New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 29 अगस्त, 2020 10:23 AM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
  • Total Shares

जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) काफी दिनों से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की ब्राह्मण पॉलिटिक्स को आगे बढ़ा रहे थे. ब्राह्मण चेतना परिषद का संरक्षक बन कर धीरे धीरे वो कांग्रेस ब्राह्मण चेहरे के तौर पर देखे जाने लगे थे - और ब्राह्मणों से जुड़े हर मुद्दे उठाते देखे जा रहे थे. फिलहाल वो कांग्रेस की लखीमपुर खीरी यूनिट के प्रस्ताव को लेकर चर्चा में हैं.

ये तो ऐसा लग रहा है जैसे जितिन प्रसाद के खिलाफ एक्शन लेने का मौका खोजा जा रहा हो - और हाथ लगते ही धावा बोल दिया गया हो. जितिन प्रसाद तो लगता है यूपी कांग्रेस की गुटबाजी की भेंट चढ़ गये हैं - और हैरानी की बात ये है कि इसमें प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) की मौन सहमति महसूस की जा रही है.

बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस ने यूपी में अपने ब्राह्मण फेस को विवादित क्यों बना दिया - वो भी तब जबकि 2022 को लेकर ब्राह्मण पॉलिटिक्स (UP Brahmin Politics) चरम पर है?

सिर्फ जितिन प्रसाद के खिलाफ ही प्रस्ताव क्यों?

कांग्रेस में चुनाव कराने और अध्यक्ष पद को लेकर सोनिया गांधी को लिखी गयी चिट्ठी में 23 नेताओं ने हस्ताक्षर किये - लेकिन सिर्फ जितिन प्रसाद के खिलाफ ही एक्शन लिये जाने का प्रस्ताव क्यों पारित किया गया?

प्रस्ताव को लेकर एक वायरल ऑडियो में लखीमपुर खीरी के जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रह्लाद पटेल ने बताया था कि प्रस्ताव तो पहले से तैयार करके मिला था, वो तो बस दस्तखत कर दिये. हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में भी प्रह्लाद पटेल ने ये बात स्वीकार की है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रह्लाद पटेल ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव और लखीमपुर खीरी के प्रभारी कुमुद गंगवार की तरफ से वो प्रस्ताव मुहैया कराया गया था. हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार, कुमद गंगवार ने प्रस्ताव को लेकर किसी तरह के दबाव की बात से इंकार किया है. अखबार से बातचीत में एक कांग्रेस नेता का कहना रहा कि ये सब जितिन प्रसाद और इलाके के ही एक पूर्व सांसद की सियासी दुश्मनी का नतीजा है.

कुमुद गंगवार भले ही दावा कर रहे हों कि लखीमपुर खीरी के जिलाध्यक्ष ने ऑडियो वाली बातचीत से इंकार किया है, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट में अलग ही बात मालूम होती है. बताते हैं कि प्रह्लाद पटेल ने इस बात से इंकार नहीं किया है कि ऑडियो क्लिप में उनकी आवाज नहीं है, लेकिन हैरान परेशान इस बात से जरूर हैं कि कैसे वो लीक हो गया.

वायरल ऑडियो में प्रह्लाद पटेल को ये कहते सुना गया है - धीरज गुर्जर, प्रियंका गांधी जो भी करवा देती हैं सब ठीक ही है. धीरज गुर्जर ने प्रस्ताव भेजा था. हमने कहा कि हम साइन नहीं कर पाएंगे, लेकिन ऊपर से तलवार लटकी थी, हम क्या करते?'

एक तरफ यूपी में ब्राह्मण वोट बैंक को खुश करने की होड़ मची हुई है, दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस की तरफ से दलित-मुस्लिम गठजोड़ की कवायद चल रही है. दलित-मुस्लिम प्रोजेक्ट पर पीसीसी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और पीएल पुनिया जैसे नेता काम कर रहे हैं. मुस्लिम समुदाय तक तो खुद प्रियंका गांधी को भी घर घर पहुंचते देखा गया है, हाल ही में आजमगढ़ में एक दलित प्रधान की हत्या हुई तो कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा था जिसमें महाराष्ट्र के मंत्री नितिन राउत भी शामिल थे.

ये कार्यक्रम भी ब्राह्मण राजनीतिक के पैरोकार पुराने कांग्रेसी नेताओं और नये पदाधिकारियों के बीच तकरार की वजह बना है. जितिन प्रसाद ने कहा था कि दलित प्रधान के घर कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के जाने का फैसला अच्छा था लेकिन ऐसा उन सभी के साथ होना चाहिये जिनके साथ अन्याय हो रहा है. जितिन प्रसाद का कहना रहा कि कांग्रेस को न्याय दिलाने के लिए सभी के साथ खड़ा रहना चाहिये.

jitin prasadजितिन प्रसाद के खिलाफ मौके की तलाश पहले से लगती है, चिट्ठी तो बस एक बहाना है

विकास दुबे एनकाउंटर के बाद ब्राह्मण वोट बैंक को रिझाने के चक्कर में जितिन प्रसाद ने ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा की गिरफ्तारी को लेकर भी बयान दिया था - जिसमें ब्राह्मण होने के नाते टारगेट किये जाने का आरोप लगाया था.

हो सकता है ब्राह्मण पॉलिटिक्स के नाम पर जितिन प्रसाद का ये बयान प्रियंका गांधी को ठीक न लगा हो. ऐसे में जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा यूपी में अपराध और कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार पर हमले बोल रही हैं, जितिन प्रसाद का विजय मिश्रा के पक्ष में दिया गया बयान तो पार्टी लाइन के खिलाफ ही जाता है. हालांकि, ये तो ऐसे मामले हैं जिनमें हल्की सी हिदायत भी काफी होती है. प्रस्ताव की नौबत तो गंभीर लगती है.

वैसे जितिन प्रसाद ब्राह्मण राजनीति को लेकर इस हद तक सक्रिय रहे हैं कि यूपी के विधायकों से विधानसभा सत्र में ब्राह्मण उत्मीड़न का मामला उठाने की अपील कर डाली थी. साथ ही, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुजारिश की है कि परशुराम जयंती पर राजकीय अवकाश को बहाल किया जाये. जितिन प्रसाद ने योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में कहा है - 'परशुराम जयंती पर प्रतिवर्ष राजकीय अवकाश होता रहा है, जिसे आपकी सरकार ने निरस्त कर दिया. इससे ब्राह्मण समाज में आक्रोश है.'

ब्राह्मण वोट की होड़ मची है

12 अगस्त को आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस में यूपी की योगी सरकार पर आरोप लगाया था कि राज्य में ब्राह्मणों पर अत्याचार हो रहा है और केवल ठाकुरों का काम हो रहा है. अगले दिन संजय सिंह का बयान अखबारों में छपने पर लखीमपुर खीरी के गोला गोकर्णनाथ कोतवाली में एफआईआर दर्ज करायी गयी थी. उसके बाद से आप नेता योगी सरकार पर और आक्रामक हो गये हैं.

संजय सिंह ने अपने इस ब्राह्मण प्रेम की वजह भी साफ कर दी है. संजय सिंह के मुताबिक, आम आदमी पार्टी जब भी चुनाव लड़ेगी, यूपी की सभी 403 सीटों पर मैदान में उतरेगी और किसी से कोई गठबंधन नहीं करेगी. संजय सिंह ने बताया कि अभी वो बूथ स्तर पर मजबूत नेटवर्क तैयार कर रहे हैं. लेकिन इस मसले अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा.

संजय सिंह भले ही आरोप लगायें लेकिन ऐसा तो नहीं लगता कि बीजेपी को ब्राह्मण वोटों की कोई फिक्र नहीं है. यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने अभी अभी अपनी टीम बनायी है और खास बात ये है कि जातीय हिसाब से देखें तो उसमें सबसे ऊपर ब्राह्मण ही हैं. यूपी बीजेपी के 41 पदाधिकारियों की सूची में सबसे ज्यादा 7 ब्राह्मण, 6 ठाकुर, 5 वैश्य और 2 भूमिहार बिरादरी से बनाये गये हैं.

अखिलेश यादव और मायावती की तरफ से परशुराम की जगह जगह मूर्ति बनवाये जाने की घोषणा के बीच बीजेपी ने ब्राह्मणों का जीवन बीमा और हेल्थ इंश्योरेंस कराने की बात कही है. ऐसे राजनीतिक माहौल में कांग्रेस का अपने ब्राह्मण चेहरे को विवादों में डाल देना समझ से परे लगता है.

इन्हें भी पढ़ें :

कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले जितिन प्रसाद पर कार्रवाई का दबाव खतरनाक मोड़ पर

Congress ने यूपी में ब्राह्मण पॉलिटिक्स के लिए गलत वक्त चुन लिया

राहुल गांधी ने प्रियंका के साथ मिल कर राजस्थान का झगड़ा मिटाया नहीं, और बढ़ा दिया!

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय