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Updated: 21 मई, 2019 07:14 PM
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Exit Poll 2019 के अनुसार उत्तर प्रदेश में बीजेपी लक्ष्य तक तो नहीं पहुंच पा रही, लेकिन सपा-बसपा गठबंधन फेल लगता है. फिर भी कई संसदीय सीटें ऐसी हैं जो कड़े मुकाबले में बुरी तरह फंसी हैं - और ऐसा सिर्फ गठबंधन के हिस्से में नहीं, बल्कि, बीजेपी उम्मीदवारों के साथ भी हो रहा है. जिन सीटों के आखिरी नतीजे हैरान करने वाले हो सकते हैं उनमें राहुल गांधी, मेनका गांधी, मुलायम सिंह यादव और उनकी बहू डिंपल यादव के नाम हैं. यानी यदि महागठबंधन और कांग्रेस की उत्‍तर प्रदेश में हार होती दिख रही है, तो बीजेपी के लिए भी चिंता की वजह कायम है.

अमेठी, सुल्तानपुर, मैनपुरी और मुजफ्फरनगर में कड़ा मुकाबला

यूपी में कम से कम 15 ऐसी सीटें हैं जहां एग्जिट पोल के मुताबिक कड़ा मुकाबला है - और उनमें भी छह ऐसी सीटें हैं जिनके नतीजे हद से ज्यादा हैरान करने वाले हो सकते हैं. इनके अलावा, एग्जिट पोल के मुताबिक, एक सीट ऐसी भी जो बीजेपी के खाते में जाती हुई नजर आ रही है - कन्नौज. कन्नौज से अखिलेश यादव की पत्नी और मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव उम्मीदवार हैं.

इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया पोल के मुताबिक यूपी की 80 में से NDA को 62 से 68 सीटें मिलने की संभावना है. हालांकि, ये आंकड़ा उससे काफी कम है जो अब तक बीजेपी नेतृत्व दावा करता रहा. अमित शाह का दावा रहा कि यूपी में बीजेपी और साथियों के सीटों की संख्या 74 ही होगी, 72 नहीं - लेकिन एग्जिट पोल में इस हिसाब से 10-12 सीटों का नुकसान होता लगता है. 2014 में बीजेपी और सहयोगियों को मिलाकर यूपी की 80 में से 73 सीटें मिली थीं.

अमेठी में कांग्रेस बनाम बीजेपी: एग्जिट पोल के अनुसार अमेठी में कांग्रेस लीड करती लग रही है, लेकिन बीजेपी से उसे बहुत कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है. गांधी परिवार के गढ़ अमेठी से राहुल गांधी कांग्रेस के उम्मीदवार हैं और बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी दोबारा चुनौती दे रही हैं. सपा-बसपा गठबंधन ने अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है. 2014 में विपक्ष की ओर से दो उम्मीदवारों ने राहुल गांधी को चुनौती दी थी - स्मृति ईरानी और आप के बागी नेता कुमार विश्वास.

चुनाव हार जाने के बावजूद स्मृति ईरानी अमेठी से लगातार जुड़ी रहीं और राहुल गांधी को दूसरी सीट से भी चुनाव लड़ने के लिए मजबूर कर दिया. राहुल इस बार केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव मैदान में हैं. एग्जिट पोल के अनुसार वायनाड पर राहुल गांधी की जीत पक्की मानी जा सकती है.

सुल्तानपुर में बीजेपी बनाम बीएसपी : सुल्तानपुर में, एग्जिट पोल के हिसाब से, बीजेपी मैदान में भारी तो पड़ रही है लेकिन जीत पक्की नहीं है क्योंकि बीएसपी की तरफ से उसे कड़ी टक्कर मिल रही है. सुल्तानपुर से केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी बीजेपी प्रत्याशी हैं जबकि बीएसपी ने चंद्रभद्र सिंह सोनू को उतारा है. कांग्रस के टिकट पर संजय सिंह भी चुनाव मैदान में हैं.

2014 में मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी सुल्तानपुर से सांसद बने थे. इस बार मेनका की ही पहल पर बीजेपी ने मां-बेटे की सीटों की अदला-बदली की है. वरुण गांधी इस बार पीलीभीत से चुनाव लड़ रहे हैं. पीलीभीत से वरुण गांधी की जीत पक्की मानी जा रही है.

मैनपुरी में बीजेपी बनाम समाजवादी पार्टी : एग्जिट पोल के मुताबिक मैनपुरी से समाजवादी पार्टी के लिए अच्छी खबर तो नहीं आ रही है - क्योंकि बीजेपी उसे कड़ी टक्कर दे रही है. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मुलायम सिंह यादव हैं, जबकि बीजेपी ने प्रेम सिंह शाक्य को टिकट दिया है.

2014 में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ और मैनपुरी दोनों सीटों से चुनाव जीते थे लेकिन मैनपुरी सीट उन्होंने छोड़ दी थी. बाद में उपचुनाव हुए तो मुलायम परिवार के ही तेज प्रताप यादव सांसद बने. तेज प्रताप के खिलाफ बीजेपी ने प्रत्याशी बदल दिया और प्रेम सिंह शाक्य को चुनाव लड़ाया था. प्रेम सिंह शाक्य इस बार मुलायम सिंह यादव से आगे नजर आ रहे हैं.

सबसे बड़ी बात ये रही कि मैनपुरी में बरसों बाद मुलायम सिंह और मायावती बरसों बाद साथ मंच पर नजर आये. अपने लिए वोट मांगने के लिए मायावती के आने से मुलायम सिंह यादव खासे अभिभूत नजर आये और एहसान भी माना. मायावती ने मैनपुरी में ही मुलायम को पिछड़ों का असली नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नकली नेता बताया था.

मायावती और अखिलेश यादव की मौजूदगी में मुलायम सिंह ने मैनपुरी के लोगों से बताया कि वो आखिरी बार चुनाव लड़ रहे हैं और लोगों से कहा, 'जिता देना.' मैनपुरी को लेकर अगर एग्जिट पोल के अनुमान अंतिम नतीजे से भी मेल खाये तो समाजवादी पार्टी के लिए ये बेहद निराशाजनक बात होगी.

गाजीपुर में बीजेपी बनाम बीएसपी : गाजीपुर लोक सभा सीट से केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा बीजेपी उम्मीदवार हैं और उनके मुकाबले अफजाल अंसारी गठबंधन के उम्मीदवार हैं. अफजाल अंसारी 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद बने थे. अफजाल माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के भाई हैं.

मनोज सिन्हा की बेदाग छवि और अपने संसदीय क्षेत्र में विकास के काम कराने के बावजूद जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा लगता है. माना जा रहा है कि मनोज सिन्हा की छवि पर जातीय समीकरण भारी पड़ सकते हैं.

मुजफ्फरनगर और बागपत के मुकाबले : एग्जिट पोल से मालूम होता है कि मुजफ्फरनगर और बागपत दोनों ही सीटों पर कड़ा मुकाबला है, हालांकि, दोनों के तरीके अलग हैं. मुजफ्फरनगर में बीजेपी, आरएलडी को पछाड़ रही है, जबकि बागपत में खुद पिछड़ रही है. ये दोनों ही सीटें आरलेडी को गठबंधन में मिली हैं.

ये दोनों सीटें राष्ट्रीय लोक दल के पिता-पुत्र उम्मीदवारों के चलते अहम हैं. मुजफ्फरनगर से अजीत सिंह चुनाव मैदान में हैं तो बागपत से उनके बेटे जयंत चौधरी. मुजफ्फरनगर में अजीत सिंह और बीजेपी सांसद संजीव बालियान में मुकाबला है जिसमें आरलेडी नेता पिछड़ते प्रतीत हो रहे हैं. बागपत में भी बीजेपी ने मौजूदा सांसद सत्यपाल सिंह को टिकट दिया है, लेकिन वहां जयंत चौधरी मजबूत पड़ रहे हैं और बीजेपी उम्मीदवार की जीत पक्की तो नहीं ही लग रही है.

इनके अलावा कुछ ऐसी सीटें भी हैं जहां बीजेपी और बीएसपी में कड़ा मुकाबला चल रहा है. मेरठ, मिसरिख, अंबेडकर नगर, डुमरियागंज वे सीटें हैं जहां बीएसपी को बीजेपी पछाड़ रही है, वहीं श्रावस्ती, सलेमपुर, जौनपुर और अमरोहा ऐसे संसदीय क्षेत्र हैं जहां बीएसपी से बीजेपी पीछे चल रही है.

वे संसदीय सीटें जहां जीत पक्की है!

वाराणसी से तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत तो पक्की है, बीजेपी वे सीटें भी जीतने जा रही है जो 2018 के उपचुनाव में उसके हाथ से निकल गयी थीं - गोरखपुर, फूलपुर और कैराना. ये तीनों ही सीटें जीतना यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गयी थीं.

1. BJP जीत रही है ये 55 सीटें : वाराणसी, सहारनपुर, कैराना, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा, फतेहपुर सिकरी, फिरोजाबाद, एटा, बदायूं, आंवला, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, खेड़ी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, मोहनलालगंज, लखनऊ, प्रतापगढ़, फर्रूखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, फूलपुर, इलाहाबाद, बाराबंकी, फैजाबाद, बहराइच, कैसरगंज, गोंडा, बस्ती, संतकबीर नगर, महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, बलिया, मछलीशहर और चंदौली.

2. समाजवादी पार्टी को ये चार सीटें मिलनी ही हैं : समाजवादी पार्टी की जिन चार सीटों पर जीत पक्की लगती है, वे हैं - आजमगढ़, मुरादाबाद, रामपुर और संभल. आजमगढ़ से मुलायम सिंह की जगह अखिलेश यादव खुद उम्मीदवार हैं और बीजेपी ने उनके खिलाफ भोजपुरी सिंगर दिनेशलाल यादव निरहुआ को उम्मीदवार बनाया है.

अखिलेश यादव का जीतना तो तय लगता है, लेकिन एग्जिट पोल के अनुसार डिंपल यादव कन्नौज से चुनाव हार सकती हैं. जिस कन्नौज से डिंपल एक बार उपचुनाव में निर्विरोध सांसद बन चुकी हैं, वहीं बीजेपी के सुब्रत पाठक के सामने समाजवादी पार्टी नेता को संघर्ष करना पड़ रहा है. 2014 में डिंपल ने सुब्रत पाठक को शिकस्त दी थी, लेकिन जीत का अंतर महज 19,907 वोट रहे.

रामपुर में समाजवादी पार्टी के आजम खां और बीजेपी की जया प्रदा के बीच मुकाबला है जिसमें आजम खां जीत की ओर अग्रसर माने जा रहे हैं.

3. ये तीन सीटें तो BSP की पक्की हैं : एग्जिट पोल में बहुजन समाजवादी पार्टी के लिए जीत की जो सूची बन रही है उसमें बिजनौर, नगीना और लालगंज ससंदीय सीटें पक्की मानी जा रही हैं.

बिजनौर से कांग्रेस ने इस बार नसीमुद्दीन सिद्दीकी को टिकट दिया है जो कभी मायावती के बेहद करीबी हुआ करते थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में तो मायावती ने पूरे पश्चिम यूपी की जिम्मेदारी काफी पहले से ही नसीमुद्दीन सिद्दीकी को दे रखी थी. बीएसपी के चुनाव हार जाने के बाद मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का गंभीर दौर भी चला था.

4. अपना दल की दोनों सीटों पर जीत : बीजेपी के साथ गठबंधन में अपना दल को दो सीटें मिली हैं और पार्टी के दोनों ही सीटें जीतने की संभावना है. एक सीट पर तो केंद्रीय मंत्री और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ही मैदान में हैं. मिर्जापुर सीट पर अनुप्रिया पटेल का मुकाबला समाजवादी पार्टी के राम चरित्र निषाद और कांग्रेस के ललितेशपति त्रिपाठी से है. ललितेश पति, पुराने कांग्रेसी कमलापति त्रिपाठी के परिवार से आते हैं.

5. क्या यूपी में कांग्रेस की सिर्फ एक सीट रह जाएगी : मैनपुरी और कन्नौज नतीजे जहां समाजवादी पार्टी के लिए निराशाजनक हो सकते हैं, वहीं अमेठी का रिजल्ट तो कांग्रेस के लिए सदमा जैसा लगता है. एग्जिट पोल सें कांग्रेस की एक ही सीट पक्की बतायी जा रही है और वो है रायबरेली. रायबरेली से कांग्रेस उम्मीदवार सोनिया गांधी का चुनाव जीतना तय माना जा रहा है. हालांकि, बीजेपी ने सोनिया गांधी के खिलाफ कभी उन्हीं के करीबी रहे दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है.

अमेठी और रायबरेली के अलावा कांग्रेस के हिसाब से दो सीटें और भी महत्वपूर्ण हैं - फतेहपुर सीकरी और अमरोहा. फतेहपुर से यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनका जीतना मुश्किल बताया जा रहा है. राज बब्बर को पहले मुरादाबाद से टिकट मिला था और जब उन्होंने इंकार कर दिया तो कांग्रेस ने शायर इमरान प्रतापगढ़ी को टिकट दिया. बीजेपी ने भी मुरादाबाद सीट पर मौजूदा सांसद चौधरी बाबूलाल की जगह राजकुमार चाहर को टिकट दिया है - और ये प्रयोग फायदेमंद लगता है.

अमरोहा से कांग्रेस सीनियर नेता राशिद अल्वी को चुनाव लड़ाना चाहती थी, मगर स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने मना कर दिया. बाद में कांग्रेस ने सचिन चौधरी को टिकट दिया था.

अमरोहा में मुख्य मुकाबला तो बीएसपी के दानिश अली और बीजेपी के कुंवर सिंह तंवर के बीच है जिसमें बीएसपी उम्मीदवार भारी पड़ रहा है. दानिश अली जेडीएस से बीएसपी में आये हैं - और इसके लिए मायावती ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से दानिश अली को रजामंदी भी दिलायी थी. कर्नाटक में बीएसपी और जेडीएस के बीच चुनावी गठबंधन है.

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