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Updated: 07 जनवरी, 2018 01:02 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
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चारा घोटाले का दूसरा केस यानी देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को रांची की विशेष CBI अदालत ने साढ़े तीन साल की सजा सुनाई और 5 लाख का जुर्माना लगाया. इस फैसले के बाद अब लालू प्रसाद को जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा.

लेकिन इन सब के बीच बड़ा सवाल ये है कि इस सजा का बिहार की राजनीति में क्या असर पड़ने वाला है? बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी राजद के लिए यह सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है. क्योंकि जब लालू प्रसाद की ज़रूरत नीतीश-बीजेपी गठबंधन को राज्य में चुनौती देने की आई तो वो खुद सलाखों के पीछे चले गए.

पार्टी की कमान किसके हाथ में?

लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद पहला सवाल यही है कि अब पार्टी की बागडोर किसके हाथों में होगी. और क्या वो उनके गैर-मौजूदगी में पार्टी को आगे बढ़ा पाएंगे? या फिर पार्टी में टूट की स्थिति भी आ सकती है? 

हालांकि तेजस्वी यादव को लालू के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता है. लेकिन अभी ये कहना कि तेजस्वी यादव इसमें सक्षम होंगे, ज़ल्दबाज़ी हो सकती है. क्योंकि लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के राजनीतिक अनुभवों में आकाश-पाताल का फर्क है. और तो और अगर तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के मामले में शिकंजा कसता चला गया तो पार्टी और परिवार के लिए मुश्किलें और भी बढ़ जाएंगी. ऐसे में हो सकता है कि पार्टी के कुछ नेता साथ छोड़कर जा भी सकते हैं.

tejaswi yadav, lalu yadav, RJDतेजस्वी यादव, लालू की जगह ले पाएंगे?

कांग्रेस-राजद गठबंधन पर असर:

लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद कांग्रेस-राजद गठबंधन पर असर तय माना जा रहा है. लालू प्रसाद को बिहार में पिछड़ों का मसीहा के रूप में जाना जाता है. 2019  के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को उनसे काफी उम्मीदें थी. कांग्रेस के लिए जदयू-भाजपा गठजोड़ का मुक़ाबला करना मुश्किल होगा. वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी के लिए चारा घोटाले के दूसरे मामले में दोषी लालू प्रसाद की पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव में एक साथ रहना उनकी छवि खराब कर सकता है. साफ़ है बगैर लालू बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर भाजपा-जेडीयू को पटखनी देना इतना आसान नहीं होगा. हालांकि कांग्रेस का कहना है कि उसका गठबंधन किसी व्यक्ति विशेष के साथ नहीं है. लेकिन शायद कांग्रेस यह भूल रही है कि राजद व्यक्ति-विशेष पार्टी ही है.

नीतीश कुमार को राहत:

लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद नीतीश कुमार चैन की सांस ले सकते हैं. क्योंकि जब से नीतीश कुमार ने एनडीए में वापसी की थी, तभी से लालू प्रसाद उन पर हमलावर थे. ऐसे में उन्हें फौरी राहत मिलना तय है. नीतीश कुमार एनडीए में वापसी को ये कहते हुए सही ठहरा सकते हैं कि राजद के भ्रष्टाचार से वो मुक्ति  चाहते थे. क्योंकि लालू प्रसाद लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गद्दार की उपमा दे रहे थे.

इन सब के बीच बिहार में राजनीतिक समीकरण बदलने के साथ ही साथ आने वाला समय काफी दिलचस्प हो सकता है. देखना दिलचस्प होगा कि बगैर लालू प्रसाद राजद का क्या होगा और वहां की सियासत किस करवट बैठती है.

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अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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