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Updated: 18 मार्च, 2016 06:54 PM
करुणेश कैथल
करुणेश कैथल
  @karuneshkaithal
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ऐसा लग रहा है मानो देश के सियासी पैरोकारों में एक दम से अपने-अपने धर्म के प्रति आस्था जग गई हो. सभी धर्मों के कथित प्रतिनिधियों व नेताओं में अपने-अपने तरीके से देशभक्ति की परिभाषा तय करने की होड़ सी मच गई है. गलत कोई नहीं हैं, सभी अपने परिभाषाओं को सही साबित करने के लिए तर्क-वितर्क में जुट गए हैं. इस बीच जनता को भ्रमित करने में लगभग सभी दल विफल भी देखे जा रहे हैं.

अभी हाल में एआईएमआईएम के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी के द्वारा दिए एक बयान पर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है. एक समारोह के दौरान ओवैसी ने कहा था कि ‘उनके गले पर छुरी रखकर भी कोई भारत माता की जय कहने को कहेगा तो वो नहीं कहेंगे’. ओवैसी के इस बयान के आते ही जितने भी देशभक्त थे वो जाग उठे और एक के बाद एक ताबड़-तोड़ जुबानी हमले करने शुरू कर दिए. यहां तक कि एक ने तो ओवैसी की जुबान काट कर लाने वाले को एक लाख का ईनाम देने का दावा किया.

हालांकि असदुद्दीन ओवैसी के करारा जवाब देते हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने-अपने तरीके से खूब भारत माता की जय के नारे लगाये. यहां तक कि हाल में कुछ मुस्लिम लोगों ने खून से भारत माता की जय लिख कर अपना विरोध दर्ज कराया. ओवैसी के इस बयान से बिहार के गोपालगंज में 100 साल की एक महिला इतनी आहत हुई कि उसने सीजेएम कोर्ट जाकर ओवैसी के खिलाफ केस दर्ज कराया है. खातून आजादी की लड़ाई में हिस्सा ले चुकी हैं.

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एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या असदुद्दीन ओवैसी का यह बयान भारत विरोधी या देशद्रोही है. अगर है तो ओवैसी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है, और अगर सभी को अपनी बात रखने का पूरा-पूरा अधिकार है और ओवैसी के बयान में कहीं कोई दोष नहीं है तो अपने-आपको हिंदुओं का रखवाला कहने वाले कतिथ प्रतिनिधियों में ओवैसी को उल्टा-सीधा कहने की होड़ क्यों मच गई.

वैसे तो हर समुदाय में इस तरह के मामले देखे व सुने जा रहे हैं. लेकिन हाल में हो रहे अधिकतर मामले हिंदू-मुस्लिम के बीच देखे जा रहे हैं. जिसमें दंगे, लव-जिहाद, धर्म परिवर्तन, ओम् न बोलना, सूर्य प्रणायाम् न करना, योग को गलत-सही ठहराना, गंगा नदी को भगवान नहीं मानना, जैसे कई मुद्दे आए और इन मुद्दों पर कई जगह साम्प्रदायिक तनाव भी पैदा हुआ. जिस तरह से हिंदू विरोधी बयानों को देकर मुस्लिम नेता व उनके कतिथ प्रतिनिधि अपने आपको सच्चा मुसलमान साबित करने में लगे हैं, यही हाल अपने आपको हिंदूओं का प्रतिनिधि कहने वालों का है. ऐसा लगता है वे भूल चुके हैं कि सबसे पहले वे एक इंसान हैं और उसके बाद एक भारतीय.

भाजपा के खिलाफ कोई साजिश तो नहीं!

पहली नजर में इस तरह के मामले पूर्णतयः भाजपा को बदनाम करने को चलाए जा रहे कैंपेन का हिस्सा नजर आती हैं. क्योंकि भाजपा के वर्तमान शासनकाल से पहले की यूपीए सरकार में इस तरह के मामले क्यों नहीं सामने आए. ऐसा लगता है कि खासकर मोदी के पीएम बनने के बाद पूरे भाजपा पार्टी को एक हिंदूओं की पार्टी बनाने की साजिश रची जाने लगी.

आप पहले क्या हैं, यह जानना जरूरी है

जिस तरह से इस समय असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया है, हो सकता है वह अपने नजरिए से सही हो लेकिन उसमें विरोधाभास साफ झलक रहा था. अब यह विरोध किसके प्रति था यह तो ओवैसी ही बता पाएंगे. लेकिन इतना हमें नहीं भूलना चाहिए कि हम हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई हो सकते हैं लेकिन इन सबसे पहले हम एक भारतीय हैं और देशभक्ति करने के जितने भी तरीके क्यों न हो जो शुरू से चलता आ रहा है उसे बदलने की कोशिश नहीं होनी चाहिए.

चूंकि इस देश की पहचान संस्कृत और संस्कृति से है, यहां के कण-कण में बसी संस्कृति ही विदेशी पर्यटकों को लुभाती है. ऐसे में देशभक्ति से जुड़ी हर बातों को मुस्लिम, हिंदू, सिख या ईसाई के नजरिए से देखने की बजाय एक भारतीय की नजर से देखा जाना चाहिए.

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चूंकि इस समय ऐसे मामलों में ज्यादातर मुस्लिम नेताओं व प्रतिनिधियों को ज्यादा संलिप्त देखा जा सकता है, इसीलिए यह सवाल अक्सर मुस्लिम से पूछे जा रहे हैं कि अगर भारतीय मुसलमान देशभक्ति को पीछे छोड़ केवल अपने आप को मुस्लिम साबित करने में लग जाएंगे तो यह हमारे देश के शहीद जवानों और महापुरूषों की आत्माओं को आहत करने वाली बात होगी. अगर हम यहीं नहीं संभले तो वो वक्त दूर नहीं जब आवेदन पत्रों पर जाति पूछे जाने के कॉलम में बस दो ही विकल्प दिए जाएं- ‘आप भारतीय हैं या मुस्लिम’.

इस समय जरूरत है कि जातपात की राजनीति छोड़कर सभी प्रतिनिधि, नेता, पंडित, मौलवी, उलेमा, पारसी, फादर आदि इसपर विचार करें कि वो देश के विकास और दुनिया को भारत के बारे में कैसा संदेश दे रहे हैं. वो इस बारे में सोच विचार करें और अपने-अपने समुदायों को अच्छा संदेश दें. क्योंकि हर समुदाय अपने-अपने प्रतिनिधियों पर बहुत विश्वास करता है.

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