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Updated: 26 अप्रिल, 2016 10:27 PM
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तीसरा विश्व युद्ध जब होगा तब होगा, अगले ही साल पंजाब की चुनावी जंग तो लगता है पानी पर ही होगी. अगर ऐसा न हो तब भी पानी पंजाब चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा होना तय है.

पंजाब में भी यू-टर्न

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली में भले ही शौकिया यू-टर्न लेते रहे हों, पंजाब में उन्हें मजबूरन यू-टर्न लेना पड़ा है. सतलुज यमुना लिंक नहर के मुद्दे से केजरीवाल ने न सिर्फ पल्ला झाड़ने की कोशिश की है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट में अपना वकील भी बदल लिया है.

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दिल्ली सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट में कह दिया है कि लिंक नहर पंजाब और हरियाणा का आपसी मामला है इससे उसका कोई लेना-देना नहीं है. दिल्ली सरकार की नई वकील इंदिरा जय सिंह ने नया एफिडेविट दाखिल करते हुए कहा है कि केजरीवाल सरकार पंजाब और हरियाणा के आपसी विवाद में नहीं पड़ना चाहती.

इस मुद्दे पर उनके पुराने स्टैंड ने केजरीवाल की फजीहत करा दी. पहले केजरीवाल ने कहा था कि SYL पर केवल पंजाब का हक है और इसकी एक बूंद भी हरियाणा को नहीं मिलनी चाहिए. ये कहना था कि हरियाणा के नेताओं ने केजरीवाल को धमकाना शुरू कर दिया. उनका कहना था कि कि अगर हरियाणा दिल्ली का पानी बंद कर दे तो केजरीवाल क्या करेंगे? इतना काफी था, केजरीवाल के बैकफुट पर आने के लिए.

इसके बाद केजरीवाल सरकार ने न सिर्फ स्टैंड बदला बल्कि वकील तक बदल डाला. तर्क ये दिया कि वो वकील लंबे समय तक कांग्रेस से जुड़ा रहा है, इसलिए ये कदम उठाया.

पानी पर एकता

मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के बावजूद पंजाब विधानसभा ने SYL नहर नहीं बनने देने का प्रस्ताव पारित कर दिया है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि पंजाब के पास इतना पानी नहीं है कि वो हरियाणा को दे सके. इस मुद्दे पर बादल सरकार को कांग्रेस का भी पूरा साथ मिला है.

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इसके साथ ही पानी पर वोट का खेल शुरू हो गया है - इस मुद्दे पर सबसे बड़ी वेल विशर बनने की हर पार्टी में होड़ सी मच गई है. पंजाब चुनाव में अब साल भर से भी कम वक्त बचा है.

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बूंद बूंद की जंग...

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने SYL नहर के निर्माण को पूरे प्रदेश के लिए मौत का वारंट बताया है. उन्होंने सूबे के लोगों से इस नहर के निर्माण के खिलाफ एकजुट होकर कड़े संघर्ष के लिए तैयार रहने की अपील की है.

नहर के नाम पर बादल लोगों को समझा रहे हैं कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पंजाब का पानी छीनने की कोशिश कर रही हैं - इसलिए दोनों ही सबसे बड़ी दुश्मन हैं. केजरीवाल को टारगेट करते हुए बादल ने उनके रवैये को स्टंट और एफिडेविट को राष्ट्र विरोधी करार दिया है.

विधानसभा से प्रस्ताव पास कर बादल ने ट्रंप कार्ड चल दिया है - और मुद्दा ऐसा है कि कांग्रेस को भी सरकार के रुख का सपोर्ट करना पड़ रहा है. इस मसले पर अलग थलग पड़े हैं तो सिर्फ केजरीवाल - ऐसा न हो कि पानी का मुद्दा सत्ता हासिल करने के मंसूबों पर ही पानी फेर दे?

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