New

होम -> सियासत

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 08 दिसम्बर, 2018 04:52 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
  @arvind.mishra.505523
  • Total Shares

अगर एग्जिट पोल को मानें तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन सफल होते नज़र नहीं आ रहा है. संकेत ऐसे मिल रहे हैं जैसे क्षेत्रीय दलों को उम्मीद के अनुसार सफलता मिलने नहीं जा रही है. कांग्रेस से अलग होकर समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी साथ-साथ चुनाव लड़े लेकिन एग्जिट पोल के मुताबिक इन्हें कोई फायदा होता नज़र नहीं आ रहा है. हो सकता है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिले. ठीक इसी तरह तेलंगाना में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अगुआई वाली टीडीपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर टीआरएस के खिलाफ बड़ा गठबंधन बनाया था. लेकिन यहां भी एग्जिट पोल के मुताबिक टीआरएस सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें जीतने के करीब है.

छत्तीसगढ़ में मायावती की पार्टी बसपा ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जेसीसी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था. बसपा ने 35 सीटों पर जबकि जेसीसी ने 55 सीटों पर चुनाव लड़ा था. यहां इंडिया टुडे-एक्सिस एग्जिट पोल के मुताबिक इस गठबंधन को मात्रा 4 से 8 सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा. इसी तरह दूसरे एग्जिट पोल ने भी इस गठबंधन को दहाई की संख्या में पहुंचते हुए नहीं दिखाया. मतलब साफ़ है- क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन कुछ भी खास करते हुए नज़र नहीं आ रहा है.

exit pollएग्जिट पोल के मुताबिक क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन सफल होते नज़र नहीं आ रहा है

अगर बात तेलंगाना की हो तो, इंडिया टुडे-एक्सिस के एग्जिट पोल के मुताबिक टीआरएस को 79-91 सीटें और कांग्रेस+ को 21-33 सीटें मिल सकती हैं. यही नहीं तेलुगु टीवी 9 के अनुसार टीआरएस को 75 से 85 तथा कांग्रेस+ को 25 से 35 सीटें मिल सकती हैं. वहीं सी-वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक टीआरएस को 54 सीटें, कांग्रेस को 53 सीटें, भाजपा को 5 सीटें और अन्य को 7 सीटें मिल सकती हैं.

यहां अगर कांग्रेस-टीडीपी को ज़्यादा सफलता हासिल नहीं होती है तो आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठ सकता है. और हो सकता है कि कांग्रेस-टीडीपी के रिश्तों में दरार आ जाए. संभावना इस बात की भी है कि अगर एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो इसका हश्र यूपी में एसपी-कांग्रेस के गठबंधन जैसा ना हो जाए, जहां हार मिलते ही एक दूसरे से अलग हो जाएं. कांग्रेस के लिए तो अगले पांच सालों के लिए सियासी रास्ते और भी कठिन हो जाएंगे. 2019 में सीटों की संख्या के लिहाज से भी कांग्रेस को झटका लग सकता है. और तो और चंद्रबाबू नायडू के पूरे विपक्ष को एकजुट करने के प्रयासों पर भी असर पड़ सकता है.

एग्जिट पोल के अनुसार इस बार के चुनावों में गठबंधन बेअसर दिख रहा है. हालांकि यह केवल एग्जिट पोल है, यानी संभावनाएं हैं. इनका असली चेहरा तो 11 दिसम्बर को पता चलेगा जब चुनावों के नतीजे घोषित होंगे.

ये भी पढ़ें-

2019 चुनाव के लिहाज से राहुल और मोदी दोनों के लिए जरूरी है राजस्थान का दुर्ग

Rajasthan election 2018 result: इशारे कांग्रेस की ओर, लेकिन भाजपा जीती तो क्रेडिट मोदी-शाह को

योगी का 'नाम-वापसी अभियान' जब यूपी से निकलकर तेलंगाना पहुंचा...

लेखक

अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय