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Updated: 19 मई, 2022 02:37 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व यानी गांधी परिवार पर तीखा हमला करने के साथ पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, अभी तक हार्दिक पटेल ने अपने अगले कदम के बारे में कोई खुलासा नहीं किया है. लेकिन, हार्दिक पटेल ने अपने इस्तीफे में जिन मुद्दों का जिक्र किया था, वो सभी भाजपा के पसंदीदा माने जाते हैं. तो, काफी हद तक ये एक इशारा है कि पटेल गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो सकते हैं. हालांकि, हार्दिक पटेल के पास आम आदमी पार्टी में भी शामिल होने का विकल्प है. लेकिन, गुजरात में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी के साथ हार्दिक की संभावनाएं कमजोर ही नजर आती हैं. क्योंकि, आम आदमी पार्टी के लिए बिना किसी बड़े चेहरे के गुजरात विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज करना ही बड़ी चुनौती है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो फिलहाल सारे संकेत यही कह रहे हैं कि हार्दिक पटेल जल्द ही भगवा रंग में नजर आ सकते हैं. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि हार्दिक पटेल की भाजपा में कितनी और कहां तक संभावनाएं हैं?

Hardik Patel BJP Gujarat Electionपाटीदार आंदोलन ने हार्दिक पटेल को हीरो बना दिया. और, भाजपा उनके प्रभाव का इस्तेमाल करने की कोशिश करेगी.

'हार्दिक इच्छा' के बाद भी भाजपा में शामिल होना आसान नहीं

बीते दिनों पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा की तारीफ करते हुए कहा था कि 'गुजरात में भाजपा का मजबूत आधार है. उनके पास फैसले लेने की क्षमता है. हमें दुश्मन की ताकत को स्वीकार करना चाहिए.' इतना ही नहीं, उन्होंने खुद को गर्वित हिंदू बताते हुए खुद को भगवान राम को मानने वाला बताया था. जिसके बाद गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने भी हार्दिक पटेल की तारीफ करते हुए कहा था कि 'यह अच्छा है कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से इसे कहने का साहस दिखाया. बहुत लोग ऐसा नहीं करते हैं.' देखा जाए, तो पाटीदार आंदोलन से पहले हार्दिक पटेल का भाजपा से करीबी संबंध रहा है. दरअसल, हार्दिक के पिता आरएसएस से जुड़े रहे थे.

लेकिन, पाटीदार आंदोलन के दौरान उनके पिता ने भाजपा और आरएसएस से एक निश्चित दूरी बना ली थी. आसान शब्दों में कहा जाए, तो हार्दिक पटेल एक ऐसे परिवार से आते हैं, जो लंबे समय तक भाजपा का समर्थक रहा है. हालांकि, भाजपा में शामिल होना हार्दिक पटेल के लिए इतना आसान नहीं होने वाला है. भाजपा के प्रादेशिक नेतृत्व में स्थापित पाटीदार नेताओं की ओर से उनका विरोध किया जा सकता है. वैसे, माना जाता है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद भी गुजरात पर अपनी पकड़ बनाए रखते हैं. तो, हार्दिक पटेल को भाजपा में शामिल होने से पहले मोदी-शाह की जोड़ी के सामने स्क्रीनिंग से गुजरना होगा.

भाजपा को क्यों है हार्दिक की जरूरत?

हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन की वजह से ही पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा था. क्योंकि, गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से करीब 70 सीटों पर पाटीदार समुदाय अपने वोटों के जरिये जीत और हार तय करता है. 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में पाटीदार आंदोलन की वजह से ही ये समुदाय भाजपा के पाले से निकल कर कांग्रेस के साथ खड़ा हो गया था. और, भाजपा गुजरात में बहुमत के आंकड़े को पाने के बाद भी 99 सीटों पर आ गई थी. दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पाटीदार समुदाय का करीब 60 फीसदी वोट मिला था. लेकिन, 2017 में भाजपा को पाटीदार समुदाय का केवल 49.1 फीसदी वोट मिला था. जो करीब 20 फीसदी कम रहा था. और, भाजपा की सीटों में गिरावट का सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा था.

अगर हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल हो जाते हैं. तो, पाटीदार समुदाय को लुभाने के लिए भाजपा उनका अच्छा इस्तेमाल कर सकती है. क्योंकि, सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा खूब रही थी कि गुजरात निकाय चुनाव के दौरान सूरत में आम आदमी पार्टी को जीत दिलाने में भी हार्दिक पटेल ने अहम भूमिका निभाई थी. हालांकि, उस दौरान हार्दिक ने केवल पाटीदार समुदाय के उम्मीदवारों का ही समर्थन किया था. आसान शब्दों में कहा जाए, हार्दिक पटेल अपने राजनीतिक प्रभाव की क्षमता का प्रदर्शन पहले ही कर चुके हैं. जिसे देखकर कहा जा सकता है कि भाजपा के लिए हार्दिक पटेल एक अहम भूमिका निभा सकते हैं. पाटीदार नेता के सहारे युवा वर्ग में भी भाजपा को अपनी पकड़ मजबूत करने में आसानी होगी.

हार्दिक के लिए भाजपा में क्या संभावनाएं हैं?

अगर हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल होते हैं. और, इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा मजबूत स्थिति में आती है. तो, निश्चित तौर पर भाजपा में हार्दिक पटेल का कद बढ़ेगा. अभी उनकी उम्र केवल 28 साल है. तो, उनके पास एक लंबी राजनीतिक पारी खेलने का मौका होगा. भाजपा में पूर्व कांग्रेसी नेता और अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जैसा उदाहरण भी हैं. तो, हार्दिक पटेल के लिए भाजपा में संभावनाओं की कोई सीमा नही है. हालांकि, इन संभावनाओं का क्या होगा, यह निर्णय हार्दिक पटेल को ही लेना है.

राजनीतिक उड़ान भरने के लिए तैयार हैं हार्दिक

गुजरात में पाटीदार आंदोलन में एक प्रभावशाली भूमिका निभाने वाले हार्दिक पटेल को बीते महीने ही सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. दरअसल, पाटीदार आंदोलन के दौरान हुए दंगों और आगजनी के मामले में दोषी पाए हार्दिक पटेल की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. और, अब उनके गुजरात विधानसभा चुनाव में उतरने का रास्ता साफ हो चुका है. क्योंकि, गुजरात की भाजपा सरकार ने पाटीदार आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल पर दर्ज हुए बाकी बचे मामलों को भी वापस लेने की तैयारी शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार पहले ही अलग-अलग शहरों में दर्ज करीब 10 मामले वापस ले चुकी है. हार्दिक पटेल को राजद्रोह के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद राहत मिल गई है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो हार्दिक पटेल गुजरात विधानसभा चुनाव के जरिये अपनी राजनीतिक उड़ान भरने के लिए तैयार हैं. और, सभी संभावनाओं को समझने के लिए कुछ दिनों का ही इंतजार बाकी है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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