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Updated: 01 मार्च, 2016 07:09 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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अरविंद केजरीवाल की कोशिश दिल्ली दोहराने की है, लेकिन पंजाब में, यूपी में नहीं. यूपी को लेकर केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि उनके पास बैंडविथ नहीं है. वो मानते हैं कि पंजाब में पहले कदम बढ़ाने का उन्हें फायदा मिलेगा, "जब तक दूसरे लोग जागेंगे, उनका खेल खत्म हो चुका होगा."

वैसे इन दिनों वो लोगों से यही प्रॉमिस कर रहे हैं कि साल भर बाद ही पंजाब में भी अच्छे दिन आने वाले हैं.

पंजाब में अच्छे दिन

माघी मेले से मिशन पंजाब लांच करने वाले केजरीवाल ने पिछले हफ्ते पंजाब का तूफानी दौरा किया.

माघी मेले से मिशन पंजाब लांच करने वाले केजरीवाल ने पिछले हफ्ते पंजाब का तूफानी दौरा किया. इस दौरान वो उन खुदकुश कर लेने वाले किसानों के परिवार वालों से मिलने उनके घर में गये.

केजरीवाल ने बादल सरकार पर किसानों को फसल बर्बाद होने पर मुआवजा न देने का आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार पीड़ित किसानों को प्रति एकड़ 20 हजार रुपये बतौर मुआवजा देती है. जहां भी वो किसानों से मिले उन्होंने ये बात ठीक से समझाई.

इसके साथ ही केजरीवाल ने लोगों से सिर्फ एक साल धैर्य बनाए रखने की अपील की. केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार आने पर उन्हें खुदकुशी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन तब तक वे धीरज बनाए रखें.

इतने अच्छे कि...

केजरीवाल ने स्कूल टीचर रजनी से मुलाकात की और इंसाफ का भरोसा दिलाया. प्रधानमंत्री के दौरे के वक्त रजनी के साथ पुलिस का दुर्व्यवहार का मामला सुर्खियों में छाया था. वो निशान सिंह की पत्नी से मिले जिन्होंने बीजेपी एक नेता की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी. केजरीवाल ने उन्हें आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने पर इंसाफ दिलाने का भरोसा दिलाया.

जालंधर में व्यापारियों से मुलाकात में केजरीवाल ने वादा किया कि वो सिस्टम बदल कर रहेंगे. उन्होंने बताया कि वो एक ब्लूप्रिंट तैयार कर रहे हैं कि सरकार बनने पर वो क्या क्या करेंगे.

केजरीवाल लुधियाना के रास्ते में थे. चहेडू में आप के दफ्तर में उन्होंने अनिवासी भारतीयों से मुलाकात की. केजरीवाल ने उनसे कहा कि वो इतना अच्छा पंजाब बनाएंगे कि कनाडा से भी लोग लौट आएंगे.

केजरीवाल दावा कर रहे हैं, "जिस दिन आम आदमी की सरकार बनेगी, 24 घंटे के अंदर वसूली बंद कर देंगे." वो ड्रग्स का धंधा बंद करने की भी बात कर रहे हैं. बात करना और बात है - काम करना और. दिल्ली में ऑड-ईवन एक्सपेरिमेंट के अलावा अब तक काम या तो टीवी पर दिल्ली सरकार के विज्ञापनों में दिखता है या प्रेस कांफ्रेंस में.

...और आखिरी मौका

अगर पंजाब में केजरीवाल की पार्टी सत्ता में आती है तो ये उनके पास तीसरा मौका होगा. पहला मौका वो था जब उन्होंने दिल्ली में '49 दिन की सरकार' चलाई. दूसरा मौका दिल्ली की मौजूदा सरकार है - जिसका ज्यादातर वक्त उप-राज्यपाल या केंद्र की मोदी सरकार से उलझने में जाया होता है.

अपनी पहली पारी में केजरीवाल ने समझाया कि अनुभव की कमी के चलते गलती हो गई. दूसरी पारी में समझा रहे हैं कि मोदी सरकार उन्हें काम ही नहीं करने देते. पंजाब में केजरीवाल का ऐसा मौका शायद ही मिले. तब तक केजरीवाल को ये तय कर लेना होगा कि वो एडमिनिस्ट्रेशन की राजनीति करना चाहते हैं या एक्टिविज्म पॉलिटिक्स.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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