Farhan Akhtar ने बता दिया कि 'गुमराह' CAA Protester कैसा होता है!
CAA protest में मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान पहुंचे फरहान अख्तर (Farhan Akhtar) ने इस बात को साबित कर दिया है कि एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो प्रदर्शन तो कर रहा है मगर उसे ये तक नहीं पता कि असल में ये नागरिकता संशोधन कानून है क्या?
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बीते कई दिनों से CAA Protest सुर्ख़ियों में है. संसद में पारित इस नए कानून को लेकर लगातार हिंसक प्रदर्शन (CAA Violent Protest) हो रहे हैं जिससे आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो रहा है. क्योंकि इस प्रोटेस्ट का कोई आधार नहीं है इसलिए प्रदर्शन के नाम पर अराजकता एक आम बात हो गई है. जगह जगह हो रही हिंसा पर सरकार सख्त है. स्थिति नियंत्रित रहे इसलिए बल का सहारा लिया जा रहा है. बात बीते दिन की है. CAA के विरोध में विपक्ष समेत अलग अलग सामाजिक संगठनों ने भी CAA के विरोध में भारत बंद (Bharat Band Against CAA) का आह्वान किया था. देश के तमाम शहरों में प्रदर्शन हुए बात अगर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की हो तो विरोध ने हिंसक रूप ले लिया (Lucknow violence) जिससे निपटने में पुलिस को खासी दुश्वारियां हुईं. मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान में प्रदर्शनकारियों ने रैली निकाल कर इस नए कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में फिल्म अभिनेता और निर्माता-निर्देशक फरहान अख्तर (Farhan Akhtar CAA protest) ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. मगर मामले में दिलचस्प बात ये रही कि फरहान भी अन्य प्रदर्शनकारियों की तरह कानून को लेकर गुमराह थे. प्रदर्शन के दौरान जो बातें फरहान ने कहीं उसमें गहरा विरोधाभास दिख रहा है साथ ही ये भी पता चल रहा है कि उन्हें इस मामले की रत्ती भर भी जानकारी नहीं है. वो विरोध तो कर रहे हैं मगर उस विरोध के पीछे उनका अपना स्वार्थ है.
CAA के विरोध में सामने आए फरहान अख्तर को विरोध से पहले एक बार इस नए कानून को पढ़ लेना चाहिए
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में, मुंबई में आयोजित प्रदर्शन में, प्रदर्शनकारियों के समर्थन देने पहुंचे फरहान अख्तर ने CAA पर जो तर्क दिए हैं. वो कई मायनों में विचलित करने वाले हैं. साथ ही उन्होंने जिस तरह के जवाब दिए हैं उससे ये भी साफ़ हो गया है कि देश के अधिकांश मुसलमानों की ही तरह उन्हें भी CAA की कोई जानकारी नहीं है. फरहान एक बड़ा मुस्लिम चेहरा है साथ ही वो प्रदर्शन में आए थे. मीडिया ने उनसे सवाल किया जिसपर फरहान भौचक्के रह गए. उनको बताना कुछ था, उन्होंने बताया कुछ.
CAA के विरोध में अगस्त क्रांति मैदान पहुंचे फरहान ने जो कुछ भी कहा है उसमें गहरा विरोधाभास है. मामला खुद आइपीएस डी रूपा ने उठाया है. डी रूपा ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें CAA के विरोध में अगस्त क्रांति मैदान पहुंचे फरहान अख्तर से सवाल हो रहे हैं.
If this is with celebrities like @FarOutAkhtar , I wonder how many protestors actually know what is CAA,how many students joined out of peer pressure/peer influence,how many joined in a way that's called mob mentality--doing something without conviction & knowledge of the thing. https://t.co/xeGLuOKcP7
— D Roopa IPS (@D_Roopa_IPS) December 19, 2019
प्रदर्शनकारियों के कंधे से कंधा मिलाने के लिए आंदोलन में पहुंचे फरहान ने कहा है कि किसी बात के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करना लोकतांत्रिक अधिकार है. यहां भी लोग अपनी आवाज उठा रहे हैं और मुझे लगता है कि मामले में कहीं कुछ ना कुछ भेदभाव है. नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किए जा रहे हैं. विपक्ष इस मुद्दे पर मोदी सरकार को लगातार घेर रहा है. पूर्वोत्तर राज्य में भी इस कानून को लेकर विरोध किया जा रहा है.
फरहान ने जो भी बातें कही हैं उनमें न तो वो CAA को परिभाषित ही कर पाएं हैं और न ही वो इस बात को स्पष्ट कर पाए कि आंदोलन में उपस्थिति दर्ज कराने के पीछे उनका असली मकसद क्या है ? कुल मिलाकर आंदोलन में जैसा कंफ्यूजन में फरहान थे खुद इस बात की तस्दीख हो गई है कि उन्हें इस मामले की रत्ती भर भीसमझ नहीं है और वो जो भी कर रहे हैं एक वर्ग में अपने को बुद्धिजीवी दिखाने के कलिए कर रहे हैं.
बहरहाल बात फरहान के मामले पर गुमराह होने की चली है. तो बता दें कि फरहान कोई पहले शख्स नहीं है जो बेवजह बौखलाए हैं. तमाम लोग हैं, जो प्रदर्शन तो कर रहे हैं मगर वो क्यों कर रहे हैं? और वास्तव में कैब है क्या? इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
ध्यान रहे कि नया कानून घुसपैठियों के लिए है जिसका हिंदुस्तान में रह रहे लोगों से कोई मतलब नहीं है. चाहे देश के प्रधानमंत्री पीएम मोदी हों या फिर देश के गृह मंत्री अमित शाह जब से मामले ने धार पकड़ी हैं पूरे सत्तापक्ष की तरफ से बार बार इसी बात को दोहराया जा रहा है कि इससे किसी भी हिन्दुस्तानी की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है.
बहरहाल अब जबकि लोग प्रदर्शन कर ही रहे हैं तो हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि जब वो आंदोलन के लिए सड़कों पर आ ही गए हैं तो एक बार कायदे से इसका अध्ययन कर लें वो क्या है न कि मुहावरा पहले ही कह चुका है नीम हकीम खतरा-ए-जान.
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