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Updated: 19 जुलाई, 2018 09:14 PM
पंकज खेलकर
पंकज खेलकर
  @pankajkhelkar2016
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कहा जाता है कि भारत में दूध की नदियां बहती हैं. लेकिन इन दिनों दूध सड़कों पर फेंका हुआ काफी नजर आ रहा है. कारण है दूध की कम कीमत मिलने के चलते किसानों की नाराजगी. इन दिनों महाराष्ट्र में दूध को लेकर किसानों का विरोध फिर से सड़कों को सफेद कर रहा है. हालांकि, ये वो दूध है जो दूसरे राज्यों से महाराष्ट्र में आ रहा है. महाराष्ट्र के किसान जो दूध पैदा कर रहे हैं, उसे बर्बाद नहीं कर रहे. स्वाभिमानी शेतकरी संघटन पार्टी के सांसद राजू शेट्टी ने ऐलान किया है कि 15 तारीख रात 12 बजे के बाद से महाराष्ट्र के ढाई लाख दूध उत्पादक किसान एक आंदोलन शुरू कर रहे हैं, ताकि दूध के अधिक दाम मिल सकें. इस आंदोलन की शुरुआत हो भी चुकी है. किसान नेता राजू शेट्टी के इस ऐलान के कुछ ही देर बाद स्वाभिमानी शेतकरी संघटन के कार्यकर्ताओं ने पुणे के पास दूध से भरे टैंकरों को रोक कर सारा दूध सड़क पर फेंक दिया.

राजू शेट्टी इस महादूध आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. राजू शेट्टी के नेतृत्व में सभी कार्यकर्ता पालघर के पास गुजरात-महाराष्ट्र बॉर्डर पर गुजरात से महाराष्ट्र में आने वाले दूध टैंकर को रोक रहे हैं. राजू शेट्टी ने बताया कि 29 जून को पुणे में एक बड़ा मोर्चा निकाला गया. कृषि अधीक्षक को निवेदन देकर बताया गया कि फिलहाल किसानों को डेरी वाले एक लीटर दूध के लिए 14 से 16 रुपए दे रहे हैं. सरकार से मांग की जा रही थी कि दूध उत्पादक किसानों को मिलने वाले दूध के दाम बढ़ाए जाएं, लेकिन सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया. इसी वजह से मजबूर होकर अब एक बड़ा आंदोलन शुरू किया गया है.

शेट्टी के अनुसार महाराष्ट्र के दूध उत्पादक किसान किसी भी बड़े शहर में दूध नहीं भेजेंगे. मुंबई, पुणे, नासिक, नागपुर, औरंगाबाद, धुले, अमरावती, चंद्रपुर, सोलापुर, सांगली, कोल्हापुर, सतारा, ऐसे सभी शहरों के नागरिकों को सोमवार से दूध नहीं मिलेगा. उनका कहना है कि जब बड़े शहर के लोग बूंद-बूंद दूध के लिए तरसेंगे, तभी सरकार को अहसास होगा कि दूध कितना जरूरी है, जिससे सरकार पर दबाव बनेगा.

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दूध बर्बाद नहीं होगा, गरीब बच्चों को दिया जाएगा

यहां एक सोचने वाली बात ये है कि आखिर जब दूध शहरों में नहीं भेजा जाएगा तो क्या वो सारा दूध सड़कों पर बहा दिया जाएगा? ऐसा नहीं होने वाला है. सड़कों पर वही दूध बिखरा पाया जाएगा जो इस आंदोलन के साथ नहीं हैं या दूसरे राज्य से महाराष्ट्र में दूध ला रहे हैं. महाराष्ट्र के किसान जितने भी दूध का उत्पादन करेंगे, उसे स्कूली और गरीब बच्चों को बांट दिया जाएगा. राजू शेट्टी ने कहा कि सविधान ने हक़ दिए हैं, उसके आधार पर वो आंदोलन करने जा रहे हैं.

आंदोलन कमजोर करने के लिए दूध संगठन चल रहे चाल

राजू शेट्टी ने कहा कि दूध पाउडर बनाने वाले उत्पादकों ने ऐलान किया है कि वो किसानों को प्रति लीटर 3 रुपए बढ़ाकर देने वाले हैं. ये किसानों को गुमराह करने की चाल है. ये इसलिए स्पष्ट होता है क्योंकि 3 मई को महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें दूध पाउडर बनाने के लिए 3 रुपए प्रति लीटर का अनुदान दिया है, इसके बावजूद इन पाउडर बनाने वालों ने दूध का भाव बढ़ाने के बजाय गिराया है. अब वो दूध 2 रुपए सस्ता खरीदने लगे हैं.

दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार दूध पाउडर बनाने वालों को एक्सपोर्ट करने के लिए 4 रुपए प्रति किलो एक्सपोर्ट अनुदान का ऐलान किया गया है. यानी दूध पाउडर बनाने वालों को राज्य सरकार की तरफ से प्रति लीटर 7 रुपए मिल रहे हैं. वहीं केंद्र सरकार भी उन्हें 5 रुपए प्रति लीटर दे रही है. यानी दूध पाउडर बनाने वालों को कुल 12 रुपए प्रति लीटर मिल रहे हैं, जबकि किसानों को उसमें से सिर्फ 3 रुपए दिए जा रहे हैं. वहीं अगर थोड़ा और बारीकी से देखा जाए तो पता चलेगा कि किसानों को तो सिर्फ 1 रुपए ही मिल रहे हैं, क्योंकि कंपनियों ने दूध के दाम 2 रुपए कम भी किए हैं.

राज्य में कितना दूध उत्पादित होता है? कितनी जरूरत है? दूध उत्पादन करने वाले कितने किसान हैं? महाराष्ट्र राज्य को रोजाना ढाई लाख लीटर दूध की जरूरत है. अकेले मुंबई नगरी को 70 लाख लीटर दूध की जरूरत होती है. राज्य में दूध उत्पादन करने वाले किसान लगभग 2.75 लाख लीटर दूध का उत्पादन कर रहे हैं. अंतराष्ट्रीय बाजार में दूध प्रोडक्ट और दूध पाउडर के भाव कम हुए हैं और इसी वजह से भारत के दूध पाउडर एक्सपोर्ट पर विपरीत परिणाम हुआ है. देश में ही दूध पाउडर स्टॉक किया जा रहा है, इसीलिए अतिरिक्त दूध स्टॉक हो रहा है.

किसान नेता और सांसद राजू शेट्टी ने इस बारे में मौजूदा वित्त मंत्री, कॉमर्स मिनिस्ट्री और कॉमर्स सेक्रेटरी पियूष गोयल से दिल्ली में बातचीत की और दूध का बफर स्टॉक करने की सलाह दी है, ताकि देश के दूध किसानों के सवालों का निदान हो सके. साथ में बटर और घी का GST हटाने और एक्सपोर्ट करने वालों को प्रोत्साहित करने वाली नीतियां बनाने की सलाह दी. इसके आलावा चीन देश को बड़े पैमाने पर दूध प्रोडक्ट्स की जरूरत है. ऐसे में भारत को दूध प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट करने को लेकर कारगर कदम उठाने चाहिए. चीन और अमेरिका, यूरोपियन देश में आयत निर्यात में संबंध ठीक नहीं है, इसका भरपूर फायदा भारत को हो सकता है. अगर भारत से चीन को एक्सपोर्ट शुरू कर देते हैं तो देश के दूध उत्पादन करने वाले किसानों के अच्छे दिन आ सकते हैं.

आने वाली 23 जुलाई को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह, पियूष गोयल और सभी संबंधित सचिवों के साथ एक चर्चा सत्र आयोजन किया गया है, ताकि दूध उत्पादन करने वाले किसानों के लिए योग्य दाम मिलने पर कोई निर्णय लिया जाए. लेकिन किसान नेता और सांसद राजू शेट्टी का कहना है कि पिछले अनुभव बताते हैं कि ये सारे सिर्फ आश्वासन हैं. इसीलिए राजू शेट्टी ने चेतावनी दी है कि जब तक सरकार प्रति लीटर 5 रुपए बढ़ाकर नहीं देती, तब तक ये आंदोलन जारी रहेगा.

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लेखक

पंकज खेलकर पंकज खेलकर @pankajkhelkar2016

लेखक आजतक में पत्रकार हैं

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