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Updated: 13 अक्टूबर, 2015 01:01 PM
ब्रजेश मिश्र
ब्रजेश मिश्र
  @brajeshymishra
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पाकिस्तानी सिंगर गुलाम अली के कंसर्ट को लेकर हाय तौबा मचाने के बाद शिवसेना ने आखिरकार एक बार फिर सुर्खियां बटोरीं और कालिख की सियासत करके अपनी तथाकथित देशभक्ति दिखा दी. पूर्व बीजेपी नेता सुधींद्र कुलकर्णी को पाकिस्तान का एजेंट बताते हुए शिवसेना नेता संजय राउत ने जिस वक्त यह कहा कि उनका यह काम सीमा पर शहीद हो रहे तमाम जवानों के लिए है तो उनके छल का अहसास हो गया.

11 साल पहले 30 जुलाई 2004 को जब मुंबई में बाला साहब ठाकरे ने पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद की मेहमान नवाजी की थी, तब शायद शिवसेना ने अपनी देशभक्ति किसी बोरे में बंद करके रख दी थी. यही नहीं, 26 मई 2014 शिवसेना नेता अनंत गीते ने जिस ऐतिहासिक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री पद की शपथ ली उसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी शरीक हुए थे, शायद तब भी शिवसेना ने अपनी देशभक्ति को नींद की गोलियां खिला दी थीं और शिवसैनिकों की देशभक्ति को जरा भी ठेस नहीं पहुंची. जबकि इन दोनों ही दौर में सीमा पर भारत-पाकिस्तान के बीच जबरदस्त तनाव था. रोजाना हो रहे सीजफायर उल्लंघन में जवान शहीद हो रहे थे. लेकिन शिवसेना खमोश रही.

आज शिवसेना के नेता फांसी पर लटकाए जा चुके कसाब जैसे आतंकियों का सामने से मुकाबला करने का दम भर रहे हैं लेकिन 2013 में जब पाकिस्तानी सैनिक दो भारतीय जवानों के सिर काटकर ले गए तब शिवसेना कहां थी? देशभक्ति का नारा देकर किसी गायक या साहित्यकार का विरोध करके शिवसेना अपनी कौन सी वीरता का बखान करना चाह रही है? क्या उन शहीदों के परिजनों के कल्याण के लिए शिवसेना ने कुछ किया है? मुंबई में दूसरे राज्यों के लोगों को जब शिवसेना धक्के देकर निकालने की साजिश रचती है तो क्या यह उसकी देशभक्ति है?

मुंबई में हुए आतंकी हमले को अब तक भुना रही शिवसेना के नेता संजय राउत ने सुधींद्र कुलकर्णी पर कालिख पोते जाने के बाद अपनी वीरता का बखान करते हुए कहा कि कुलकर्णी जैसे लोग पाकिस्तान के एजेंट हैं और कसाब से भी भयंकर हैं. यही नहीं, संजय राउत ने बड़े जोश में कहा- 'कुलकर्णी के चेहरे पर कालिख नहीं, देश के शहीद जवानों का खून लगा है'.

लेकिन शिवसेना अपनी कट्टरता की राजनीति चमकाने के गुरूर में शहीद जवानों की तौहीन कर गई. देश की सीमा पर डटे रहने वाले और देश के लिए जान गंवाने वाले सैनिकों का खून गाढ़ा लाल है. शिवसैनिकों के द्वारा उछाली गई स्याही की तरह काला नहीं. इस कालिख की तुलना जवानों के खून से करना उनकी शहादत और देशभक्ति का अपमान है.

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लेखक

ब्रजेश मिश्र ब्रजेश मिश्र @brajeshymishra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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