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Updated: 03 अगस्त, 2018 10:59 PM
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पाकिस्तान चुनाव के नतीजे आने के बाद इमरान खान ने खुद को पाकिस्तान का अगला बादशाह घोषित कर दिया. उनकी पार्टी और उनके समर्थकों ने चुनावी विजय जुलुस के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए और अपने नेता की तुलना विश्व नेताओं से करनी भी शुरू कर दी. बाकायदा शपथ-ग्रहण समारोह में आने वाले अतिथियों की लिस्ट भी तैयार कर ली गई और जीत की आगोश में डूबे इमरान खान ये भूल गए कि चुनावी नतीजों में उनकी पार्टी बहुमत से चंद कदम दूर रह गयी थी. सत्ता के मोह में लंदन से लाहौर आकर अपनी गिरफ़्तारी देने वाले नवाज शरीफ मूकदर्शक बनकर इमरान की ताजपोशी का नजारा इतनी आसानी से कैसे देख सकते थे. कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक चुनावी धांधली का आरोप लगाने वाली विपक्षी पार्टियां इमरान खान के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए एक मंच पर आकर महागठबंधन की योजना बना रहीं हैं.

इमरान खान, पाकिस्तान, महागठबंधन, शहबाज़ शरीफ, विपक्ष विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन की घोषणा के बाद इमरान खान की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं.

25 जुलाई को पाकिस्तान में नेशनल असेंबली का चुनाव हुआ और अगले ही दिन आये नतीजों में इमरान की पार्टी पीटीआई ने 116 सीटों पर जीत हासिल की. उन्हें अपने दम पर सरकार बनाने के लिए कम से कम 137 सीटों की दरकार थी. माना जा रहा था कि सरकार बनाने के लिए बाकी सीटों का 'जुगाड़' निर्दलीय सदस्यों से हो जाएगा. इसी बीच खबर आयी है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के अध्यक्ष शहबाज़ शरीफ विपक्ष की ओर से इमरान खान के खिलाफ प्रधानमंत्री पद के लिए दावा करेंगे.

महागठबंधन बनाने की तैयारी

पाकिस्तान मुस्लिम लीग(नवाज़) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के बैनर तले तमाम विपक्षी पार्टियां एकजुट हो रहीं हैं. एक जॉइंट कमिटी का गठन किया गया है जिसका लक्ष्य इमरान खान के खिलाफ अपने उम्मीदवार की जीत को सुनिश्चित करना होगा. नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन को नेशनल असेंबली के चुनाव में 64 सीटें और बिलावल भुट्टो की पार्टी को 43 सीटें मिली थी. एमएमए को 13, एमक्यूएम को 4, बीएपी को 4 सीटें मिली हैं. अगर विपक्षी पार्टियों को कुछ निर्दलीय सदस्यों का साथ मिल गया तो ये इमरान खान के लिए बहुत बड़ा धक्का होगा.

विपक्ष के एकजुट होने का कारण

भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद अपने भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की गैर-मौजूदगी में पीएमएल-एन की कमान संभाल रहे और पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए गए शाहबाज शरीफ ने चुनावी नतीजों को खारिज करते हुए बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगाए थे. अवामी नेशनल पार्टी, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान, पाक-सरजमीं पार्टी, मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमाल और तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने भी आरोप लगाया था कि मतगणना के समय उनके मतदान एजेंटों को या तो मतदान केंद्रों से बाहर निकाल दिया गया या उन्हें मतदान कर्मियों ने प्रमाणित नतीजे देने से इनकार कर दिया.

चुनावी नतीजे आने के बाद पाकिस्तान के कई इलाकों में नवाज शरीफ की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी. जानकार भी इस बात को मानते हैं कि पाकिस्तान चुनाव में इमरान की जीत के पीछे सेना एक बहुत बड़ा फैक्टर थी. ऐसे भी लाहौर में सेना की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता. अगर इमरान की जीत के पीछे वाकई सेना का हांथ है तो यकीन मानिये विपक्षी पार्टियां कितनी भी कोशिश कर लें पाकिस्तान का बादशाह तो पूर्व कप्तान ही होगा. नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो से ज्यादा पाकिस्तानी सेना की ताक़त का अंदाजा किसे होगा.

कंटेंट- विकास कुमार(इंटर्न-आईचौक)

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