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Updated: 22 दिसम्बर, 2019 11:13 AM
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झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election) के Exit Poll में बीजेपी के लिए नतीजे हरियाणा जैसे ही लग रहे हैं. झारखंड चुनाव में हरियाणा से हालात थोड़े अलग थे. हरियाणा में बीजेपी भी अकेले चुनाव लड़ रही थी और कांग्रेस की तरह दूसरी पार्टियां भी. झारखंड में एक तो बीजेपी का AJSU से गठबंधन टूट गया और दूसरी तरफ JMM, कांग्रेस और आरजेडी ने महागठबंधन बना कर बीजेपी को चैलेंज किया था.

इंडिया टुडे और एक्सिस माय इंडिया का एग्जिट पोल (Exit Poll) में बीजेपी (BJP) की सीटें बहुमत से कम जबकि महागठबंधन की सीटें बहुमत के करीब से लेकर स्पष्ट बहुमत तक होने का अंदाजा लगाया गया है.

पहला सवाल तो ये है कि बीजेपी झारखंड में कहां चूक रही हो सकती है? और दूसरा सवाल - क्या बीजेपी बहुमत हासिल न करने पर भी हरियाणा की तरह सरकार बना सकती है?

अमित शाह की आशंका सच तो नहीं होने वाली?

इंडिया टुडे और एक्सिस माय इंडिया का एग्जिट पोल (Exit Poll) के मुताबिक झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 22 से 32 सीटें मिलने की संभावना है. दूसरी तरफ JMM की अगुवाई में चुनाव लड़ने वाले महागठबंधन को 38 से 50 सीटें तक मिल जाने का अनुमान लगाया गया है. इसी तरह बाबूलाल मरांडी की पार्टी JVM को 2 से 4 सीटें, सुदेश महतो की पार्टी AJSU को 3 से 5 और बाकियों के हिस्से में 4 से 7 सीटें जाने का अंदाजा है.

चुनावी रैलियों को याद करें तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को चतरा की रैली में कुछ कुछ ऐसी आशंका जरूर हुई थी. लोगों की संख्या कम होने के बावजूद अमति शाह ने रैली तो रद्द नहीं की लेकिन बीजेपी के फायदे के लिए एक नेक सलाह जरूर दी थी - हर व्यक्ति कम से कम 25 लोगों को फोन कर बीजेपी को वोट देने की गुजारिश करे. अमित शाह ने कहा था, 'ये 10-15 हजार लोगों से हम जीत लेंगे क्या, मुझे भी गणित आता है. मैं भी बनिया हूं. बेवकूफ मत बनाओ - आपको एक रास्ता बताता हूं. आप करेंगे क्या? सब लोग हाथ में मोबाइल उठाकर अपने 25-25 परिजनों को फोन करो और कमल के निशान पर वोट डालने की अपील करो.'

hemant soren, raghubar dasसवाल बहुमत का नहीं, झारखंड में सरकार बनाने का है!

ऐसी अपील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से भी अक्सर होती रही है, लेकिन आम चुनाव के दौरान. विधानसभा चुनावों में ऐसा कम ही देखने को मिला है.

BJP के वोट बढ़े फिर भी...

एग्जिट पोल में लोगों से मुख्यमंत्री के पसंदीदा चेहरे को लेकर भी सवाल हुआ - और उसमें भी CM रघुवर दास दूसरे पायदान पर फिसले नजर आ रहे हैं. मुख्यमंत्री के रूप में लोगों की पहली पसंद फिर से हेमंत सोरेन बन रहे हैं.

हेमंत सोरेन को सबसे ज्यादा 29 फीसदी लोग हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. रघुवर दास को मुख्यमंत्री के रूप में अब भी 26 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं. वैसे 10 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जो बाबूलाल मरांडी को दोबारा मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं.

एग्जिट पोल में 48 फीसदी लोगों ने बताया कि उनके वोट देने में फैसले का आधार विकास ही बना है. अगरे ये बात है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों ही लोगों को लगातार समझा ही तो रहे थे कि झारखंड में विकास सिर्फ बीजेपी की सरकार आने पर ही मुमकिन है. साथ में ये भी समझा रहे थे कि जिस तरह कांग्रेस अयोध्या में मंदिर बनने में रोड़े अटका रही थी, विकास के मामले में भी उसका वही रवैया है.

ये भी महसूस किया गया कि बीजेपी नेतृत्व सीधे सीधे हेमंत सोरेन को टारगेट नहीं कर रहा था, बल्कि कुछ ऐसे समझा रहा था कि सोरेन कैसे कैसे लोगों के साथ चुनावी गठबंधन कर लेते हैं - एक सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कांग्रेस और दूसरी लालू प्रसाद की आरजेडी.

पोल में 36 फीसदी लोगों ने केंद्र में बीजेपी की मोदी सरकार के प्रदर्शन को भी सराहा है - लेकिन रघुवर दास सरकार से मोहभंग क्यों हुआ लगता है? दरअसल, 30 फीसदी लोगों ने सत्ता विरोधी फैक्टर की ओर ध्यान दिलाया है - क्योंकि उनका कहना है कि वे झारखंड में बदलाव चाहते थे.

जहां तक वोट शेयर का सवाल है, वो तो बढ़ा ही है. 2014 में बीजेपी को 31 फीसदी वोट मिले थे और इस बार ये 34 फीसदी होता नजर आ रहा है. एग्जिट पोल के मुताबिक, जातीय आधार पर देखा जाये तो महागठबंधन ने 53 फीसदी ST वोट और 69 फीसदी क्रिश्चियन वोट झटक लिया है - और बीजेपी को हिंदुओं के 27 फीसदी SC वोट मिले हैं और क्रिश्चियन वोट 12 फीसदी ही मिलते लग रहे हैं.

सरकार किसकी बनेगी?

कई रिपोर्ट RSS के सर्वे को लेकर भी आयी हैं - संघ सर्वे में BJP को 27-30 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. इसी तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा को 22-25 सीटें और कांग्रेस के खाते में 10 सीटें मानी गयी हैं. AJSU को इस सर्वे के अनुसार 5 सीटें और मरांडी की पार्टी JVM को 3 सीटें मिलती पायी गयी हैं.

तो बात ये है कि संघ को झारखंड में भी बिलकुल हरियाणा जैसी स्थिति समझ में आ रही है - किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं. 81 सीटों वाली झारखंड विधान सभा में बहुमत का नंबर 41 है.

सवाल ये उठता है कि अगर बीजेपी को बहुमत नहीं मिला तो भी वो सरकार बनाने की कोशिश करेगी या नहीं? कर्नाटक की तरह महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के चार दिन के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद भला कौन सोच सकता है कि बीजेपी बहुमत मिलने पर ही सरकार बनाने का फैसला करेगी? बीजेपी सरकार बनाने की हर हाल में कोशिश करेगी. फिर तो अगला सवाल यही होगा कि झारखंड में बीजेपी के लिए दुष्यंत चौटाला कौन बनेगा?

बात इतनी ही नहीं है. दुष्यंत चौटाला तो डिप्टी सीएम पर ही मान गये - अगर झारखंड में कोई मुख्यमंत्री से कम पर साथ नहीं देने वाला मिला तो?

महाराष्ट्र के बाद लगता नहीं कि बीजेपी मुख्यमंत्री की जिद पर अड़ी रहेगी और कुर्सी पर कोई राजनीतिक दुश्मन काबिज हो जाएगा. फिर तो मान कर चलना चाहिये कि चुनावों से पहले भले ही सुदेश महतो और बाबू लाल मरांडी बारगेन करने में चूक गये हैं - 23 दिसंबर को नतीजे आने के बाद उनकी किस्मत के सितारे फिर से चमक सकते हैं.

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