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Updated: 19 दिसम्बर, 2019 10:42 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के बाद देश दो वर्गों में विभाजित है. एक वर्ग इस कानून का समर्थन कर रहा है तो वहीं दूसरा वर्ग इसके विरोध में है. कानून को लेकर विरोध का आलम कुछ यूं है कि चाहे देश की राजधानी दिल्ली हो या फिर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Violent Protest Over CAA In Lucknow And Sambhal ). संभल से लेकर मऊ तक और बैंगलोर से लेकर गुवाहाटी और मुर्शिदाबाद तक लोग सड़कों पर हैं और और जगह जगह हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है. सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. हालत बेकाबू हैं. स्थिति सामान्य हो, पुलिस बल का सहारा ले रही है. जगह जगह पुलिस की तरफ से प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं उनपर लाठीचार्ज किया जा रहा है. कांग्रेस, सपा, बसपा, लेफ्ट सभी कानून के विरोध में एकजुट (Opposition Over Citizenship Amendment Act) हो गए हैं और आरोप लगा रहे हैं कि सरकार को इस कानून को वापस लेना चाहिए. वहीं बात अगर सत्ताधारी दल की हो तो भाजपा बार-बार इस बात को दोहरा रही है कि इस कानून के आ जाने से किसी भी समुदाय विशेषकर मुसलमानों की नागरिकता में कोई खतरा नहीं है. मामले को लेकर पशोपेश की अजीब सी स्थिति हमारे सामने हैं. जैसे हालात हैं. घड़ी की सुई उलटी दिशा में घूम गई है विपक्ष अखंड भारत (Akhand Bharat) का नारा दे रहा है तो वहीं भाजपा (BJP Over CAA) बार बार धर्म के आधार पर बंटवारे की बात कर रही है.

नागरिकता संशोधन कानून, कांग्रेस, हिंसा,अखंड भारत, विरोध, CAAनागरिकता संशोधन कानून पर विपक्ष और सत्तापक्ष ने अपने को अलग अलग सांचों में बांट लिया है

आइये कुछ बिन्दुओं के जरिये राजनीति के ये नए सुर समझने का प्रयास किया जाए. साथ ही ये भी जाना जाए कि आखिर कैसे दलों के इस तरह पाला बांट लेने से सम्पूर्ण देश की राजनीति एक नए सिरे से प्रभावित होने वाली है.

BJP Govt: पड़ोसी मुस्लिम देशों से हिंदुओं को आने दो

नागरिकता संशोधन कानून पर आप भाजपा के किसी भी नेता के रुख को देख लीजिये. बार बार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश की बात की जा रही है. कहा यही जा रहा है कि इन तीनों ही देशों में मुसलमानों को छोड़कर अल्पसंख्यक समुदाय के जो लोग रह रहे हैं. जिनको प्रताड़ित किया जा रहा है वो भारत आ सकते हैं भारत उन्हें नागरिकता देगा.

बात अगर देश के गृह मंत्री अमित शाह की हो तो अमित शाह बीते दिनों ही एजेंडा आजतक पर इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि 47 में जब बंटवारा हुआ वो धर्म के आधार पर हुआ. एजेंडा आजतक के मंच से अपनी बात को आधार देने के लिए अमित शाह ने 1950 में हुए नेहरू लियाकत समझौते का जिक्र किया था और कहा था कि. कांग्रेस ने देश का विभाजन धर्म के आधार पर किया. ये नहीं होना चाहिए था. इसमें बहुत से लोगों का नुकसान हुआ.

साथ ही देश के गृह मंत्री ने ये भी कहा था कि 1950 में हुए उस समझौते में इस बात को बल दिया घ्य था कि दोनों देश अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करेंगे. अमित शाह ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा था कि तब से लेकर अब तक के आंकड़ों को देखिए, अल्पसंख्यकों की संख्या कम हो गई. जब नेहरू-लियाकत समझौते पर अमल नहीं हुआ. तब ये करने की जरूरत पड़ी. कांग्रेस ने 70 साल तक अल्पसंख्यकों पर ध्यान नहीं दिया.

इन बातों के अलावा, शाह ने CAA और NRC पर चल रहे बवाल का जिम्मेदार कांग्रेस को ठहराया था और उसपर देश की जनता के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों को धोखा देने का आरोप लगाया था.

चाहे अमित शाह हों या फिर पीएम मोदी और भाजपा के अन्य नेता CAA पर मचे बवाल पर लग रहे आरोपों के बाद इन सभी लोगों ने इस बात को कबूल कर लिया है कि इन्हें धर्म के आधार पर हो रहे बंटवारे पर कोई ऐतराज नहीं है.

Opposition: जो आना चाहे, सबको आने दो

CAA और NRC को लेकर मचे बवाल पर सबसे मजेदार रुख विपक्ष विशेषकर कांग्रेस का है. विपक्ष बार बार इस बात को कह रहा है कि अटक से लेकर कटक तक जो भी आना चाहे उसे आने दो. यानी विपक्ष इस बात का पक्षधर है कि जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित हिंदू, ईसाई, सिख और पारसी आ रहे हैं वैसे मुसलमान भी आएं और उन्हें नागरिकता दी जाए.

विपक्ष द्वारा कही इस बात का सीधा मतलब ये हुआ कि विपक्ष या ये कहें कि कांग्रेस इस बात का पुरजोर समर्थन कर रही है कि जो कुछ भी आस पास है वो अखंड भारत का हिस्सा है और इसलिए नागरिकता में भेदभाव नहीं करना चाहिए.

CAA और NRC पर विपक्ष का ये रवैया वाकई कई मायनों में विचलित करने वाला है और साथ ही इस बात की भी तस्दीख कर देता है कि एक ऐसे समय में जब देश की जनता के सामने विपक्ष को मिल रहा जनाधार डाल में नमक जितना हो.  उसका CAA और NRC को अखंड भारत के सांचे में ढालना एक ऐसा पैंतरा है जिसके दम पर विपक्ष मुख्यधारा की राजनीति में वापसी करना चाहता है.

CAA पर चल रहा ये विरोध आगे क्या गुल खिलाएगा? इसका कितना नुकसान देश को होगा ? इन सभी सवालों का जवाब वक़्त की गर्त में छिपा है मगर जो वर्तमान है वो खुद इस बात की गवाही दे दे रहा है कि जब बात राजनीतिक हितों और सत्ता की चाशनी में डूबी मलाई खाने की आएगी हमारा विपक्ष साम दाम दंड भेद करते हुए एकजुट हो जाएगा और ऐसा बहुत कुछ करेगा जिसकी कल्पना शायद ही इस देश की राजनीति या फिर इस देश की जनता ने की हो.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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