New

होम -> सियासत

 |  7-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 06 फरवरी, 2020 10:39 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

बदले-बदले अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी की बदली जबान के बाद अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi in Delhi Election 2020) की ही बारी लगती है. राहुल गांधी अपने बयानों की वजह से लगातार निशाने पर आ जाते हैं. नतीजा ये होता है कि जो मुद्दे उठाना चाहते हैं वे पीछे छूट जाते हैं और उनकी बातों का मजाक बन जाता है.

विवादित बयानों से नुकसान भी सबसे ज्यादा राहुल गांधी का ही हो रहा है. लोगों के बीच जो मुद्दे वो उठाना चाहते हैं. लोगों के बीच जाकर राहुल गांधी जिन मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कठघरे में खड़ा करना चाहते हैं, उनकी जगह चर्चा उनके राजनीतिक रूप से बचकाने बयानों पर होने लगती है. फिर वो खामोशी अख्तियार कर लेते हैं या छुट्टी पर निकल जाते हैं. लौटते ही फिर कोई ऐसी बात कह देते हैं कि नये सिरे से बवाल शुरू हो जाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को टारगेट करने वाले राहुल गांधी कोई अकेले नेता नहीं हैं, दिल्ली चुनाव से सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटे अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल चुनाव की तैयारी में जुटीं ममता बनर्जी भी उसी कतार के नेता हैं. मोदी को लेकर केजरीवाल और ममता दोनों ही राहुल गांधी से भी बीहड़ बयान दे चुके हैं, लेकिन अब दोनों के दोनों काफी संयम बरतने लगे हैं - और ये दोनों ही नेता चुनावी राजनीति के मशहूर रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की सलाह पर ऐसा कर रहे हैं. हाल फिलहाल न तो केजरीवाल की जबान से और न ही ममता बनर्जी के बयानों में प्रधानमंत्री मोदी को लेकर कभी भी तीखे बोल सुनने को तो नहीं ही मिले हैं.

दिल्ली में राहुल गांधी निकले तो कांग्रेस के चुनाव प्रचार के लिए थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट करते हुए 'डंडे मारने...' बोल कर नयी मुसीबत मोल ली. राहुल गांधी के बयान पर बीजेपी नेता तो पहले से टूट पड़े थे, PM मोदी ने भी संसद में बड़ी ही संजीदगी से कांग्रेस सांसद को तंज भरे जवाब दिये.

देखा जाये तो राहुल गांधी की ऐसी बयानबाजी से खुद उनका और कांग्रेस पार्टी का तो हो ही रहा है, विपक्ष की भूमिका पर भी उलटा असर पड़ रहा है.

ये कौन सी चुनावी मुहिम हुई?

सेहत अचानक खराब हो जाने के कारण दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी तो चुनाव प्रचार नहीं कर सकीं, लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने जितना भी वक्त बचा था यथाशक्ति अपना काम जरूर किया.

वैसे राहुल और प्रियंका का चुनाव प्रचार देख कर ऐसा बिलकुल नहीं लगा जैसे दोनों भाई-बहन को दिल्ली के चुनावों में कोई दिलचस्पी है. कहने को तो प्रधानमंत्री मोदी के संयोग और प्रयोग वाले बयान को लेकर प्रियंका गांधी ने हर तरीके से घेरने की कोशिश की, लेकिन घूम फिर कर यूपी पर फोकस हो गयीं. दिल्ली को यूपी बना देने वाले तंज के तौर पर. राहुल गांधी भी अरविंद केजरीवाल से ज्यादा प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ही आक्रामक देखे गये.

दिल्ली चुनाव में भी कांग्रेस के कैंपेन में राहुल गांधी ने ठीक वैसा ही काम किया जैसा झारखंड में किया था. दिल्ली में राहुल गांधी निकले तो थे कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट दिलाने के लिए प्रचार करने, लेकिन जल्दी ही अपने मूल एजेंडे पर आ गये. राहुल गांधी का सबसे पसंदीदा शगल इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी न किसी बहाने टारगेट पर लेना ही रहता है.

दिल्ली की चुनावी रैली में राहुल गांधी ने कहा, 'ये जो नरेंद्र मोदी भाषण दे रहा है... 6 महीने बाद ये घर से बाहर नहीं निकल पाएगा. हिंदुस्तान के युवा इसको ऐसा डंडा मारेंगे... इसको समझा देंगे कि हिंदुस्तान के युवा को रोजगार दिए बिना ये देश आगे नहीं बढ़ सकता.'

राहुल गांधी के बयान के बाद बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा ने उनका एम्स में इलाज कराये जाने की सलाह दी तो हरियाणा बीजेपी के चर्चित नेता अनिल विज ने अस्पताल में भर्ती कराकर मानसिक इलाज कराये जाने की मांग कर डाली है.

rahul gandhi, narendra modiराहुल गांधी को उनके बयान ही भारी पड़ने लगे हैं

संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बाकी बातों के बीच राहुल गांधी के बयान की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया और बोले, 'मैंने कल कांग्रेस के एक नेता का घोषणापत्र सुना. उन्होंने घोषणा की है कि 6 महीने में मोदी को डंडे मारेंगे. ये बात सही है कि ये काम कठिन है और तैयारी के लिए थोड़ा समय लगता है. लेकिन मैंने भी 6 माह में तय किया है कि रोज सूर्य नमस्कार की संख्या बढ़ा दूंगा... अब तक करीब 20 साल से ऐसी गंदी गालियां सुन रहा हूं कि अपने आपको को गाली प्रूफ बना दिया है. इसलिए छह महीने ऐसे सूर्य नमस्कार करूंगा कि मेरी पीठ भी हर डंडे झेलने की ताकत वाली बन जाये.'

प्रधानमंत्री मोदी ने लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की बातों को लेकर भी कहानी सुनायी - खा रबड़ी, कर कसरत.

कहां राहुल गांधी दिल्ली चुनाव में कोई ठोस बात कह कर किसी ज्वलंत मुद्दे पर गंभी बहस को बढ़ा सकते थे - और कहां अब अपने बयान के चलते खिद ही निशाने पर आ चुके हैं. ऐसे में जबकि दिल्ली में चुनाव प्रचार खत्म हो चुके हैं वोटिंग का इंतजार है टीवी पर बहस का टॉपिक है - राहुल गांधी का 'डंडा मार' बयान बनाम मोदी के 'सूर्य नमस्कार' वाले जवाब! अब इसे कांग्रेस की किस्मत कहें या कुछ और?

राहुल गांधी को बयानबाजी से बड़ा नुकसान

झारखंड चुनाव में राहुल गांधी के 'रेप इन इंडिया' वाले बयान पर खूब हंगामा हुआ था. संसद में भी और सड़क पर भी. जब रामलीला मैदान में कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए रैली की तो उसके बाद चर्चा में विरोध के टॉपिक CAA और NRC पीछे रह गये और बहस राहुल गांधी के बयान पर होने लगी. तब राहुल गांधी ने कहा था - 'मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं राहुल गांधी है.'

एक बार फिर से राहुल गांधी ने उसी मुद्दे से ध्यान भटका दिया है जिसे वो जनहित में उठाना चाहते थे - बेरोजगारी और देश की अर्थव्यवस्था का मुद्दा. राहुल गांधी की कोशिश तो युवाओं की बेरोजगारी का मुद्दा उठाने की होती है - लेकिन उनकी बयानबाजी ही मुसीबत बन जा रही है. ऐसा कुछ न कुछ बोल ही देते हैं कि बहस का विषय ही बदल जाता है और मूल मुद्दा मीलों पीछे छूट जाता है.

संसद में प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद राहुल गांधी की टिप्पणी रही, 'देश को असल मुद्दों से भटकाना प्रधानमंत्री मोदी की शैली है. वो कांग्रेस की बात करते हैं... जवाहरलाल नेहरू की बात करतें है... पाकिस्तान पर बोलते हैं, लेकिन मुख्य मुद्दों पर नहीं बोलते... आज सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी और नौकरियों का है... हमने प्रधानमंत्री से कई बार पूछा, लेकिन उन्होंने इस पर एक शब्द भी नहीं कहा.'

बेशक राहुल गांधी बेरोजगारी और इकनॉमी का मुद्दा उठाते हैं लेकिन वो इस तरीके से उठाते हैं कि हर बार लेने के देने पड़ जाते हैं. ऐसा भी नहीं कि राहुल गांधी के सवालों का जवाब प्रधानमंत्री मोदी बिलकुल नहीं देते - प्रधानमंत्री मोदी ने तो संसद में ही राहुल गांधी के बेरोजगारी पर पूछे गये सवाल का जवाब दे दिया है.

राहुल गांधी के बेरोजगारी के सवाल पर लोक सभा में प्रधानमंत्री मोदी का जवाब था - 'बेरोजगारी खत्म करने का काम भी हम ही करेंगे... एक काम न करेंगे न होने देंगे, वो है आपकी बेरोजगारी नहीं हटने देंगे... मुझ पर विश्वास जताने के लिए शुक्रिया...'

इन्हें भी पढ़ें :

Delhi election में 'राहुल गांधी' बन गए हैं अरविंद केजरीवाल

Delhi election के दंगल में आते-आते गांधी परिवार ने बहुत देर कर दी

Congress manifesto: मुफ्त, कैशबैक और भत्ते के वादे 6 वर्गों का मन बदलने की कोशिश !

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय