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Updated: 08 सितम्बर, 2016 07:13 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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नवजोत सिंह सिद्धू के साथ प्लस प्वाइंट एक ही है - उनका बैकग्राउंड क्रिकेट से है. राजनीति भी क्रिकेट की तरह ही होती है - और यही वजह है कि वो हरदम 'गुरु हो जा शुरू' वाले अंदाज में हर पिच पर दौड़ लगा लेते हैं.

नई पिच पर सिद्धू ने बड़ा दांव ये खेला है - पंजाबियत का मुद्दा उछाल कर. अगर सिद्धू का दांव कामयाब रहा और बिहार की तरह लड़ाई पंजाबी बनाम बाहरी हुई तो हरियाणवी केजरीवाल सबसे ज्यादा घाटे में होंगे.

बीजेपी में तवज्जो न मिलने पर सिद्धू ने पहले आप की मदद से सीएम की कुर्सी साधने की कोशिश की और अब वो कम से कम इतना चाहते हैं कि राजा कोई भी हो, किंग मेगर वो जरूर बनें.

काले बादल और केजरीवाल

आवाज-ए-पंजाब का पोस्टर सामने आने के बाद मीडिया से पहली बार मुखातिब सिद्धू ने बात बात पर सफाई दी और ढेरों इल्जाम लगाए. पूरी प्रेस कांफ्रेंस में सिद्धू के निशाने पर रहे अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल.

सिद्धू ने सफाई दी कि उनकी राज्य सभा की सदस्यता छोड़ने के पीछे केजरीवाल नहीं बल्कि बादल हैं. इल्जाम लगाया कि केजरीवाल सिर्फ 'यस-मेन' को लाइक करते हैं. सिद्धू की प्रेस कांफ्रेंस स्वाभाविक रूप से शेर-ओ-शायरी से भरी पूरी रही. केजरीवाल को लेकर उन्होंने शेर पढ़ा, "भोली सूरत दिल के खोटे, नाम बड़े और दर्शन छोटे."

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बादल को टारगेट करते हुए सिद्धू बोले, "काले बादल मंडरा रहे हैं. सूरज को निकलने नहीं दिया जा रहा. काले बादल चीर कर सूरज निकलना चाहिए." फिर सिद्धू ने केजरीवाल को निशाने पर लिया. बताया कि आप वाले दो साल से उन पर डोरे डाल रहे थे फिर दिल्ली में मिलने भी पहुंचे.

सिद्धू ने कहा, "उन्होंने पूछा आपको हमसे क्या चाहिए. मैंने कहा आप देंगे क्या?"

फिर सिद्धू ने शेर पढ़ा, "पल्ले नहीं दाने, अम्मा चलीं भुनाने."

लेकिन सांसद भगवंत मान और पंजाब में आप के संयोजक गुरप्रीत सिंह घुग्गी को सिद्धू ने अपने छोटे भाई जैसा बताया.

ट्वेंटी-20 टाइम

सिद्धू ने बताया कि आवाज-ए-पंजाब का मकसद बेहाल पंजाब को खुशहाल बनाना है. यह एक इंकलाबी आवाज है. सिद्धू के मुताबिक उनका फोरम इस बात में यकीन रखता है कि जुल्‍म करना पाप है, लेकिन उसे सहना उससे भी बड़ा पाप है.

सिद्धू मानते हैं कि लोग सरकार में बदलाव चाहते हैं, इसलिए, ऐसा नेता चाहते हैं जो कमजोरी को ताकत में तब्‍दील कर दें. सिद्धू ने पंजाब को बदलने की चाहत रखने वाले नेताओं को साथ आने की अपील की.

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बदहाल पंजाब को खुशहाल पंजाब बनाने की चुनौती...

इस मामले में सिद्धू ने एक समझदारी दिखाई है कि उन्होंने पार्टी बनाने की बजाए फोरम बनाया है. अगर पार्टी बनाते तो फॉर्मल्टी पूरी करने में ही वक्त गुजर जाता. फिर भी जो वक्त बचा है उसमें सिद्धू वनडे भी नहीं बल्कि ट्वेंटी-20 मैच की पारी खेलनी होगी - वरना ज्यादा ओवर नहीं बचे हैं.

सिद्धू ने अभी अपने पत्ते पूरी तरह नहीं खोले हैं. आगे की रणनीति वो बाद में बताएंगे. कयास लगाए जा रहे थे कि आप से हटाए गये सुच्चा सिंह छोटेपुर सिद्धू के मोर्चे में शामिल हो सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रेस कांफ्रेंस में अकाली दल से हटाए गये पूर्व हाकी खिलाड़ी परगट सिंह और दो निर्दलीय विधायक बलविंदर सिंह बैंस और सिमरजीत सिंह बैंस साथ रहे. बैंस बंधुओं का लुधियाना में खासा प्रभाव है.

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बीजेपी में रह कर भी वो कपिल के वीकली शो में ठहाके लगाते रहे हैं. आगे भी वो बड़े आराम से रोज रात लोगों को अंग्रेजी बोलने के टिप्स देते रहेंगे. पंजाब की पार्ट टाइम पॉलिटिक्स तो किसी भी स्टूडियो से हो सकती है.

हकीकत जो भी लगता ऐसा है कि सिद्धू की भी पंजाब उतनी ही ख्वाहिश है जितनी कांग्रेस की यूपी में - सत्ता न सही, कम से कम इतना मिल जाए कि सत्ता का दावेदार कोई भी दल उन्हें इग्नोर न कर पाये. वैसे आवाज-ए-पंजाब को सिद्धू चाहे जैसा भी फोरम बताएं, फिलहाल वो किसी वोटकटवा मोर्चा से ज्यादा नहीं लग रहा.

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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