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Updated: 24 सितम्बर, 2019 04:29 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुबूल कर लिया है कि आतंकी संगठन अल कायदा को ट्रेनिंग देने का घृणित काम पाकिस्तानी सेना और ISI ने ही किया था. वैसे तो पाकिस्तान आतंकियों का पनाहगार है, ये बात दुनिया जानती ही है, लेकिन पाकिस्तान हमेशा इसे नकारता रहा है. इस बार इमरान खान ने जो खुलासा किया है, उसने अब तक के सारे दावों पर मुहर लगाने जैसा काम किया है. अमेरिकी थिंक टैंक काउिंसल ऑन फॉरन रिलेशंस में इमरान खान ने ये बात कुबूल की है. आपको बता दें कि इससे आतंकवाद पर हाउडी मोदी कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा था और अपना रुख साफ करते हुए कहा था कि आंतकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है. इस कार्यक्रम में ट्रंप ने भी साफ किया था कि आतंकवाद के खिलाफ सख्ती बरती जाएगी.

यहां ये जानना बेहद अहम है कि अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले 9/11 को अलकायदा ने ही अंजाम दिया था. इमरान खान ने इस हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में होने की जांच कराने के सवाल पर कहा- 'हमने जांच की थी, लेकिन मैं कहूंगा कि पाकिस्तान आर्मी और आईएसआई ने 9/11 से पहले अल कायदा को ट्रेंड किया था, इसलिए हमेशा लिंक जुड़ते रहे. आर्मी में कई बड़े अधिकारी 9/11 के बाद बदली नीति से सहमत नहीं हुए.' यानी ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि 9/11 हमले के लिए जितने जिम्मेदार अलकायदा के आतंकी हैं, उतनी ही जिम्मेदारी पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की भी बनती है.

इमरान खान, पाकिस्तान, ISI, अल कायदाइमरान खान ने ये कुबूल कर लिया है पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने ही अलकायदा को ट्रेनिंग दी थी.

अमेरिका के सिर पर फोड़ दिया ठीकरा

अल कायदा को ट्रेनिंग देने की बात तो इमरान खान ने कह दी, लेकिन होशियारी दिखाते हुए इसका जिम्मेदार अमेरिका को ही ठहरा दिया. उन्होंने ट्रंप की ओर इशारा करते हुए कहा कि दुनिया भर के नेता ये नहीं समझते कि आखिर पाकिस्तान में कट्टरता आई कैसे. 1980 में पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद से सोवियत संघ के खिलाफ जेहाद छेड़ा था और उसी के तहत इन आतंकियों को ट्रेनिंग दी गई. पाकिस्तान में दुनिया भर के मुस्लिम देशों से लोग बुलाए गए और सोवियत संघ के खिलाफ जेहाद करने के लिए उन्हें ट्रेनिंग दी गई. उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति रॉनल्ड रीगन पाकिस्तान की तारीफें करते थे. यानी इमरान खान सीधे-सीधे ये कहना चाह रहे हैं कि भले ही इन आतंकियों को ट्रेनिंग देने वाले हाथ आईएसआई और पाकिस्तानी सेना के थे, लेकिन ये सब उसी अमेरिका की छत्रछाया में हुआ, जिसे खुद अल कायदा के हमले का शिकार होना पड़ा.

ओसामा का ठिकाना आर्मी को पता होने की बात भी कुबूली

पिछले तीन महीनों में इमरान खान की ओर से किया गया ये दूसरा बड़ा कुबूलनामा है. इससे पहले वह जुलाई में इस बात को भी स्वीकार कर चुके हैं कि आईएसआई को पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन की मौजूदगी के बारे में जानकारी थी. उन्हें पता था कि ओसामा का ठिकाना कहां है. यहां तक कि उन्होंने ये भी कहा कि आईएसआई ने ही अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए को जानकारी दी थी, जिसके बाद अमेरिका ने 2 मई 2011 की आधी रात को गुप्त ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान में घुसकर ऐबटाबाद में छुपे आतंकी ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था.

जहां एक ओर इमरान खान ने दावा किया था कि आईएसआई को ओसामा बिन लादेन की जानकारी थी, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना के एक रिटार्यड अधिकारी ने दावा किया था कि आईएसआई को लादेन के ऐबटाबाद में छुपे होने की जानकारी नहीं थी. आपको बता दें कि इमरान खान के बयान के बाद एक विवाद पैदा हो गया था और बहुत से नेताओं ने उनकी आलोचना भी की थी. इस बार उनकी आलोचना होती है या तारीफों के पुल बांधे जाते हैं, ये देखने वाली बात होगी.

जहां एक ओर हाउडी मोदी के जरिए भारत की पूरी दुनिया में वाह-वाही हो रही है. इस बात पर हर हिंदुस्तानी फख्र कर रहा है कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी मजबूती से आतंक के खिलाफ आवाज उठाई. वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान अपने गुनाहों का हिसाब-किताब दे रहा है, वो भी अमेरिका के कंधे का सहारा लेकर. इमरान खान ने तो तालिबान के साथ अमेरिका द्वारा बातचीत रद्द करने पर कहा कि ऐसे तो अमेरिका कभी अपनी सेना अफगानिस्तान से वापस नहीं बुला सकता. इसकी वजह है कि ना तो तालिबान पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर सकता है, ना ही अफगान सेना. यानी अमेरिका बाहर निकला तो सारे लड़ने-मरने को तैयार हो जाएंगे.

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