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Updated: 06 मई, 2022 04:00 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने 2020-21 के दौरान कोरोना से हुई मौतों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोरोना से हुई मौतों की संख्या 47,29,548 है, जबकि भारत सरकार के अनुसार उस अवधि में 4.8 लाख मौतें ही हुईं. यानी WHO का आंकड़ा भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़े से करीब 10 गुना ज्यादा है. WHO की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनिया में 1.5 करोड़ लोगों की कोरोना या फिर समय पर इलाज ना मिलने की वजह से मौत हुई है. जिसमें से एक-तिहाई मौतें हिंदुस्‍तान में हुई. लेकिन, भारत सरकार ने WHO के आंकड़े ही नहीं, उसके पैमाने की भी धज्जियां बिखेर दी हैं. भारत सरकार ने आपत्ति ली है कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन जैसी संस्‍था इतनी सतही कैसे हो सकती है. आइए, नजर डालते हैं कि भारत सरकार के ऐतराजों पर जो WHO की रिपोर्ट आने के बाद उठाए गए हैं.

India objects WHO covid 19 death reportWHO की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनिया में 1.5 करोड़ लोगों की कोरोना या फिर समय पर इलाज ना मिलने की वजह से मौत हुई है.

क्यों भारत पर लागू नहीं हो सकता WHO का फॉर्मूला?

भारत सरकार का कहना है कि पूरी प्रक्रिया में WHO ने जिस प्रकार के तरीकों को अपनाया है, वो गलत है. दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से अपनाए गए मैथमेटिकल यानी गणितीय फॉर्मूले के आधार पर निकाले गए कोविड-19 से हुई मौतों के आंकड़े पर भारत को आपत्ति है. भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि 130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश में छोटे देशों के लिए इस्तेमाल किया गया फॉर्मूला कैसे सही माना जा सकता है. वहीं, इस रिपोर्ट की खामी के बारे में बताते हुए भारत सरकार की ओर से कहा गया कि WHO ने इस रिपोर्ट में कम और ज्यादा तापमान में होने वाली कोविड-19 मौतों को भी अलग तरह से प्रदर्शित किया है. जबकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तापमान के अंतर से कोरोना वायरस से होने वाली मौतों को लेकर कोई थ्योरी स्थापित नहीं की है. लेकिन, इसे फॉर्मूले में इस्तेमाल किया गया है कि कम तापमान वाले राज्यों में ज्यादा मौते हुईं और ज्यादा तापमान वाले राज्यों में कम मौतें.

क्योंकि, पूरे भारत में एक जैसा नहीं था पॉजिटिविटी रेट

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरे देश के लिए कोरोना पॉजिटिविटी रेट का एक ही फॉर्मूला लगाया है. जो छोटे देशों के लिए सही हो सकता है. लेकिन, भारत जैसे 130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश में जहां राज्यों के स्तर पर जनसंख्या से लेकर हर चीज में विविधता है. वहां पूरे देश में एक जैसा कोरोना पॉजिटिविटी रेट का फॉर्मूला कैसे लगाया जा सकता है. भारत सरकार ने सवाल उठाया है कि कि क्या कोरोना महामारी के दौरान भारत के हर राज्य में एक जैसे पॉजिटिविटी रेट से ही कोरोना महामारी फैली थी?

बिना आधार बताए भारत को टियर-2 देश बता दिया

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को टियर-2 देशों की श्रेणी में रखा है. वहीं, भारत सरकार ने इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि किन मानदंड के आधार पर भारत को टियर-2 देश में रखा गया है, ये विश्व स्वास्थ्य संगठन से पूछे जाने पर भी जवाब नहीं मिला है. एक काल्पनिक तरीका अपनाते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को टियर-2 देश मान लिया है. जबकि, कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई की सराहना विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत कई देशों की सरकारों ने की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीफ ने भारत को कोरोना के खिलाफ लड़ाई यानी वैक्सीनेशन को पूरे विश्व के लिए एक मिसाल बताया था. लेकिन, WHO की रिपोर्ट कुछ अलग ही बात कह रही है. द हिंदू अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि WHO ने इस बारे में कहा है कि हम अभी इन अनुमानों को अंतिम रूप दे रहे हैं और जल्द ही इन्हें पब्लिश कर दिया जाएगा. आसान शब्दों में कहा जाए, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को टियर-2 देश बता दिया. लेकिन, किस आधार पर ये किया गया, अभी ये तय ही नहीं किया.

अखबारों के आंकड़े 'आधिकारिक' मान लिए!

भारत सरकार का कहना है कि रिपोर्ट में काल्पनिक तरीके से डाटा का निचोड़ निकाला गया है. भारत सरकार का कहना है कि जब देश में जन्म और मृत्यु पंजीयन का एक बड़ा मॉडल स्थापित है, तो आंकड़ों के लिए उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया? भारत सरकार की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा है कि डाटा के स्रोत में एक्यूरेसी होनी चाहिए, जबकि WHO ने माना है कि स्रोत वैरिफाइड नहीं हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खुद माना है कि भारत के 17 राज्यों के आंकड़े कुछ वेबसाइट और मीडिया रिपोर्ट से लिए गए हैं. क्या इसे सही माना जा सकता है? क्योंकि, भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से पूछा कि वो कौन से राज्य हैं, तो इस पर कोई जवाब नहीं मिला है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से ये भी नहीं बताया गया है कि ये आंकड़े कब इकट्ठा किए गए थे. 

...अब शुरू हुई राजनीति, राहुल गांधी फिर एक्टिव

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस रिपोर्ट को शेयर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है. राहुल गांधी ने लिखा कि 'कोरोना महामारी के दौरान 47 लाख भारतीयों की मौत हुई है. 4.8 लाख लोगों की नहीं, जो सरकार ने दावा किया था. विज्ञान झूठ नहीं बोलता है. मोदी बोलते हैं.' बताना जरूरी है कि कुछ दिनों पहले न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक आर्टिकल के जरिये दावा किया था कि भारत सरकार की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट को जारी करने से रोका जा रहा है. और, इस रिपोर्ट को भी राहुल गांधी ने शेयर किया था. जबकि, भारत ने फरवरी महीने में ही इस रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए थे. देखा जाए, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन को भारत की आपत्ति पर तथ्यों के साथ प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी. लेकिन, ऐसा कुछ भी नहीं किया गया.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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