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Updated: 20 सितम्बर, 2016 06:41 PM
राकेश चंद्र
राकेश चंद्र
  @rakesh.dandriyal.3
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मौलाना मसूद अजहर, जी हां ये वही मौलाना मसूद अजहर है जिसे 17 साल पहले 1999 में कंधार विमान अपहरण मामले में भारत ने रिहा किया था. मौलाना मसूद अजहर आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख है. भारत सरकार का मानना है कि पिछले साल मार्च में सांब और कठुआ में आतंकी हमले व जुलाई 2015 में दीनानगर में हुए आतंकी हमलों के पीछे भी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ है. और अब उरी में हुए आतंकी हमले में भी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ है. सवाल उठता है कि क्या यह घटना यूपीए सरकार के एक फैसले का परिणाम है? क्या उस फैसले के कारण देश को आज इतना बड़ा हर्जाना भरना पड़ रहा है?

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 178 यात्रियों के बदले छोड़ना पड़ा था मसूद अजहर को

अजहर को 1994 में आतंकी गतिविधियों के कारण जम्मू से गिरफ्तार किया गया था. मसूद अजहर की रिहाई के लिए आतंकवादियों ने भारतीय प्लेन को हाईजैक करने का प्लान बनाया और कामयाब भी हुए. 24 दिसंबर 1999 में 5 आतंकवादियों ने 178 यात्रियों के साथ इंडियन एयरलाइंस के आईसी-814 प्लेन को हाइजैक कर लिया. हरकत-उल-मुजाहिद्दीन के आतंकियों ने भारत सरकार के सामने 178 यात्रियों की जान के बदले में तीन आतंकियों की रिहाई का सौदा किया. अब हालात यह है की मसूद अजहर पाकिस्तान में खुले आम घूम रहा है. मसूद अजहर बहावलपुर एरिया में रहता है तथा वहीं से अपने जैस आतंकियों को ट्रेनिंग देता है.

हाल ही में जैश-ए-मोहम्मद के इस सरगना ने दावा किया कि 1999 में भारत ने उसे और उसके दो सहयोगियों को पकड़ने के लिए तत्कालीन तालिबान सरकार को पैसों की पेशकश की थी. अजहर ने दावा किया कि भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने तालिबान प्रमुख मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर को पैसों की पेशकश की थी. अजहर ने अल-कलाम वीकली के तीन जून 2016 के अंक में अपने उपनाम सैदी से मंसूर को श्रद्धांजलि देते हुए एक लेख लिखा जिसमें उसने यह दावा किया है. अल-कलाम वीकली को जैश-ए-मोहम्मद का ऑनलाइन मुखपत्र माना जाता है.

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पैरवी करता चीन

संयुक्त राष्ट्र ने जैश ए मोहम्मद पर प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद अजहर पर रोक लगवाने के भारत के प्रयास चीन की पहल के चलते सफल नहीं हो पाया है. अप्रैल 2016 में चीन ने जैश ए मोहम्मद प्रमुख और पठानकोट आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता अजहर पर प्रतिबंध लगवाने के भारत के प्रयासों में रोड़ा अटका दिया था.

हमलों की टाइमिंग

• पिछले साल मार्च में सांबा और कठुआ में आतंकी हमले हुए थे उस समय सार्क दौरे पर विदेश सचिव स्तर के अधिकारियों का इस्लामाबाद में दौरा था.

• दीनानगर में उस समय हमला हुआ जब भारत तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की रूस में मुलाकात हुई थी.

• पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर उस समय हमला हुआ जब 17 दिन पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस्लामाबाद गई थी. उसके बाद प्रधानमंत्री लाहौर गए.

• अब उड़ी में उस समय हमला हुवा है जब न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र की महासभा का सत्र शुरू होने वाला था. एक दिन पहले किया गया यह हमला सुनियोजित साजिश का हिस्सा था.

सेना की वर्दियां

उरी स्थित ब्रिगेड मुख्यालय, कठुआ-सांबा-पठानकोट-दीनानगर में हुए सभी हमलों में आतंकियों ने सेना की वर्दियां पहनी हुई थीं.

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हमले पर राजनीति

जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना मुख्यालय पर आतंकी हमले पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एनडीए सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ये सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन जो कुछ हो रहा है कि वो सरकार की नाकामी है. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जैश सरगना मसूद अजहर की रिहाई का खामियाजा देश भुगत रहा है.

एनडीए सरकार ने मसूद की रिहाई के साथ ही ये साफ कर दिया था कि वो आतंकवाद को कुचलने के लिए कितने गंभीर हैं. दिग्विजय ने ट्वीट दर ट्वीट कर कहा कि अब समय आ गया है जब पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए कुछ पुख्ता कदम उठाने होंगे.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा

"आज की स्थिति कांग्रेस के शासन से भी ज्यादा बदतर हो चुकी है और यदि प्रधानमंत्री पाकिस्तान पर हमला करने व आतंकियों को निकालने में असफल हैं, तो दुनिया में वैश्विक छवि बनाने की उनकी कोशिश बेकार साबित होगी. सेना ने जम्मू-कश्मीर में सरकार को भंग करने और राज्य में मार्शल लॉ लागू करने की मांग की, ताकि वहां आतंकियों व पाकिस्तानन समर्थकों से कड़ाई से निबटा जा सके."

लेखक

राकेश चंद्र राकेश चंद्र @rakesh.dandriyal.3

लेखक आजतक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं

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