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Updated: 07 फरवरी, 2020 10:15 PM
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दिल्ली चुनाव में राहुल गांधी (Rahul Gandhi remarks on PM Modi) का डंडामार बयान सियासी हलके का सुनामी बन चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राहुल गांधी के बयान पर संसद में लगातार दूसरे दिन हंगामा हुआ है - और बोडो शांति समझौते के बाद पहली बार असम पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से राहुल गांधी को निशाने पर लिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'इतनी बड़ी तादाद में यहां की माताएं-बहनें आशीर्वाद देने आई हैं... इससे मेरा विश्वास और बढ़ गया है. कभी-कभी लोग कहते हैं... डंडा मारने की बातें करते हैं... लेकिन जिस मोदी को इतनी बड़ी मात्रा में माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो, उस पर कितने ही डंडे गिर जाएं, उसे कुछ नहीं हो सकता.'

केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) का आरोप है कि राहुल गांधी के बयान की निंदा के लिए कांग्रेस सांसदों ने उन पर हमले की कोशिश की. तमिलनाडु के जिस सांसद पर हर्षवर्धन हमले का इल्जाम लगा रहे हैं वो खुद के साथ ही हाथापाई का आरोप लगा रहे हैं - मामला स्पीकर के पास पहुंच चुका है जहां दोनों तरफ से अपना अपना पक्ष रखा गया है.

बड़ा सवाल ये है कि हर्षवर्धन ने अगर जानबूझ कर कुछ ऐसा वैसा किया है तो उसका क्या मकसद हो सकता है - और उससे बीजेपी नेता को क्या फायदा (Delhi BJP politics) मिलेगा?

मोदी पर राहुल का बयान और संसद में हंगामा

राहुल गांधी दिल्ली चुनाव में भले ही देश में युवाओं की बेरोजगारी का सवाल उठायें, लेकिन संसद में वो पूरी तरह वायनाड पर ही केंद्रित रहते हैं. राहुल गांधी लोक सभा में वायनाड क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. उसी क्रम में राहुल गांधी ने वाडनाड में मेडिकल कॉलेज को लेकर सवाल पूछा था. मामला स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ा था, इसलिए जवाब डॉ. हर्षवर्धन को देना था. ये भी हो सकता था कि स्वास्थ्य मंत्री राहुल गांधी के सवाल का जवाब देते और कोई इधर उधर की बात नहीं होती. ये भी हो सकता था कि राहुल गांधी मंत्री के जवाब पर असंतोष जताते और थोड़ा बहुत हंगामा होता फिर बात खत्म हो जाती - लेकिन ये सब इसलिए नहीं हो सका क्योंकि हर्षवर्धन ने पूरे मामले को राजनीतिक रंग दे दिया.

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन जब राहुल गांधी के सवाल का जवाब देने उठे तो उन्होंने दिल्ली चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी पर राहुल गांधी की टिप्पणी का जिक्र छेड़ दिया. हर्षवर्धन बोले, 'राहुलजी का जवाब देने से पहले मैं उनकी अभद्र भाषा की निंदा करना चाहता हूं जिसका इस्तेमाल उन्होंने देश के प्रधानमंत्री के लिए किया.' हर्षवर्धन बोले, 'मैं बेहद आपत्तिजनक शब्दों की कड़ी निंदा करता हूं और पूरे सदन से इसकी निंदा करने की अपील करता हूं.'

ये सुनते ही कांग्रेस के सांसद शोर मचाने लगे. कांग्रेस के कई सांसद हर्षवर्धन की ओर बढ़ चले - और तमिलनाडु से सांसद बी. मणिक्कम टैगोर वेल तक जा पहुंचे. हंगामा शुरू तो हो ही चुका था जोर पकड़ लिया.

harsh vardhan, narendra modiक्या मोदी के सामने हर्षवर्धन ने अपनी दावेदारी पेश कर दी है?

संसद भवन परिसर में मीडिया से हर्षवर्धन ने कहा, 'जब मैंने प्रधानमंत्री के खिलाफ राहुल गांधी के बयान के लिए उनकी निंदा की तो कांग्रेस सांसद मेरी सीट के पास आये और उन्होंने मुझ पर हमला करने और मुझसे कागज छीनने की कोशिश की.' हर्षवर्धन ने ट्विटर पर भी ये मामला उठाया.

हर्षवर्धन के आरोपों को खारिज करते हुए राहुल गांधी ने उलटे कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर को ही पीड़ित बताया, 'आप वीडियो देख सकते हैं. टैगार जी वेल में जरूर गये, लेकिन उन्होंने किसी पर हमला नहीं किया, उलटा उन पर हमला हुआ.'

राहुल गांधी ने मीडिया से कहा, 'मैं कुछ दूसरा मामला उठा रहा था. सवाल का जवाब दिया जाता है, मगर शायद हेल्थ मिनिस्टर को किसी ने बताया होगा, इंस्ट्रक्शंस थे क्योंकि वो अपने-आप ऐसा नहीं करते... इंस्ट्रक्शंस थे दूसरा इशू उठाने के तो उन्होंने उठा दिया... ये अनपार्लियामेंट्री है - सामान्य तौर पर ऐसा होता नहीं है.'

कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने भी बीजेपी सांसदों के आरोप को पूरी तरह झूठा बताया है. कांग्रेस सांसद का आरोप है कि उनसे ही हाथापाई की कोशिश की गयी. कांग्रेस सांसद का ये भी आरोप है कि वहां मौजूद कोई महिला सांसद उन्हें उकसा भी रही थीं. कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने लोकसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिख कर पूरे मामले की जांच की मांग की है. सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद राहुल गांधी और कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी स्पीकर से मिले और शिकायत दर्ज कराई. सत्ता पक्ष की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और डॉ. हर्षवर्धन ने भी स्पीकर ओम बिड़ला से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा.

क्या हर्षवर्धन ने जानबूझ कर ऐसा किया?

ज्यादा नहीं. बस थोड़ा पीछे चलते हैं. तब तक आम चुनाव के लिए दिल्ली बीजेपी के उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई थी. ये भी पक्का हो चुका था कि उदित राज का टिकट कट चुका है. तभी कुछ और भी बीजेपी सांसदों के टिकट कटने की चर्चा होने लगी और उनमें एक नाम मीनाक्षी लेखी का भी लिया जा रहा था. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं. मीनाक्षी लेखी बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ी भी और जीतकर लोक सभा पहुंच भी चुकी हैं. उदित राज के अलावा जिसका टिकट कटा वो थे महेश गिरि.

मीनाक्षी लेखी के टिकट सुनिश्चित कराने में राहुल गांधी के खिलाफ उनकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका का बड़ा रोल माना जाता है. सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर राहुल गांधी को 'चौकीदार चोर है' वाले बयान पर अदालत से माफी भी मांगनी पड़ी थी.

क्या हर्षवर्धन ने भी राहुल गांधी को टारगेट कर वैसा ही खेल खेला है?

संयोग जो भी समझा जाये, प्रयोग तो काफी सटीक लगता है. वजह भी बड़ी माकूल है. दरअसल, हर्षवर्धन भी दिल्ली बीजेपी के उन नेताओं में शुमार हैं जो वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. माना तो यही जाता है कि हर्षवर्धन अपनी छवि के चलते मैदान में बने हुए हैं, वरना पुरानी पीढ़ी के कई नेता पहले ही हाशिये पर पहुंच चुके हैं. कभी खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार समझने वाले विजय गोयल को सड़क पर अक्सर ही बीजेपी के नारे बुलंद करते देखा जाता है, लेकिन मेनस्ट्रीम में एंट्री नहीं ही मिल पाती.

दिल्ली बीजेपी में अंदरूनी कलह अरसे से चली आ रही है - और अब तो प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी और सांसद प्रवेश वर्मा के बीच कड़ी टक्कर होने लगी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बहस के लिए प्रवेश वर्मा का नाम बढ़ा कर अमित शाह ने जो चाल चली है, मनोज तिवारी अंदर तक हिल उठे हैं - और रिंकिया के पापा पर रीमिक्स बनाये जाने की असली वजह भी वही है - 'दिल्ली के पसंद बा रिंकिया के पापा'.

साढे़ सात मिनट के रीमिक्स-सॉन्ग में निशाने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही हैं, हालांकि, उनका नाम नहीं लिया गया है - पूरब के मजदूरों से नाराज बाड़े पलटुआ के काका, काहे परेशान बाड़े पलटुआ के काका, कइसे खिसियात बाड़े पलटुआ के काका, दिल्ली से खतम होई पलटुआ का स्यापा... दिल्ली के पसंद बा बिटिया के पापा.

2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में हर्षवर्धन के नेतृत्व में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी फिर भी सरकार न बनाने का फैसला किया. 2014 में मोदी-शाह के बीजेपी के में काबिज हो जाने के बाद हर्षवर्धन को हाशिये पर रख कर किरण बेदी प्रयोग हुआ और बीजेपी फेल हुई. हर्षवर्धन के मन की छटपटाहट साफ समझ में आती है - और इसीलिए लगता है कि हर्षवर्धन ने मनोज तिवारी को टक्कर दे रहे प्रवेश वर्मा के मुकाबले रेस में फिट होने की कोशिश की है. संभावनाएं अपार होती हैं. क्या पता दोनों के झगड़े में तीसरे के अच्छे दिन लौट आयें?

मीनाक्षी लेखी के लिए लकी रहे राहुल गांधी की हर्षवर्धन की किस्मत चमकाने में जैसे भी साबित हों - हर्षवर्धन ने अमित शाह के चौंकाने वाले नतीजे आने पर दावेदारी तो जता ही दी है.

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