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Updated: 29 अप्रिल, 2018 05:50 PM
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जन-आक्रोश रैली के बाद जो कुछ भी हासिल हो बात अलग है. रैली से पहले कांग्रेस के लिए एक अच्छी खबर जरूर आ गयी थी - राहुल गांधी ट्विटर पर सबसे ज्यादा फॉलोअर वाले कांग्रेस के नेता हो गये हैं. अब तक वो सिर्फ शशि थरूर से पिछड़े हुए थे. शशि थरूर के फिलहाल 67 लाख फॉलोअर हैं. हालांकि, 2019 में जिस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राहुल गांधी का मुकाबला है उनसे बहुत पीछे हैं. मोदी के ट्विटर पर 4.2 करोड़ फॉलोअर हैं.

राहुल गांधी का ट्विटर हैंडल कुछ दिन पहले उस वक्त बदल दिया गया जब वो कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभालने को हुए. पहले राहुल गांधी का ट्विटर हैंडल @OfficeOfRG हुआ करता था जिसे बदल कर @RahulGandhi कर दिया गया है. कांग्रेस के इस जन-आक्रोश रैली को अमित शाह ने परिवार आक्रोश रैली करार दिया.

जन-आक्रोश नाम क्यों?

रैली में टीम राहुल की ओर से सबसे ज्यादा सक्रिय कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत ने पहले ही बता रखा था - 'आक्रोश समाज के सभी वर्गों, गरीब, वृद्ध, युवा, किसान, महिलाओं में है. इसलिए इसका नाम जन आक्रोश रैली है.'

rahul gandhiगुस्से की ओर लौटेते राहुल गांधी...

खुद राहुल गांधी ने भी अपने ट्वीट में इसे समझाने की कोशिश की थी, ‘मोदी सरकार के चार साल-युवाओं को रोज़गार नहीं, महिलाओं को सुरक्षा नहीं, किसानों को सही दाम नहीं, दलितों-अल्पसंख्यकों को अधिकार नहीं. इस निराशा से फैले भारी आक्रोश को प्रकट करने के लिए...’

अपने भाषण की शुरुआत भी राहुल गांधी ने इसी बात से की. राहुल ने बताया कि वो जहां कहीं भी जाते हैं लोगों से पूछते हैं - "खुश हो?"

राहुल गांधी के मुताबिक लोग उनसे बताते हैं कि वे सरकार से गुस्सा हैं. अब तो नहीं, लेकिन बीते कुछ साल पहले की रैलियों में राहुल गांधी खुद ही लोगों से पूछा करते थे - आपको गुस्सा नहीं आता? तब राहुल गांधी को अक्सर कमीज के आस्तीन चढ़ाते और व्यवस्था के प्रति गुस्से में देखा जाता रहा. ऐसा उन दिनों में भी जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में मनमोहन सिंह की सरकार हुआ करती थी.

गुस्से की बात करने के बाद राहुल गांधी आस्था पर शिफ्ट हो गये और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आस्था और सत्य में संबंध क्या होता है, समझाया.

निशाने पर मोदी और भाषणों का की-वर्ड कर्नाटक

राहुल गांधी ने जब आस्था की बात की तो लगा 2019 को देखते हुए अयोध्या मसले का जिक्र करेंगे. वैसे भी कांग्रेस के सामने राम मंदिर को लेकर बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे से मुकाबला करना है. जाहिर है गुजरात एक्सपेरिमेंट से निकले सॉफ्ट हिंदुत्व को फिर से हथियार बनाने में कांग्रेस को कोई गुरेज नहीं होना चाहिये.

लेकिन राहुल गांधी ने आस्था को सत्य से जोड़ दिया. फिर सत्य की खोज के हवाले से मोदी के झूठ पकड़ने की बात करने लगे. राहुल गांधी ने कहा कि ये देश आस्था का देश है और आस्था का मतलब सत्य होता है. राहुल ने कहा कि मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा सभी जगह लोग सिर्फ सत्य के सामने सिर झुकाते हैं.

निजी अनुभवों के हवाले से राहुल गांधी ने बताया कि जब भी हम किसी से बात करते हैं तो उसमें खोजते हैं कि वो झूठ कहां बोला. प्रधानमंत्री मोदी के केस में राहुल गांधी का कहना था कि जब भी कोई उनके भाषणों को सुनता है - सच्चाई ढूंढने लगता है. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी ने कांग्रेस पार्टी और नेताओं के बारे में हर जगह झूठ फैलाया. राहुल गांधी ने दावा किया कि अब वो झूठ देश को दिखायी देने लगा है.

janakrosh rallyकर्नाटक चुनाव पर जोर...

राहुल गांधी बोले, 'मोदी जी ने कहा - 70 साल कांग्रेस पार्टी ने कुछ नहीं किया. मुझे 60 महीने दो देश बदल दूंगा. लेकिन मोदी जी ने क्या किया. देश में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ा...'

प्रधानमंत्री की चीन यात्रा को जितना में ऐतिहासिक माना या बताया जा रहा हो, राहुल गांधी खासे खफा नजर आये. चीन के साथ अनौपचारिक शिखर वार्ता भी राहुल गांधी को रास नहीं आया, 'बिना एजेंडा के डिस्कशन चल रहा है. चाय चखी जा रही है. हिंदुस्तान का प्रधानमंत्री बिना एजेंडा डिस्कशन कर रहा है...'

मोदी की चीन यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने ट्वीट किया था कि टीवी पर देख कर ऐसा लगा जैसे वो तनाव में हों. रैली में राहुल गांधी ने मोदी को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि चीन के सामने प्रधानमंत्री खड़े नहीं हो पाये. राहुल में लंदन में मोदी के खिलाफ हुए प्रदर्शन की ओर भी इशारा किया, 'किस प्रकार का प्रधानमंत्री है. 70 साल में हिंदुस्तान के किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा काम कभी नहीं किया.' इस क्रम में राहुल गांधी ने जवाहरलाल नेहरू से लेकर एचडी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल तक के नाम लिए. अमूमन देखा जाता है कि कांग्रेस पीवीएल नरसिम्हा राव का नाम लेने से बचती है, राहुल गांधी ने राव का भी जिक्र किया.

राहुल को गुस्सा इस बात पर आ रहा था कि चीन घुसा चला आ रहा है, हैली पैड बना ले रहा है - और प्रधानमंत्री मोदी उसके साथ अनौपचारिक वार्ता कर रहे हैं. राहुल के गुस्से में उस बात की भी झलक दिखी जब उनके चीनी राजदूत से मिलने पर बीजेपी ने हमला बोला था.

रैली में राहुल गांधी 2019 तक जाते जरूर दिखे लेकिन घूम-फिर कर कर्नाटक पहुंच जाते रहे. वैसे भी फिलहाल कांग्रेस के लिए कर्नाटक का किला बचाने से बढ़कर और हो भी क्या सकता है?

बीच बीच में राहुल गांधी कार्यकर्ताओं का जोश भी बढ़ाते रहे - 'आप अपनी शक्ति को पहचानो. आप गुजरात में खड़े थे. गुजरात में पूरी सरकार लगी रही... सब लगे रहे और...' इन सब बातों के साथ ही राहुल गांधी ने मोदी की सी-प्लेन यात्रा पर भी कटाक्ष किया.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं में राहुल गांधी जोश भी जगाते रहे, 'अब देखना कर्नाटक में क्या करता है कांग्रेस का कार्यकर्ता?' बताते भी रहे, 'देखना राजस्थान में क्या होता है. मध्य प्रदेश में क्या होता है. छत्तीसगढ़ में क्या होता है. राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस हर जगह जीतेगी और 2019 में भी कांग्रेस पार्टी ही चुनाव जीतेगी.

फिर पूछा, 'क्यों जीतेगी, मैं बताता हूं. कांग्रेस का कार्यकर्ता शेर का बच्चा है. सत्य को पकड़ कर नहीं छोड़ेगा.' सत्य और आस्था को जोड़ते जोड़ते राहुल गांधी बार बार प्रधानमंत्री मोदी को लपेट भी लेते रहे.

राहुल गांधी का ज्यादा जोर कर्नाटक पर ही नजर आया. कर्नाटक को लेकर राहुल ने बीजेपी के सीएम उम्मीदवार येदियुरप्पा के भ्रष्टाचार की याद दिलायी. राहुल गांधी का अंदाज भी प्रधानमंत्री मोदी जैसा ही लग रहा था जब वो हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस शासन को 'जेल जाने वालों की सरकार' बताया करते रहे.

राहुल बोले, 'जब मोदी मंच पर खड़े होते हैं तो उनके एक तरफ येदियुरप्पा होते हैं. येदियुरप्पा जो जेल जा चुके हैं... और दूसरी तरफ चार मिनिस्टर...' राहुल गांधी का आशय माइनिंग स्कैम में जेल से छूटे रेड्डी बंधुओं से रहा जिन्हें बीजेपी ने टिकट दिया हुआ है.

आस्था प्यार है

आस्था को सत्य से जोड़ते हुए आगे बढ़े राहुल गांधी ने उसमें प्यार भी पिरो दिया. फिर समझाया कि किस तरह बीजेपी और आरएसएस नफरत फैलाते हैं और कांग्रेस प्यार सिखाती है.

राहुल गांधी का कहना रहा, 'ये देश इमारत जैसा है. इमारत में अलग अलग चीजें होती हैं... पानी के बिना इमारत नहीं खड़ी हो सकती है... हिंदुस्तान की इमारत का पानी कांग्रेस पार्टी है. पानी प्यार है... आरएसएस बीजेपी नफरत फैलाते हैं, कांग्रेस प्यार फैलाती है...'

रैली में सोनिया गांधी के संबोधन में भी निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी ही रहे और मनमोहन सिंह के भाषण में भी. सोनिया गांधी ने कहा, 'इस समय देश में बेटियां सुरक्षित नहीं, उनके अपराधियों को संरक्षण मिल रहा है. क्या ऐसे ही देश के लिए हमारे नेताओं ने अपना सबकुछ त्याग दिया था?'

सोनिया ने आरोप लगाया कि जिन संस्थाओं को 60-70 साल में तैयार किया गया था, मोदी सरकार ने उन्हें कमजोर कर दिया. फिर बोलीं, 'संसदीय बहुमत को मनमानी का लाइसेंस समझ लिया है. सरकार अहसमति को हर स्तर पर कुचलने का अधिकार समझती है.'

प्रधानमंत्री रहते अपनी सफाई में खामोशी वाला शेर सुनाने वाले मनमोहन सिंह जन-आक्रोश रैली में भी शेर पढ़ा - 'कुछ ऐसे भी मंजर हैं तारीख की नज़रों में. लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सजा पायी.'

किसानों खातिर यूपी चुनाव से पहले तीन हजार किलोमीटर की खाट सभा करने वाले राहुल गांधी ने यहां तक कह डाला, 'कांग्रेस पार्टी के बिना इस देश का किसान जी नहीं सकता. अगर कांग्रेस पार्टी खड़ी नहीं होती नरेंद्र मोदी जमीन छीन कर ले जाता.'

कांग्रेस की जन-आक्रोश रैली को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने परिवार आक्रोश रैली करार दिया. इससे पहले भी कांग्रेस की लोकतंत्र बचाओ रैली को लेकर बीजेपी की ऐसी ही टिप्पणी रही.

राहुल गांधी ने अपना भाषण खत्म किया और मनमोहन सिंह की बगल में जाकर बैठ गये. फिर कुछ देर बाद उठे और दोबारा माइक संभालते हुए बोले, 'आप कांग्रेस के कार्यकर्ता हो, मैं आपको रिपोर्ट करता हूं तो मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं. मैंने पहले सोचा था कि बोलूंगा नहीं फिर सोचा परिवार के लोग हैं तो बोल देता हूं.'

कार्यकर्ता थोड़े हैरान और परेशान भी लग रहे थे, तभी राहुल गांधी ने कर्नाटक जाते वक्त विमान में हुई खराबी का वाकये के बारे में अपने अनुभव शेयर किये, "2-3 दिन पहले हम कर्नाटक जा रहे थे, हम हवाई जहाज में थे और अचानक हवाई जहाज 8 हजार फुट नीचे आ गया. मैंने सोचा, गाड़ी गई... तभी मेरे दिमाग में आया कि मैं कैलाश मानसरोवर की यात्रा करूंगा. आपको बता दें कि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए 12 मई को मतदान है... कर्नाटक के चुनाव के बाद मुझे आपसे 10-15 दिन की छुट्टी चाहिए ताकि मैं कैलाश मानसरोवर जा सकूं."

जन-आक्रोश रैली का पूरा इंतजाम प्रियंका गांधी की निगरानी में हुआ था और टीम राहुल में अशोक गहलोत सबसे ज्यादा एक्टिव रहे. रैली की जो सबसे खास बात रही वो ये थी कि इसके लिए बार कोड वाले पास जारी किए गए थे. बार कोड की जरूरत तो सुरक्षा कारणों से बतायी गयी, लेकिन चर्चा ये भी रही कि मकसद ये मालूम करना रहा कि कौन नेता कितनी भीड़ जुटा पाया.

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