New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 07 जुलाई, 2021 10:30 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
  • Total Shares

2017 में पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनने के साथ ही पार्टी की अंतर्कलह सामने आने लगी थी. अमरिंदर सिंह की कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद से ही नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने खुलकर कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab assembly elections 2022) से पहले इस झगड़े को सुलझाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है. पंजाब कांग्रेस में चल रही अंतर्कलह को खत्म करने के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच करीब एक घंटे की मुलाकात हुई.

इस मुलाकात के बाद अमरिंदर सिंह ने कहा कि पार्टी के आंतरिक मामलों पर कांग्रेस (Congress) आलाकमान जो भी निर्णय लेगा, वह उसके लिए तैयार हैं. वहीं, नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में सवाल पूछे जाने पर कैप्टन ने कहा कि उनके बारे में वह कुछ नहीं जानते हैं. इस मुलाकात के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब (Punjab) में कांग्रेस के भविष्य का नेता मान लिया है. संभावना है कि अमरिंदर सिंह पर आरोपों की झड़ी लगाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर जल्द ही कोई बड़ी घोषणा की जा सकती है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या वाकई नवजोत सिद्धू कैप्टन अमरिंदर सिंह से ज्यादा लोकप्रिय हैं?

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए सिद्धू-कैप्टन के बीच किसी एक का चुनाव करना मुश्किल है.कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए सिद्धू-कैप्टन के बीच किसी एक का चुनाव करना मुश्किल है.

कांग्रेस समिति की रिपोर्ट ने भरा बगावत में बारूद

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पद के लिए अपने नाम की घोषणा पर अड़ गए थे. उन्होंने कांग्रेस आलाकमान को खुली चुनौती देते हुए पार्टी छोड़ने की भी धमकी दे दी थी. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने उस समय अमरिंदर सिंह को मना लिया था कि वे अगली बार सीएम पद के लिए आगे नहीं आएंगे. लेकिन, सत्ता चीज ही ऐसी है कि तमाम वादे और नियम-कायदे टूट जाते हैं. यही वजह रही कि बीते चार सालों में नवजोत सिंह सिद्धू के अमरिंदर सिंह के खिलाफ मुखर होने के मामले पर कांग्रेस आलाकमान ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. वहीं, पंजाब में उपजे विवाद को खत्म करने के लिए बनाई गई कांग्रेस आलाकमान की तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के निष्कर्ष भी कैप्टन के खिलाफ बगावत में बारूद भरने के लिए ही नजर आते हैं.

माना जा रहा था कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडगे के नेतृत्व वाली इस समिति ने सोनिया गांधी को जो रिपोर्ट सौंपी थी. उसमें नवजोत सिंह सिद्धू को एक सम्मानजनक पद के साथ कैप्टन सरकार में वापसी कराने की वकालत की गई थी. समिति ने अमरिंदर सिंह को भी ताकीद कर दी थी कि कांग्रेस आलाकमान उनके इस अड़ियल रवैये से बिल्कुल भी खुश नहीं है. समिति ने कैप्टन को सिद्धू के साथ मतभेदों को भूलकर आगे बढ़ने की सलाह भी दी थी. लेकिन, अमरिंदर सिंह इसके लिए तैयार नहीं दिखे थे. वहीं, इससे उलट कैप्टन ने लंच डिप्लोमेसी के जरिये कांग्रेस आलाकमान के आगे अपना शक्ति प्रदर्शन कर सीएम पद के अपने दावे को और पुख्ता कर दिया. इसके साथ ही अमरिंदर सिंह ने शीर्ष नेतृत्व तक ये भी संदेश पहुंचाने की कोशिश की कि वह अपने स्टैंड पर झुकेंगे नहीं.

प्रियंका-राहुल का 'हाथ', सिद्धू के साथ

करीब एक सप्ताह पहले नवजोत सिंह सिद्धू राहुल गांधी से मुलाकात करने के लिए दिल्ली पहुंचे थे. जिसके बाद राहुल गांधी की ओर से कहा गया था कि सिद्धू के साथ उनकी मुलाकात तय नहीं है. इसी बीच सिद्धू के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा तारणहार बनकर उभरी. प्रियंका गांधी केवल नवजोत सिंह सिद्धू मिली ही नहीं. उन्होंने सिद्धू और राहुल के बीच मुलाकात कराने के लिए सोनिया गांधी के निवास से लेकर राहुल गांधी के घर तक कई चक्कर लगाए. आखिर में प्रियंका गांधी को कामयाबी भी मिली और राहुल गांधी ने सिद्धू के साथ एक 'लंबी मुलाकात' की. प्रियंका गांधी इन दिनों कांग्रेस में झगड़ों को सुलझाने में काफी एक्टिव नजर आ रही हैं. नवजोत सिंह सिद्धू भी अपने कई इंटरव्यू में पहले भी कह चुके हैं कि कांग्रेस में उनकी एंट्री की वजह प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ही हैं. अमरिंदर सिंह पर हमलावर रहे सिद्धू हमेशा ही कहते नजर आए हैं कि सबको पता है, उनके 'बॉस' कौन हैं?

वहीं, सोनिया गांधी के साथ हालिया मुलाकात को छोड़ दें, तो कैप्टन अमरिंदर सिंह केवल कांग्रेस की तीन सदस्यीय समिति से ही मिले हैं. खैर, कांग्रेस की इस समिति से मिलना अमरिंदर सिंह की मजबूरी भी कहा जा सकता है. कांग्रेस में अपनी बात खुलकर रखने के लिए उन्हें भी एक मंच की जरूरत थी. जहां से उनकी आवाज शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच सके. दरअसल, हाल-फिलहाल तक तो सोनिया गांधी के दरवाजे भी कैप्टन के लिए बंद ही थे. प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने पहले ही अमरिंदर सिंह से दूरी बना रखी है. ये स्थिति काफी चौंकाने वाले है कि अपने ही राज्य के एक सीएम से मुलाकातों का दौर पर कांग्रेस में काफी हद तक एकतरफा ही रहा. खैर, ये कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस के 'नए शीर्ष नेतृत्व' में अमरिंदर सिंह से ज्यादा नवजोत सिंह सिद्धू की पकड़ मजबूत है.

शीर्ष नेतृत्व के लिए सिद्धू-कैप्टन के बीच चुनाव करना मुश्किल

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पंजाब में कांग्रेस के पास कैप्टन अमरिंदर सिंह के कद का कोई नेता नहीं है. यही वजह है कि कांग्रेस 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन के दम पर ही चुनावी मैदान में जाना चाहती है. लेकिन, इसके लिए वह सिद्धू की कुर्बानी देने को तैयार नहीं है. राहुल और प्रियंका गांधी मान चुके हैं कि पंजाब में कांग्रेस के भविष्य के नेता नवजोत सिंह सिद्धू ही होंगे. खैर, एक राजनीतिक दल के लिहाज से कांग्रेस की ये सोच जायज भी नजर आती है. लेकिन, कांग्रेस नेतृत्व इस कोशिश पर ज्यादा जोर दे रहा है कि दोनों नेताओं के बीच किसी भी तरह से विवाद का हल निकल जाए. माना जा रहा है कि कैप्टन को भरोसे में लेकर सिद्धू को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.

पंजाब में सिद्धू की अहमियत

पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू की अहमियत का अंदाजा AAP नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के बयान से लगाया जा सकता है. पंजाब के अपने हालिया दौरे पर सिद्धू को लेकर पूछे गए एक सवाल पर अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि मैं उनका सम्मान करता हूं. दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू खुले तौर पर कह चुके हैं कि वह पंजाब की ही राजनीति करेंगे. वहीं, कांग्रेस में अमरिंदर सिंह के बाद अगर कोई लोकप्रिय नेता है, तो वह नवजोत सिंह सिद्धू ही हैं. करतारपुर साहिब कॉरिडोर पर सिद्धू के एक्टिव होने से उन्होंने पंजाब में अपनी एक अलग फॉलोइंग भी डेवलप कर ली है. सिख समुदाय में कैप्टन की लोकप्रियता के मुकाबले कम ही सही, लेकिन सिद्धू भी कुछ हिस्सा शेयर करते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया टुडे के एक सर्वे के मुताबिक, पंजाब में अमरिंदर सिंह को 32 फीसदी लोगों ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी पहली पसंद बताया था. इस लिस्ट में सिद्धू 16 फीसदी लोगों की पसंद बनकर तीसरे स्थान पर थे. इसका सीधा सा मतलब निकलता है कि अमरिंदर सिंह के बाद पार्टी में लोकप्रियता के आधार पर सिद्धू अभी भी दूसरे नंबर के ही नेता हैं.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय