकनॉमी 5 ट्रिलियन का लक्ष्य हासिल करेगी. ज्यादा नहीं बस थोड़ा इंतजार कीजिये - 1 फरवरी, 2021 को नया बजट भी आने ही वाला है.

और आतंकवाद से जंग के नाम पर

किसानों की लड़ाई लड़ने के साथ साथ अगर पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सरकार बनी तो लव-जिहाद पर भी कानूनी हथौड़ा चलेगा. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ऐलान कर दिया है कि सत्ता में आने के बाद लव जिहाद के खिलाफ मध्य प्रदेश की ही तरह कानून बनाया जाएगा. नरोत्तम मिश्रा को बीजेपी ने चुनावों में 48 सीटों का प्रभारी बनाया है.

बिहार चुनाव में इस बार महागठबंधन की सरकार बनने पर पाकिस्तान में पटाखे फोड़े जाने की बात तो नहीं हुई, लेकिन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने ये जरूर कहा था कि आरजेडी की सरकार बनी तो जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद बिहार तक पहुंच जाएगा. हालांकि, ये बयान आगे नहीं बड़ा और आया गया हो गया टाइप पीछे भी छूट गया. पश्चिम बंगाल में भी ये मुद्दा उठ चुका है और ममता बनर्जी को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है.

पश्चिम बंगाल में जहां जेपी नड्डा ममता बनर्जी को घेर रहे थे, दिल्ली में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मोर्चा संभाल रखा था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुलाकात के बाद जगदीप धनखड़ का कहना रहा, 'सुरक्षा के लिहाज से पश्चिम बंगाल खतरे में है... यहां अलकायदा फैल रहा है... अवैध बम बनाने का काम चल रहा है - मैं जानना चाहता हूं कि वे क्या कर रहे हैं?'

राज्यपाल ने पश्चिम बंगाल की राजनीतिक हिंसा को लेकर अपनी रिपोर्ट गृह मंत्री को सौंपी है. राज्यपाल धनखड़ बोले, 'बंगाल इकलौता राज्य है जहां राज्य सुरक्षा सलाहकार है. मैं इस बात को जानना चाहता हूं कि वे क्या कर रहे हैं? यहां लगातार बम धमाकों की खबरें आती हैं - उस वक्त वो कहां होते हैं?'

जो बाद जगदीप धनखड़ दिल्ली में बोले वैसी ही बातें जेपी नड्डा, ममता बनर्जी के इलाके में दहाड़ रहे थे, 'यहां का प्रशासन कानून राज में विश्वास नहीं रखता... क्योंकि पिछली बार जब मैं आया था तो डायमंड हार्बर जाते समय जिस तरह से मेरा स्वागत हुआ था और जिस प्रकार से प्रशासन और राजनीतिक दल दोनों के आपसी योजना पूर्वक तरीके से हमला हम सब पर हुआ था - वो सारे देश ने देखा.'

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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