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Updated: 25 सितम्बर, 2020 02:41 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) से धारा 370 (Article 370) और अनुच्छेद 35 a हटे हुए ठीक ठाक वक़्त गुजर चुका है. चूंकि सरकार अलगाववादियों पर पहले ही नकेल कस चुकी है, इसलिए वर्तमान में जैसे हालात हैं स्थिति काफी हद तक संभली है. लेकिन जैसे हर नई सुबह से पहले शाम होती है कश्मीर और धारा 370 पर जैसा रुख राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) का है ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि, सामान्य हालात के बावजूद सरकार विरोधी स्वर अगर हम कश्मीर (Kashmir) से सुनें तो हमें हैरत में बिल्कुल भी नहीं पड़ना चाहिए. दरअसल सरकार विरोधी इन्हीं स्वरों ने कश्मीर की सियासत में खाद का काम किया और कश्मीर को विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर रखा. जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 की पुनः बहाली को लेकर जो दावा पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने किया है वो विचलित करने वाला है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि कश्मीर के लोग खुद को भारतीय (Indian) नहीं मानते हैं और न ही वो भारतीय होना चाहते हैं. फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि कश्मीर के लोग चाहते हैं कि चीन (China) उन पर शासन करे.

Farooq Abdullah,  Jammu Kashmir, Article 370, Muslim, China, Uyghurफ़ारूक़ अब्दुल्ला की बातों से साफ़ है कि अब तक कश्मीरी क्यों विकास की मुख्य धारा से पीछे थे

जी हां उपरोक्त बातों को पढ़कर आश्चर्य में पड़ने की कोई ज़रूरत नहीं है. दरअसल फारूक अब्दुल्ला ने एक वेबसाइट को इंटरव्यू दिया है और उस इंटरव्यू में कश्मीर के मद्देनजर ऐसी तमाम बातें कह दी हैं जिसने सियासी गलियारों के अलावा सोशल मीडिया तक पर हड़कंप मचा दिया है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि कश्मीरी लोगों के साथ सरकार द्वारा दूसरे दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. फारूक अब्दुल्ला का मानना है कि जम्मू कश्मीर में पुनः धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए को बहाल किया जाए.

ध्यान रहे कि केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाते हुए जम्मू कश्मीर को मिले विशेष अधिकार समाप्त कर दिए थे. कश्मीर के सियादतदानों ने सरकार द्वारा उठाए इस कदम की तीखी आलोचना की थी और फारूक अब्दुल्ला महबूबा मुफ्ती समेत तमाम नेताओं ने माना था कि सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले का असर आम कश्मीरी आवाम पर पड़ेगा. इस फैसले से विकास रुकेगा और इसका साफ असर हमें शिक्षा क्षेत्रों, स्वास्थ्य सुविधाओं इत्यादि में देखने को मिलेगा.

वहीं बात अगर भाजपा की हो तो कश्मीर से विशेष दर्जा हटाए जाने को सरकार अपनी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखती है. सरकार का मानना है कि घाटी के लोगों ने नए परिवर्तन को सहर्ष स्वीकार कर लिया है. फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि जब घाटी की प्रत्येक सड़क पर सेना के जवान हों और धारा 144 लागू हो, ऐसे में कौन विरोध करने सामने आएगा. अगर ये सब हटा देते तोलाखों लोग विरोध करने के लिए सड़क पर उतर आते.

चीन के शासन की वकालत कर रहे अब्दुल्ला को उइगर मुसलमानों को देखना चाहिए.

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में विरोध और आलोचना का हक़ सबको है मगर जो बात विचलित करती है वो ये कि बकौल अब्दुल्ला कश्मीर और कश्मीरियों पर चीन का शासन होना चाहिए. सवाल ये है कि आखिर उन्होंने ऐसा सोच भी कैसे लिया? क्या उन्होंने चीन का वो रवैया नहीं देखा जो चीन ने उइगर मुसलमानों के प्रति अपनाया हुआ है.

ये बात काबिल ए गौर है कि आज चीन में रहने वाले उइगर मुसलमान न सिर्फ तंगहाली और पस्ताहाली की ज़िंदगी जी रहे हैं बल्कि उन्हें अपनी जान का खतरा भी बना हुआ है. चीन की हुकूमत उइगर को बदलना चाहती है. यदि वो मानते हैं तो अच्छी बात है नहीं तो उन्हें तमाम तरह की यातनाओं का सामना करना पड़ता है.

बात अभी बीते दिनों की है खबर आई थी कि चीन ने उइगर मुसलमानों की मस्जिदों को तोड़कर पब्लिक टॉयलेट का निर्माण कराया. इसके अलावा अगर बात उइगर मुसलमानों पर चीन के रुख की हो तो वर्तमान में चीन ने इस समुदाय की सभी धार्मिक स्वतंत्रताओं का हनन कर लिया है जिसके चलते चीन में मुसलमान दोयम दर्जे की ज़िंदगी जीने को मजबूर है.

इन जानकारियों के बाद हम फरूक अब्दुल्ला से जरूर पूछना चाहेंगे कि सरकार के विरोध में वो इस हद तक गिर गए कि अब उनके अंदर इतनी समझ ही नहीं रही कि सही क्या है और गलत क्या है.

बताया पीएम मोदी को धोखेबाज

इंटरव्यू में जैसा लहजा फारूक अब्दुल्ला का था उन्होंने सरकार पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाए और पीएम मोदी को धोखेबाज कहा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जैसा कश्मीर के लोगों का मूड है उन्हें सरकार पर किसी तरह का कोई भरोसा नहीं रह गया है. अब्दुल्ला ने आगे कहा कि कश्मीर में संवैधानिक घोषणा करने से पहले पीएम मोदी ने उन्हें गुमराह और धोखा दिया था.

आम कश्मीरियों को ढाल बनाकर यकीनन फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने बहुत बड़ी बात कही है. इन अलगाववादी बातों से उनकी सियासत कितनी प्रभावित होगी? क्या वो दोबारा कश्मीर में सत्ता सुख भोगने में कामयाब हो पाएंगे इसका पता हमें जल्द ही चल जाएगा लेकिन जैसे तेवर फरूर अब्दुल्ला के हैं साफ़ हो गया है कि इतने लम्बे वक़्त से आखिर क्यों कश्मीरी आवाम पस्तहाली और तंगहाली का जीवन जीने को मजबूर थी.

जो नेता अपने फायदे के लिए कश्मीरियों की हालत उइगर मुसलमानों जैसी करने पर तुला हो वो उनका कितना भला करेगा अब इसका फैसला देश की जनता ही करे. अब जनता ही हमें बताये जो फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने अपने राजकनीतिक फायदे के लिए किया वो सही है या फिर गलत.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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